रांची: केंद्रीय कोयला व ऊर्जा मंत्री पीयूष गोयल ने रविवार को देश भर के पत्रकारों से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये बातचीत की. उनके साथ प्रेस इंफोरमेशन ब्यूरो के प्रमुख फ्रैंक नरोन्हा व संबंधित मंत्रलयों के अधिकारियों ने हिस्सा लिया.
मंत्री ने देश के 13 शहरों से जुड़ कर कोयला उत्पादन व ऊर्जा के क्षेत्र में एनडीए सरकार के सौ दिनों की उपलब्धियों व आगे की रणनीति पर चर्चा की. वहीं अलग-अलग राज्यों के पत्रकारों के तीन-तीन सवालों के जवाब भी दिये.
उन्होंने कहा कि झारखंड सहित विभिन्न राज्यों में कोयला चोरी की त्रिस्तरीय निगरानी होगी. अंतर राज्यीय सर्विलेंस व सीसीटीवी, घेराबंदी तथा ऑटोमेटेड वेब टेक्नोलॉजी के माध्यम से यह निगरानी होगी. इसे स्थानीय कोल कंपनी व कोल इंडिया के कोलकाता मुख्यालय सहित दिल्ली स्थित मंत्रलय के साथ लिंक किया जायेगा.
झारखंड में जमीन नहीं मिलने की समस्या : मंत्री ने कहा कि शुरुआत में देश के 40-50 बड़ी खदानों में निगरानी शुरू होगी. गृह मंत्रलय की मदद से मल्टी टास्क फोर्स का भी गठन किया जायेगा. कोयला चोरी पर रोक व नियंत्रण के लिए रैपिड एक्शन फोर्स बनाने का भी निर्णय हुआ है. झारखंड से जुड़े सवाल पर उन्होंने कहा कि यहां जमीन न मिलने की समस्या है. राज्य सरकार तिलैया पावर प्लांट व झरिया में पुनर्वास कार्यक्रम के लिए जमीन नहीं दे रही है. कहा कि यदि लॉ एंड ऑर्डर ठीक हो तथा जमीन अधिग्रहण की परेशानी कम हो जाये, तो झारखंड की कोल रॉयल्टी अपने आप दोगुनी हो सकती है.
देश के पावर प्लांट में कोयले की कमी : देश भर में कम बारिश से पनबिजली का उत्पादन कम हो गया है. कोयला आधारित (ताप) बिजली की उत्पादकता बढ़ा कर ही इस समस्या से निबटा जा सकता है. श्री गोयल ने कहा कि गत कुछ वर्षो में ताप बिजली घर तो लगाये गये, पर कोयले का उत्पादन बढ़ाने पर जोर नहीं दिया गया. इससे देश भर के पावर प्लांट में कोयले की कमी हो गयी है. अभी विदेशों से 117 मिलियन टन कोयला मंगाया जा रहा है. हम सौ दिनों में कोयला उत्पादन तो बढ़ा नहीं सकते, पर यह सुखद है कि मोदी सरकार ने गत तीन महीनों में ताप बिजली का उत्पादन 21 फीसदी बढ़ाने में सफलता हासिल की है.