पीएजी ने पत्रकारों से कहा
रांची : झारखंड की प्रधान महालेखाकार (पीएजी) मृदुला सप्रु ने बताया कि राज्य सरकार इंदिरा आवास योजना में केंद्र से 256.42 करोड़ रुपये नहीं ले सकी. राज्य के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों में 26 से 85 फीसदी तक दवा की कमी है. एएनएम और नर्से गांवों में ऐसी दवाएं बांट रही हैं, जिन्हें बांटने का उन्हें कानूनी अधिकार नहीं है.
इस दवाओं से मरीजों की जिंदगी पर खतरा हो सकता है. प्रधान महालेखाकार मंगलवार को पत्रकारों से बात कर रही थी. उन्होंने बताया : पथ निर्माण विभाग की ओर से की गयी उपलब्धियों का दावा सही नहीं है. पेयजल विभाग में अधूरी योजनाओं को भी पूर्ण बता दिया गया है. विभिन्न योजनाओं से जुड़े उपकरण गोदामों में पड़े हैं. सिर्फ सात फीसदी जनता को ही पाइप लाइन से पेयजलापूर्ति उपलब्ध हो पायी है. राज्य सरकार अनुदान के पैसे भी खर्च नहीं कर रही है.
सात क्षेत्रों की ऑडिट हुई : विधानसभा में पेश वित्तीय वर्ष 2012-13 की सीएजी रिपोर्ट की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा : सात सामाजिक क्षेत्रों इंदिरा आवास, ग्रामीण पेयजलापूर्ति, स्वास्थ्य, कृषि विकास योजनाएं, पथ निर्माण, इ-डिस्ट्रिक्ट और शिक्षा की ऑडिट की गयी. उन्होंने कहा : इंदिरा आवास में राज्य सरकार ने अपने हिस्से का 11.89 करोड़ रुपये कम विमुक्त किया है. इस कारण केंद्र सरकार से 256.42 करोड़ रुपये नहीं मिले. प्रखंडों और डीआरडीए ने 142.61 करोड़ रुपये का उपयोगिता प्रमाण पत्र राज्य सरकार को नहीं दिया है.
इसके बावजूद राज्य सरकार ने केंद्र को उपयोगिता प्रमाण पत्र मिलने की रिपोर्ट भेज दी है. राज्य सरकार ने अतिरिक्त बोझ के डर से बीपीएल सर्वे 2010 के 9.90 लाख बीपीएल परिवारों को इंदिरा आवास योजना का लाभ नहीं दिया. 14 प्रखंडों की जांच में 25425 लाभुकों का चयन ग्राम सभा के बिना ही किये जाने का मामला पाया गया है. सरकार ने 593 ऐसे लोगों को इंदिरा आवास स्वीकृत किया है, जिनका नाम बीपीएल सूची में नहीं है.
छह प्रखंडों में 474 इंदिरा आवास ऐसे लोगों को स्वीकृत किया गया है, जिनका बीपीएल नंबर सरकार के बीपीएल नंबर से मेल नहीं खाता है. 17 प्रखंडों की जांच में पाया गया है कि 2008 से 2011 की अवधि में स्वीकृत 29118 इंदिरा आवासों में से जुलाई 2013 तक 22 प्रतिशत का निर्माण अधूरा था. स्टेट लेवल मॉनीटरिंग कमेटी की मीटिंग 2010-13 की अवधि में 12 बार के बदले सिर्फ दो ही बार हुई.
36 कम्युनिटी हेल्थ सेंटर की जांच
रिपोर्ट पर चर्चा करते हुए सीएजी ने बताया : स्वास्थ्य सेवाओं में 36 कम्युनिटी हेल्थ सेंटर (सीएचसी) की जांच की गयी. मापदंड के अनुसार सीएचसी के अधीन 220 प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र (पीएचसी) को कार्यरत होना चाहिए था. लेकिन सिर्फ 53 अर्थात 24 प्रतिशत पीएचसी ही कार्यरत पाये गये. 53 में से 17 पीएचसी बगैर डॉक्टर के ही चल रहे थे. 11 वीं पंचवर्षीय योजनाओं में आधारभूत संरचना के निर्माण का लक्ष्य पूरा नहीं हो सका है, जबकि इस पर 221.98 करोड़ खर्च हो चुके हैं.
सीएचसी में 30 बेड के कार्यरत होने का प्रावधान है. नमूना जांच में सीएचसी में अधिकतम छह बेड ही कार्यरत पाये गये. इसके अलावा सीएचसी में 26 प्रतिशत से 85 प्रतिशत तक दवाओं की कमी पायी गयी. जबकि पीएचसी में एएनएम और नर्से मरीजों को ऐसी दवाएं दे रही हैं, जो सिर्फ निबंधित डॉक्टरों के आदेश के बाद ही दी जा सकती हैं. नमूना जांच के लिए चुने गये 36 सीएचसी में एक भी विशेषज्ञ डॉक्टर नहीं पाये गये.
सही नहीं पाये गये दावे
पथ निर्माण विभाग की चर्चा करते हुए प्रधान महालेखाकार ने कहा : 11 वीं पंचवर्षीय योजना के दौरान विभाग द्वारा किये गये दावे ऑडिट में सही नहीं पाये गये. विभाग ने इस अवधि में 2544 किमी सड़कों के सुदृढ़ीकरण का दावा किया है. जबकि ऑडिट में 1493 किमी पर ही काम पूरा होने की बात सामने आयी. इस अवधि में 262 सड़कों के निर्माण का काम शुरू किया गया था.
161 का काम पूरा हुआ है और 101 अधूरे हैं. विभाग ने 43 संकरे और पुराने पुलों को नये सिरे से बनाने या उसे चौड़ा किये बिना ही 450.87 करोड़ की लागत से 22 सड़कों के चौड़ीकरण का काम शुरू किया है. विभाग ने पीपीपी मोड में सड़क निर्माण के लिए सही आकलन किये बिना ही एन्यूटी मोड में एसपीवी बनाने का फैसला किया. इसके बाद एसपीवी के अधीन फिर एक कंपनी बना ली, जो तर्कसंगत नहीं है. पीपीपी मोड की परियोजनाओं के लिए अब तक टोल प्लाजा का निर्माण नहीं हो सका है. इसमें गोविंदपुर-जामताड़ा, आदित्यपुर-कांड्रा और रांची-पतरातू सड़क शामिल हैं.
दो ग्रामीण पाइप लाइन योजना की ऑडिट
पेयजल विभाग की चर्चा करते हुए सीएजी ने कहा : 10 में से सिर्फ दो ग्रामीण पाइप लाइन पेयजलापूर्ति योजनाओं की ऑडिट की गयी. पाया गया कि विभाग ने जमीन अधिग्रहण सहित विभिन्न विभागों से अनापत्ति प्रमाण पत्र लेने से पहले ही काम शुरू कर दिया था. इससे उसे काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. ऑडिट में पाया गया कि राज्य की सिर्फ सात प्रतिशत ग्रामीण जनता को ही पाइप लाइन से जलापूर्ति हो पा रही है.
नेशनल रूरल ड्रिंकिंग वाटर प्रोग्राम (एनआरडीडब्ल्यूपी) के मापदंडों के अनुसार ग्रामीण पाइप लाइन, पेयजलापूर्ति का उद्देश्य ग्रामीणों को उनके घर तक पेयजलापूर्ति करना है. विभाग ने कुछ योजनाओं में घर के बाहर वाटर पोस्ट लगा कर योजनाओं को पूरा बता दिया है, जो सही नहीं है. ऑडिट में इस बात पर आपत्ति किये जाने के बाद विभाग ने ग्रामीणों के घर के अंदर पाइप का कनेक्शन देने का फैसला किया है. राष्ट्रीय कृषि विकास योजना की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा : जिला कृषि योजना नहीं बनाने से राज्य सरकार इस मद में 93.37 करोड़ रुपये केंद्र से नहीं ले सकी.
माइक्रो लिफ्ट इरीगेशन सिस्टम की जांच में पाया गया कि 491 में 119 योजनाएं अब भी अधूरी हैं. इससे किसानों को सिंचाई की सुविधा नहीं मिल सकी. मशीन आदि के क्रय से संबंधित टेंडर के निबटारे में देर होने की वजह से कृषि परीक्षण एवं प्रशिक्षण केंद्र शुरू नहीं किया जा सका.
57.04 करोड़ खर्च नहीं कर सकी
रिपोर्ट के आधार पर उन्होंने बताया : मानव संसाधन विभाग को 12 वें वित्त आयोग की अनुशंसा के आलोक में 651.73 करोड़ रुपये मिलने थे. इस राशि का इस्तेमाल शिक्षा के क्षेत्र में आधारभूत संरचना के निर्माण में करना था. पर राज्य सरकार केंद्र से सिर्फ 379.77 करोड़ रुपये ही ले पायी. इसमें से भी अब तक 57.04 करोड़ रुपये खर्च नहीं कर सकी है. वित्त आयोग की अनुशंसा के आलोक में मिलनेवाली राशि से राज्य सरकार ने 11158 स्कूल भवनों के निर्माण की योजना बनायी थी. हालांकि 2008 तक सरकार ने इस दिशा में कोई काम नहीं किया.
2008 के बाद निर्माण लागत बढ़ने की वजह से सरकार ने 11158 स्कूल भवनों के बदले 1158 स्कूल भवन बनाने का फैसला किया. इसके बाद इसे घटा कर 655 स्कूलों का निर्माण का फैसला हुआ. हालांकि निर्माण कार्य सिर्फ 512 का ही शुरू किया गया. ऑडिट के दौरान 512 में से सिर्फ 108 स्कूल भवनों का निर्माण कार्य ही पूरा पाया गया.
पेयजल विभाग
– जमीन अधिग्रहण के बिना ही काम शुरू कर दिया
– सिर्फ सात प्रतिशत ग्रामीण जनता को ही पाइप लाइन से जलापूर्ति
– घर के बाहर वाटर पोस्ट लगा कर योजनाओं को पूरा बता दिया
– सरकार इस मद में 93.37 करोड़ रुपये केंद्र से नहीं ले सकी.
– माइक्रो लिफ्ट इरीगेशन सिस्टम की 491 में 119 योजनाएं अब भी अधूरी
मानव संसाधन विभाग
– 651.73 करोड़ की जगह 379.77 करोड़ ही ले पाया राज्य
– 11158 की जगह 108 स्कूल भवनों का निर्माण ही पूरा
इंदिरा आवास
– केंद्र से 256.42 करोड़ रुपये नहीं ले सका राज्य
– अतिरिक्त बोझ के डर से 9.90 लाख बीपीएल परिवारों को नहीं दिया लाभ
– 14 प्रखंडों की जांच में पाया गया कि 25425 लाभुकों का चयन ग्राम सभा के बिना हुआ
– 593 वैसे लोगों को इंदिरा आवास स्वीकृत किये गये जिनका नाम बीपीएल
की सूची में नहीं है
स्वास्थ्य सेवा
– 220 पीएचसी की जगह 53 पीएचसी ही कार्यरत
– 53 में से 17 पीएचसी बगैर डॉक्टर के ही
– सीएचसी में 26% से 85 %तक दवाओं की कमी
– सीएचसी में 30 बेड की जगह अधिकतम छह बेड ही कार्यरत पाये गये
– पीएचसी में एएनएम व नर्से मरीजों को ऐसी दवाएं दे रही हैं, जिन्हें बांटने का अधिकार उन्हें नहीं है
पथ निर्माण विभाग
– 2544 किमी सड़कों के सुदृढ़ीकरण का दावा पर 1493 किलोमीटर पर ही काम पूरा
– पुराने पुलों को चौड़ा किये बिना ही 450.87 करोड़ से 22 सड़कों के चौड़ीकरण का काम शुरू