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मुख्यमंत्री की भी नहीं सुनी, होगी कार्रवाई

रांची: मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के आदेश के बाद भी राज्य के पांच जिलों ने बैकवर्ड रिजन ग्रांट (बीआरजीएफ) का प्रस्ताव नहीं भेजा. पांचों जिलों रांची, जामताड़ा, रामगढ़, खूंटी व गढ़वा ने सीएम के आदेश को भी नहीं माना. यहां तक कि केंद्र सरकार द्वारा प्रस्ताव भेजने के लिए तय तिथि को भी नजरअंदाज किया. मुख्यमंत्री […]

रांची: मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के आदेश के बाद भी राज्य के पांच जिलों ने बैकवर्ड रिजन ग्रांट (बीआरजीएफ) का प्रस्ताव नहीं भेजा. पांचों जिलों रांची, जामताड़ा, रामगढ़, खूंटी व गढ़वा ने सीएम के आदेश को भी नहीं माना. यहां तक कि केंद्र सरकार द्वारा प्रस्ताव भेजने के लिए तय तिथि को भी नजरअंदाज किया. मुख्यमंत्री ने स्पष्ट किया था कि हर हाल में सारे जिले निर्धारित तिथि 15 जून तक प्रस्ताव भेज दें.

अफसरों से कहा था कि अगर उन्होंने समय से प्रस्ताव नहीं भेजा और झारखंड को राशि नहीं मिली, तो संबंधित अफसरों को सीधे तौर पर जिम्मेवार माना जायेगा और कार्रवाई की जायेगी. लेकिन इस आदेश के बाद भी प्रस्ताव नहीं भेजा गया. जिलों में बीआरजीएफ का काम उप विकास आयुक्त देखते हैं. उनकी देखरेख में सारा काम होता है. इधर, केंद्र सरकार ने भी झारखंड को स्पष्ट कर दिया था कि 25 जून के बाद वह प्रस्ताव पर विचार नहीं करेगी. ऐसे में इस तिथि तक प्रस्ताव भेजें, ताकि इस पर विचार कर राशि का आवंटन किया जा सके.

पिछले साल नहीं मिला था

पिछले साल जिलों की लापरवाही की वजह से राशि नहीं मिली थी. इससे झारखंड को बड़ा नुकसान हुआ था. केंद्र सरकार यह राशि शत प्रतिशत अनुदान के रूप में राज्यों को देती है. केंद्र से पैसा नहीं ले सकने पर सीधे राज्यों को आर्थिक क्षति होती है.

कई विकास कार्य होंगे प्रभावित

प्रस्ताव नहीं भेजने से इन जिलों को योजना के तहत राशि नहीं मिलेगी. हर जिले को औसतन 19 से 20 करोड़ रुपये मिलने थे. इस राशि से पंचायत भवन से लेकर गांवों के विकास के लिए महत्वपूर्ण योजनाओं का क्रियान्वयन करना है. इस तरह राज्य के 23 जिलों को करीब 460 करोड़ रुपये से अधिक मिलते हैं.

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