हजारीबाग: पूर्व वित्त मंत्री यशवंत सिन्हा समेत 62 भाजपा नेताओं को बुधवार को सीजेएम कोर्ट से जमानत मिल गयी. न्यायिक मजिस्ट्रेट आरबी पाल ने सभी को सात-सात हजार रुपये की दो जमानतों पर जेल से रिहा करने के आदेश दिये.
बेल बांड सीजेएम कोर्ट में जमा करने की प्रक्रिया देर शाम पूरी हुई. इस कारण 19 जून को सीजेएम कोर्ट से इन लोगों का रिलीज ऑर्डर जारी होगा. इसके बाद यशवंत सिन्हा समेत सभी भाजपा नेता जेपी केंद्रीय कारा से रिहा होंगे. ये लोग तीन जून से जेल में हैं. समझा जाता है कि पार्टी के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी के समझाने पर कोर्ट में जमानत याचिका पेश की गयी.
इससे पूर्व सोमवार को धारा 164 के तहत अदालत में दर्ज कराये गये अपने बयान में शिकायतकर्ता झारखंड राज्य विद्युत बोर्ड के महाप्रबंधक धनेश झा ने कहा था कि उन्होंने श्री सिन्हा और उनके समर्थक प्रदर्शनकारियों को स्वयं नहीं देखा था.
उन्होंने अदालत को बताया कि दूसरे लोगों के कहने पर उन्होंने श्री सिन्हा और अन्य लोगों के नाम प्राथमिकी में लिखवाये थे. धनेश झा के इस बयान से पहले ही यह मामला कमजोर हो गया था.
यशवंत सिन्हा ने हजारीबाग में बिजली की दस घंटे तक की कटौती के खिलाफ आंदोलन करते हुए दो जून को अपने समर्थकों के साथ अपनी गिरफ्तारी के बाद जमानत लेने से मना कर दिया था. इसके बाद न्यायिक मजिस्ट्रेट आरबी पाल ने इन सभी को तीन जून को 14 दिन की न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया था. यह अवधि पूरी होने के बाद एक बार फिर जमानत लेने से इनकार करने पर अदालत ने उनकी तथा उनके समर्थकों की हिरासत अवधि 28 जून तक बढ़ा दी थी.
पार्टी के पूरे आंदोलन को इस वर्ष के अंत में झारखंड में होने वाले विधानसभा चुनावों से जोडकर देखा जा रहा है. मंगलवार को भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी दिल्ली से यहां आये और जेल में बंद श्री सिन्हा तथा उनके समर्थकों से मुलाकात कर आंदोलन के साथ अपनी एकजुटता प्रकट की थी. उन्होंने श्री सिन्हा से कहा था कि वह जमानत लेकर जेल से बाहर आयें और पूरे राज्य में बिजली और अन्य जनसमस्याओं को लेकर बड़े आंदोलन का नेतृत्व करें. समझा जाता है कि श्री आडवाणी और इससे पूर्व भाजपा के अध्यक्ष राजनाथ सिंह द्वारा भेजे गये पार्टी महासचिव राजीव प्रताप रुड़ी व राष्ट्रीय प्रवक्ता सैयद शाहनवाज हुसैन के अनुरोध को देखते हुए श्री सिन्हा ने जमानत के लिए अदालत में याचिका पेश की.
मामला क्या है
दो जून को यशवंत सिन्हा समेत सैंकड़ों भाजपा नेता विद्युत महाप्रबंधक कार्यालय में धरना-प्रदर्शन दिया था. बेस गांव में बिजली नहीं पहुंचने को लेकर महाप्रबंधक के समक्ष उग्र विरोध दर्ज किया था. सदर थाना में केस नंबर 561/2014 के तहत नौ लोगों को नामजद अभियुक्त और 42 को अन्य में आरोपी बनाया था. तीन जून को सीजेएम कोर्ट ने इस मामले में सभी को जेपी केंद्रीय कारा भेज दिया था. इसके बाद भाजपा की ओर से बिजली को लेकर चरणबद्ध आंदोलन चलाया जा रहा है.
बचाव पक्ष की दलील
अधिवक्ता राजकुमार राजू ने बताया कि यशवंत सिन्हा समेत भाजपा नेताओं का आंदोलन जनहित में था. बेस गांव में बिजली नहीं मिलने को लेकर सभा की गयी थी. बिजली की मांग बिल्कुल उचित थी. इन पर लगाये गये आरोप इस दायरे में नहीं आता है. विद्युत महाप्रबंधक धनेश झा ने भी 164 के बयान के तहत न्यायालय में अपना पक्ष रखा है. इससे भी यशवंत सिन्हा समेत भाजपा नेताओं पर आरोप नहीं बनता है. कोर्ट ने दलील सुनने के बाद दो घंटे निर्णय सुरक्षित रखा. इसके बाद निर्णय सुनाया.