रांची: नगर निगम में नक्शा पास करवाने के खेल में पार्षद और पूर्व पार्षद भी शामिल हैं. ये वे पार्षद हैं, जो शायद अपने मोहल्ले की समस्याओं को लेकर निगम शायद ही आये हों, परंतु निगम अधिकारियों के समक्ष नक्शे की समस्या को लेकर जरूर आते हैं. वहीं आधा दर्जन से अधिक पार्षद ऐसे भी हैं जिनकी नजर मोहल्ले में बिना नक्शे के बन रहे मकानों पर रहती है.
ऐसे भवन मालिकों से पार्षद कहते हैं कि बिना नक्शा का मकान बना रहे हो, नगर निगम में अगर आपके विरोध में शिकायत कर देंगे, तो नगर निगम भवन भी तोड़ेगा और जुर्माना भी वसूलेगा. भवन मालिक भी पार्षदों के इस भयादोहन से डर कर उन्हें खरचा पानी देकर उनका मुंह बंद करवाते हैं. अगर कोई भवन मालिक पार्षदों के इन बातों को मानने से इनकार करता है, तो ऐसे पार्षद निगम में जाकर अवैध निर्माण होने की शिकायत करते हैं. अगर शिकायत पर भी कार्रवाई न हो तो फिर ऐसे मामलों को ये पार्षद बोर्ड की बैठक में भी जोर शोर से उठाते हैं.
एक पूर्व पार्षद सब पर भारी
यूं तो नगर निगम में 55 पार्षद हैं, पर नगर निगम की नक्शा शाखा में एक पूर्व पार्षद का जलवा बरकरार है. चपरासी, क्लर्क से लेकर टाउन प्लानर तक इस पार्षद के मुरीद हैं. महंगी गाड़ियां और महंगे मोबाइल इस पूर्व पार्षद के शौक में शामिल है. पार्षद का प्रशासन के एक अधिकारी के साथ भी कृष्ण-सुदामा जैसा रिश्ता है.
केस स्टडी
पार्षद कर रहे संपर्क
नगर निगम के एक पार्षद हाल में ही निगम के एक पदाधिकारी के समक्ष पहुंचे और उससे 20 हजार रुपये की मांग की. पार्षद ने अधिकारी से कहा कि बहुत पैसा आप लोग कमा रहे हैं, हम लोगों को कुछ मिल नहीं रहा है. इस पर पदाधिकारी ने उससे कहा कि वह पैसा तो नहीं दे सकते, पर आप नक्शा का पार्टी लेकर आये, उसे हर नक्शे के हिसाब से हिस्सा मिलेगा. उसके बाद से वह पार्षद बहुमंजिली इमारतों के निर्माण करने के इच्छुक रखने वाले लोगों से संपर्क करता है, वह बिल्डरों को आश्वस्त करता है कि वह निगम में नक्शा पास करवा देगा.