रांची: नमो लहर से उत्साहित भाजपा ने नया कार्ड चला है. विधानसभा की सीटें बढ़ाने का पासा फेंका गया है. भाजपा की रणनीति है कि विधानसभा की सीटें बढ़वा कर छोटे दलों को साइड लाइन किया जाये. 150 या उससे ज्यादा सीटों पर छोटे दल फैक्टर नहीं बन पायेंगे. भाजपा राजनीतिक लड़ाई में कांग्रेस जैसे राष्ट्रीय दलों के साथ आना चाहती है.
वर्तमान राजनीतिक परिस्थिति में दो-चार सीटें ला कर सत्ता की राजनीति को प्रभावित करनेवाले दलों का रास्ता रोकने की तैयारी है. केंद्र में भाजपा की सरकार बनते ही, प्रदेश के नेताओं ने इसके लिए जोर लगाना शुरू कर दिया है. प्रदेश के नेताओं ने पार्टी के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी तक बात पहुंचायी है. विधानसभा की सीटें बढ़ने के बाद झामुमो, झाविमो, आजसू, जदयू, राजद जैसे क्षेत्रीय दलों को प्रभावी बनने के लिए मशक्कत करनी होगी. झारखंड की 13 वर्ष की राजनीति में सत्ता के लिए उथल-पुथल और बार्गेन की राजनीति से बचने के लिए भाजपा रास्ता निकालने में जुट गयी है.
पांच बार भेजा गया है प्रस्ताव, लटकाता रहा है केंद्र
झारखंड विधानसभा की सीटें बढ़ाने का मामला लटकता रहा है. इस दिशा में एक कदम भी नहीं बढ़ाया गया है. अब तक पांच बार झारखंड में विधानसभा की सीटें बढ़ाने की सिफारिश भेजी गयी है. बहुमत से विधानसभा में यह प्रस्ताव पारित भी किया गया है. झारखंड विधानसभा के गठन से ही राज्य में सीटें बढ़ाने की बात कही जाती रही है. इस मुद्दे को लेकर विधानसभा के अंदर कई बार बहस हुई. विधायकों का कहना था कि जनसंख्या के आधार पर विधानसभा क्षेत्रों का फिर से परिसीमन होना चाहिए. विधानसभा की सीटें बढ़ायी जानी चाहिए. 2002, 2004, 2005, 2007 और 2009 में यह प्रस्ताव केंद्र को भेजा गया था.
परिसीमन के लिए 15 जून 2005 में बनी थी कमेटी
सीटों के परिसीमन के लिए 15 जून 2005 में विधानसभा की कमेटी बनी थी. वर्तमान लोकसभा के उपाध्यक्ष कड़िया मुंडा इस कमेटी के संयोजक थे. कमेटी ने राज्य में नये सिरे से विधानसभा की सीटों के परिसीमन का प्रस्ताव तैयार किया था. 4 जुलाई 2005 को कमेटी ने रिपोर्ट सौंपी थी. कमेटी ने विधानसभा की सीटें 81 से बढ़ाकर 150 करने का प्रस्ताव तैयार किया था. इस पर पूरे सदन का अनुमोदन मिला था.