रांची: लोकसभा चुनाव बाद हेमंत सोरेन सरकार पर हमला तेज होगा. लोकसभा चुनाव में राजनीतिक उथल-पुथल में सत्ता पक्ष के कई विधायकों ने पाला बदला है. सरकार पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं. मंत्री साइमन मरांडी ने भी झामुमो के खिलाफ मोरचा खोल दिया है. इधर सत्ता पक्ष ने भी सदन के अंदर आंकड़ों के खेल को पुख्ता करने की रणनीति पर काम कर रहा है. सरकार को संकट से उबारने की रणनीति पर काम भी हो रहा है.
सत्ता पक्ष की नजर विपक्ष के प्यादे पर भी है. सदन के अंदर बहुमत साबित करने के समय मंत्री साइमन मरांडी ने इधर-उधर किया, तो सत्ता पक्ष झाविमो के निष्कासित विधायक निजामुद्दीन का कार्ड खेल सकता है. फिलहाल निजामुद्दीन झामुमो के पाले में है. निजामुद्दीन को सदन से अनुपस्थित करा कर विपक्ष के आंकड़े को कम किया जा सकता है. वहीं तृणमूल कांग्रेस के जवाब में जदयू विधायकों पर भी डोरे डाले जा रहे हैं. राजनीतिक सूत्रों के अनुसार हेमंत सोरेन ने जदयू विधायक राजा पीटर से संपर्क भी साधा था.
रिजल्ट पर बहुत कुछ निर्भर
वर्तमान राजनीतिक हालात पर सरकार का भविष्य लोकसभा चुनाव परिणाम पर टिका है. सत्ता पक्ष के तीन विधायक लोकसभा चुनाव में दिल्ली के दावेदार माने जा रहे हैं. इसमें झामुमो विधायक जगन्नाथ महतो, कांग्रेस के सौरभ नारायण सिंह और सरकार को समर्थन दे रहे निर्दलीय विधायक एनोस एक्का शामिल है. इन तीनों विधायकों में एक भी दिल्ली के रेस में आगे निकल गये, तो सरकार फंस सकती है. सत्ता पक्ष का सदन के अंदर आंकड़ा गड़बड़ा सकता है.
विधायकों को जीत के 14 दिनों के अंदर ही उच्च सदन की सदस्यता का शपथ लेना होगा. 14 दिनों के अंदर सदस्यता ग्रहण नहीं किया, तो स्वत: उच्च सदन की सदस्यता खत्म हो जाती है. ऐसे में विधायकों को संसद की सदस्यता हर हाल में लेनी होगी.