रांची: पुलिसकर्मियों के अभाव में निगरानी, सीआइडी व स्पेशल ब्रांच में काम की गति धीमी हो गयी है. थानों में पुलिसकर्मी नहीं है. शहर के चौक-चौराहों पर ट्रैफिक पुलिस नहीं है. शहर में नियमित गश्त नहीं हो पा रही है. थानों में पदाधिकारियों की भी कमी है. लगभग सभी पुलिसकर्मी चुनाव कार्य में लगाये गये हैं.
कुल 750 पुलिसकर्मियों को इन जगहों से हटा कर चुनाव ड्यूटी में लगाया गया है. आम जनता की सुरक्षा भगवान भरोसे चल रही है, लेकिन राज्य के वीआइपी की सुरक्षा में लगे जवान और उनके आवास की सुरक्षा में तैनात जवानों को चुनाव ड्यूटी से अलग रखा गया है. पुलिस के अधिकारियों के अनुसार राज्य के तीन वीआइपी पूर्व मुख्यमंत्री बाबू लाल मरांडी, पूर्व मुख्यमंत्री अजरुन मुंडा और पूर्व मुख्यमंत्री मधु कोड़ा की सुरक्षा में लगे फोर्स की संख्या को और बढ़ा दिया गया है. यानी चुनाव के दौरान आम जनता असुरक्षित हो गयी है और नेताओं की सुरक्षा बढ़ा दी गयी है. उनकी सुरक्षा से सरकार को कोई मतलब नहीं है.
सीएम के आदेश का भी नहीं हुआ पालन
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने गत 31 दिसंबर को आदेश दिया था कि वीआइपी सुरक्षा में लगे जवानों की संख्या कम की जाये. मंत्रियों की सुरक्षा की समीक्षा की जाये. यह तय किया जाये कि वीआइपी की सुरक्षा में लगे जवानों की संख्या को कैसे कम किया जायेगा. अफसरों ने मुख्यमंत्री के निर्देश पर मंत्रियों की सुरक्षा में तैनात जवानों की संख्या की गणना तो की, लेकिन तीन माह से अधिक समय बीतने के बाद भी सुरक्षा की समीक्षा नहीं की गयी.