पिता अरुण कुमार झा अपने दोनों पुत्रों के शव देख कर आवाक रह गये़ वह समझ नहीं पा रहे थे कि यह क्या हो गया़ अपने जिगर के टुकड़े केलिए उनके आंसू थम नहीं रहे थे. उनके मुंह से केवल यही शब्द निकला, यह क्या हो गया़ यह दृश्य देख कर पूरा माहौल गमगीन हो गया. परिवार के सभी सदस्य एक-दूसरे को ढाढ़स बंधा रहे थे. वहां उपस्थित अन्य लोगों की आंखें भी बार-बार छलक जा रही थी. शव यात्रा में बड़ी संख्या में लोग उमड़े थे. शव यात्रा में न सिर्फ मुहल्ले के लोग, बल्कि दूर-दराज से लोग भी शामिल होने पहुंचे थे.
दिन के साढ़े दस बजे शव यात्रा चुटिया केतारी बगान के स्वर्णरेखा नदी तट स्थित श्मशान घाट पहुंचा, जहां दोनों भाइयों के लिए दो चिता सजी थी. उनके चाचा ने दोनों को मुखाग्नि दी. दाह संस्कार के बाद परिवार के सभी लोग सीतामढ़ी स्थित अपने गांव चले गये. वहीं उनके अंतिम संस्कार के अन्य विधान निभाये जायेंगे. वहां उनकी मौसी को भी ले जाया गया है. पूरे दिन मोहल्ले में उन दोनों भाइयों की चर्चा होती रही. मालूम हो कि शुक्रवार को दरभंगा जाने के क्रम में रामगढ़ में हुई सड़क दुर्घटना में दोनों भाइयों की मौत हो गयी थी.