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आम्रपाली की जन्मस्थली पर लगाये जायेंगे आम के पौधे: रघुवंश सिंह

वैशाली : वैशाली के कण-कण में इतिहास छिपा है. जरूरत है इसे उजागर करने की. यह बात वैशाली के पूर्व सांसद एवं राजद के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष रघुवंश प्रसाद सिंह ने वैशाली के रामपुर रुद्र गांव में कहीं. सिंह गांव के शीला भगत के कुआं उड़ाही के दौरान मिले मिट्टी के बरतन, धातु के कटोरा आदि […]

वैशाली : वैशाली के कण-कण में इतिहास छिपा है. जरूरत है इसे उजागर करने की. यह बात वैशाली के पूर्व सांसद एवं राजद के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष रघुवंश प्रसाद सिंह ने वैशाली के रामपुर रुद्र गांव में कहीं. सिंह गांव के शीला भगत के कुआं उड़ाही के दौरान मिले मिट्टी के बरतन, धातु के कटोरा आदि देखने पहुंचे थे. उन्होंने कहा कि उद्रक रामपुत्र भगवान बुद्ध के द्वितीय गुरु थे जो आठ भाषाओं के जानकार थे और शायद इसी गांव रामपुर रुद्र में उनकी कुटिया रही होगी. सिंह ने कहा कि प्रारंभ से ही वैशाली का विकास हमारी सर्वोच्च प्राथमिकता रही है. आम्रपाली के जन्म स्थल पर सभी किस्म के आम के पौधे लगाये जायेंगे.

साथ ही बुद्ध की प्रतिमा के सामने आम्रपाली की भी दंडवत की मुद्रा में मूर्ति स्थापित की जायेगी. रामपुर रुद्र के लोगों ने गांव के और भी कुआं की खुदाई के दौरान मिले सिलोट आदि को भी दिखाया. अंचलाधिकारी को श्री सिंह ने सभी पर्यटक स्थलों की चहारदीवारी बनाने के लिए मास्टर प्लान बनाने की बात कही. इतिहासकार प्रो सच्चिदानंद चौधरी ने कहा कि पुरातात्विक वस्तुओं की उपलब्धता इस क्षेत्र को बुद्ध और वैशाली के इतिहास को जोड़ने में सहायक है.

किंतु यह भगवान बुद्ध के दूसरे गुरु उद्रक रामपुत्र, जो नइब संज्ञा ना संज्ञायतन की विशेषज्ञता रखते थे, उसी ज्ञान को हासिल करने बुद्ध अलार कलाम से न्यायतन की शिक्षा लेने के बाद यहां आये थे. उन्होंने कहा कि बालुकाराम बौद्ध धर्म के द्वितीय संगति के विवाद को अंजाम तक पहुंचाने के लिए बैठक का केंद्र बिंदु बना था. इस मौके पर थाईलैंड मंदिर के भंते डॉ पीसी चंद्रा, प्राकृत शोध संस्थान के निदेशक ऋषभचंद जैन, हरेंद्र राय आदि मौजूद थे.

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