कसा शिकंजा . दुकान का शटर काट कर करते थे चोरी
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मोबाइल चोर गिरोह का भंडाफोड़
कसा शिकंजा . दुकान का शटर काट कर करते थे चोरी हाजीपुर : पुलिस ने अंतरजिला शटर कटवा मोबाइल चोर गिरोह का भंडाफोड़ करते हुए गैंग के चार सदस्यों को धर दबोचा. इनके पास से चोरी के 26 मोबाइल, 90 चार्जर, 65 पलक तार, 61 इयरफोन, छह मोबाइल की बैटरी और शटर काटने वाला दो […]
हाजीपुर : पुलिस ने अंतरजिला शटर कटवा मोबाइल चोर गिरोह का भंडाफोड़ करते हुए गैंग के चार सदस्यों को धर दबोचा. इनके पास से चोरी के 26 मोबाइल, 90 चार्जर, 65 पलक तार, 61 इयरफोन, छह मोबाइल की बैटरी और शटर काटने वाला दो कटर बरामद किया है. गिरोह का मास्टर माइंड नगर थाना क्षेत्र का रहने वाला है जबकि उसका एक साथी दरभंगा और दो अन्य हाजीपुर के रहने वाले हैं. बीते शनिवार की रात नगर थाने के जौहरी बाजार में औद्योगिक थानाध्यक्ष के नेतृत्व में की गयी छापेमारी में पुलिस को यह सफलता मिली. इस संबंध में एसपी राकेश कुमार ने बताया कि पुलिस को सूचना मिली कि जौहरी बाजार में कुछ संदिग्ध लोग जुटे हैं
और किसी अपराध की योजना बना रहे हैं. उन्होंने औद्योगिक थानाध्यक्ष मधुरेंद्र कुमार के नेतृत्व में नगर थाने के अवर निरीक्षक मो़ कलाम और मनोज ठाकुर तथा सशस्त्र बलों की एक टीम गठित की. टीम ने सूचना के आधार पर जौहरी बाजार में छापेमारी की. पुलिस के पहुंचते ही सभी अपराधी वहां से भागने लगे. पुलिस ने खदेड़ कर दो अपराधी को धर दबोचा. पूछताछ के दौरान पता चला कि पकड़ाया मनीष कुमार सहनी नगर थाने के मोहल्ले के नखास चौक का रहने वाला है.
वह गिरोह का मास्टर माइंड है. उसके साथ पकड़ाया भूषण कुमार दरभंगा जिले के लहेरियासराय थाना क्षेत्र के मौलागंज का रहने वाला है. तलाशी के क्रम में दोनों के पास से दस मोबाइल, 90 चार्जर, छह बैटरी, 41 इयरफोन और 65 पीस पलक तार बरामद किया है. मनीष की निशानदेही पर टीम ने नगर थाना क्षेत्र के नखास चौक से पप्पू सहनी और गुदरी बाजार से रवि कुमार को गिरफ्तार किया. इन दोनों के पास से 16 मोबाइल, दो कटर और 20 इयरफोन बरामद हुआ.
नगर पुलिस ने गिरोह के एक सदस्य को चार दिन पहले ही वाहन चेकिंग के दौरान पुरानी गंडक पुल के समीप से 15 मोबाइल के साथ गिरफ्तार किया था. पूछताछ के दौरान इस बात का खुलासा हुआ था कि पकड़ा गया विकास कुमार यूपी के गाजियाबाद का रहने वाला है और हाजीपुर में डाकबंगला रोड में किराये के मकान में रहता है.
दिन में नौका विहार और रात में करता था चोरी : एसपी द्वारा गठित टीम द्वारा पकड़े गये अपराधियों ने पूछताछ के दौरान इस बात का खुलासा किया कि गिरोह के सदस्य पुलिस से बचने के लिए दिन में नाव पर सवार होकर गंगा नदी में रहते थे. उसके साथी शहर में मोबाइल दुकान को चिह्नित कर मास्टर माइंड मनीष को जानकारी देते थे.
मनीष चिह्नित दुकान की पहले रेकी करता था और फिर योजना के अनुसार घटना को अंजाम दिया जाता था. पुलिस को शक नहीं हो इसके लिए दिन में गिरोह के सदस्य शहर में नहीं निकलते थे. शाम ढलने के बाद किसी घाट पर नाव बांधकर गिरोह के सदस्य शहर में चहलकदमी करने लगते थे. दिन का खाना नाव पर ही काफी गोपनीय तरीके से गिरोह के नये सदस्य द्वारा पहुंचा दिया जाता था.
स्कूल और कॉलेज के छात्र होते थे इनके ग्राहक : चोरी की मोबाइल बेचने के लिए गिरोह ने अपना नेटवर्क फैला रखा था. चोरी की मोबाइल के ज्यादातर खरीददार स्कूल और कॉलेज के छात्र होते थे. नेटवर्क में शामिल गिरोह के सदस्य कम कीमत में नया मोबाइल उपलब्ध करा देते थे. चार-पांच हजार रुपये का मोबाइल महज एक से डेढ़ हजार रुपये बेच दिया जाता था. एक साथ चार से पांच मोबाइल लेने पर इसकी कीमत आधी हो जाती थी. दो दिन पहले ही 20 हजार का चार मोबाइल महज साढ़े चार हजार रुपये में बेच दिया गया.
शहर में दो मोबाइल दुकान में हुई थी भीषण चोरी : नगर थाना क्षेत्र के अनवरपुर चौक और राजेंद्र चौक स्थित दो मोबाइल की दुकान से लाखों रुपये के मोबाइल चोरी हो गये थे. पुलिस द्वारा बरामद किये गये मोबाइल की जांच-पड़ताल से यह स्पष्ट हुआ है कि बरामद मोबाइल इन्हीं दुकानों से चुराया गया था. मालूम हो कि बीते 8 सितंबर को राजेंद्र
चौक स्थित रैनवो मोबाइल दुकान का शटर काटकर साढ़े दस लाख रुपये के मोबाइल चोरी कर लिया था. इस संबंध में दुकानदार ज्योति कुमार के बयान पर नगर थाने में कांड संख्या 630/16 के तहत अज्ञात अपराधियों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई थी. इसके पहले एक जुलाई को अनवरपुर चौक स्थित मोबाइल दुकान में सेंधमारी कर लगभग दस लाख रुपये के मोबाइल चोरी हो गया था. शहर में चोरी की घटना को लेकर मोबाइल दुकानदारों ने बीते 8 सितंबर को राजेंद्र चौक पर टायर जलाकर पुलिस प्रशासन के खिलाफ विरोध-प्रदर्शन किया था.
गैंग के मास्टर माइंड समेत चार शातिर सदस्यों को पुलिस ने दबोचा
नदी किनारे बालू में छुपा कर रखते थे मोबाइल
चोरी की मोबाइल को गिरोह द्वारा नदी किनारे बालू में गाड़कर रखा जाता था. पकड़े जाने के डर से गिरोह के सदस्य चोरी के मोबाइल को अपने घर अथवा रिश्तेदार के यहां नहीं रखते थे. मोबाइल के ग्राहक की मांग और कीमत के अनुसार बालू से निकाला जाता था. इसके बाद नेटवर्क में शामिल गिरोह के सदस्य उसे किसी लॉज या कॉलेज के आसपास लेकर पहुंच जाते थे. यह धंधा काफी गोपनीय तरीके से इस प्रकार किया जाता था कि स्थानीय पुलिस को इसकी भनक तक नहीं लगती थी.
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