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चचेरे भाई का अपहरण कर हत्या के दोषी को उम्रकैद

23 जुलाई , 2009 को हुअा था अपहरण 24 जुलाई को समस्तीपुर के सरायरंजन के रामपुर बुजुर्ग चौड़ से मिला था शव हाजीपुर : सात साल पूर्व अपने 10 वर्षीय चचेरे भाई का अपहरण कर हत्या करने के दोषी को न्यायालय ने आजीवन कारावास की सजा सुनायी है. अपर जिला एवं सत्र न्यायधीश पंचम कन्हैया […]

23 जुलाई , 2009 को हुअा था अपहरण

24 जुलाई को समस्तीपुर के सरायरंजन के रामपुर बुजुर्ग चौड़ से मिला था शव
हाजीपुर : सात साल पूर्व अपने 10 वर्षीय चचेरे भाई का अपहरण कर हत्या करने के दोषी को न्यायालय ने आजीवन कारावास की सजा सुनायी है. अपर जिला एवं सत्र न्यायधीश पंचम कन्हैया राम ने जंदाहा थाना कांड संख्या- 93/09 की सुनवाई सत्र वाद संख्या-70/10 के अंतर्गत करने के बाद एकमात्र अभियुक्त अभय कुमार उर्फ पलुआ को भादवि की धारा-364 एवं 302 के अपराध के लिए आजीवन करावास की सजा सुनायी. इस मामले में अभियोजन पक्ष की ओर से अपर लोक अभियोजक शिव शंकर प्रसाद सिन्हा ने न्यायालय में नौ साक्षियों के साक्ष्य कराये,
जबकि सफाई पक्ष की ओर से वरीय अधिवक्ता रामेश्वर राय ने पैरवी की.
क्या है मामला : जंदाहा थाने के महिसौर गांव निवासी विश्वनाथ शर्मा के 10 वर्षीय पुत्र आलोक कुमार का 23 जुलाई , 2009 को अपहरण हो गया था और पुलिस ने 24 जुलाई को समस्तीपुर जिले के सरायरंजन थाना क्षेत्र के रामपुर बुजुर्ग चौड़ से उसका शव बरामद किया था. इस मामले में मृतक की मां नीला देवी के बयान पर जंदाहा पुलिस ने थाना कांड संख्या-93/09 दर्ज की थी. अपने बयान में मृतक की मां ने आरोप लगाया था कि उसके पुत्र आलोक कुमार को उसके अपने जाउत अभय कुमार उर्फ पलुआ 23 जुलाई को बहला -फुसलाकर अपने साथ ले गया. रात्रि सात बजे तक नहीं लौटने पर उसने खोजबीन की, लेकिन वह नहीं मिला. अपने जाउत पर अपहरण का आरोप लगाते हुए प्राथमिकी दर्ज करायी थी. पुलिस ने जब पलुआ को हिरासत में लेकर पूछताछ की, तब उसकी निशानदेही पर समस्तीपुर जिले के सरायरंजन थाना क्षेत्र के रामपुर बुजुर्ग चौड़ से शव बरामद हुआ.
क्या है निर्णय : इस मामले में अभियोजन पक्ष की ओर से न्यायालय में पेश साक्ष्यों एवं दोनों पक्षों की सुनवाई के बाद न्यायालय ने चार अगस्त को अभय कुमार को भादवि की धारा-364 एवं 302 के अपराध का दोषी पाया. बुधवार को सजा के बिंदु पर दोनों पक्षों की सुनवाई के बाद न्यायालय ने भादिव की धारा-302 के अपराध के लिए आजीवन सश्रम कारावास और 30 हजार रुपये का अर्थदंड, अर्थदंड न देने पर 6 माह का अतिरिक्त कारावास, धारा-364 के अपराध के लिए 10 साल सश्रम कारावास और 10 हजार रुपये का अर्थदंड, अर्थदंड की राशि नहीं देने पर चार माह का अतिरिक्त कारावास की सजा सुनायी. सभी सजाएं साथ-साथ चलेंगी.

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