शिक्षा को बना लिया एक व्यवसाय
राजदेव राय और उसके परिवार के लिए शिक्षा एक उत्तम व्यवसाय है. ऐसा उसके कॉलेज आने-जाने वालों का मानना है. लोगों का कहना है कि इस कॉलेज में नामांकित बच्चों को कितना शुल्क बताया गया और कितना वसूला गया यह कोई नहीं जानता है. परीक्षा पास करने के बाद प्रमाणपत्र लेने आनेवाले कई छात्र और अभिभावक कार्यालय में रोते पाये जाते हैं. लेकिन, मुंहमांगी राशि मिले बगैर शायद ही किसी का प्रमाणपत्र दिया जाता हो.
नर्सरी से 10वीं तक का होता है क्लास
इस कॉलेज के भवन में संचालित सीबीएसइ के आरडी पब्लिक स्कूल की कक्षा नियमित रूप से संचालित होती है. इसके अलावा जितने भी शिक्षण संस्थानों के बोर्ड लगे हैं, उनमें से किसी की कभी कक्षा नहीं लगती. यानी एक साथ एक दर्जन शिक्षण संस्थानों में कागज पर नामांकन, वर्ग संचालन और परीक्षा प्रपत्र भरने की कार्रवाई पिछले कई वर्षों से चल रही है.
कई वर्षों से टॉपर को लेकर चर्चित रहे विशुन राय कॉलेज के दो मंजिले भवन में कहीं भी क्लास चलाये जाने के संसाधन नहीं दिखते. कॉलेज के सभी कमरे में प्रयोगशाला के सामान, उपस्कर, पुस्तकालय गोदाम के सामान के अलावा एक प्रधान लिपिक का कक्ष है, जिसके बाहर प्रभारी को छोटा-सा बोर्ड लगा हुआ है. यहां इंटर से लेकर डिग्री तक, बीएड, आइटीआइ और सीबीएसइ स्कूल सभी का कामकाज एक ही जगह से संचालित होता है. स्वयं बच्चा राय सभी का कामकाज देखते रहे हैं. दूसरे के हाथ में कोई पावर नहीं दिया गया है.
एक कॉलेज, जहां होती है नर्सरी की पढ़ाई
कीरतपुर राजाराम भगवानपुर स्थित वीआर कॉलेज अपने कई कारणों से चर्चा के केंद्र में है. यहां संचालित राजदेव राय डिग्री कॉलेज के भवन में सीबीएसइ से मान्यता प्राप्त आरडी पब्लिक स्कूल का संचालन हो रहा है. वहीं, एक ही भवन में कई शिक्षण संस्थानों के बोर्ड टंगे हैं. लेकिन कोई नहीं जानता कि वह संस्थान कहां चल रहे हैं और उसके शिक्षक एवं छात्र कहां हैं. इसी परिसर का विशुन राय कॉलेज आजकल विवादों से घिरा है. कॉलेज के छात्र इंटर साइंस और इंटर कला में स्टेट टॉपर बने हैं. इन पर मेरिट नहीं होने और कॉपियां बदलने को लेकर प्राथमिकी दर्ज की गयी है.
कहते हैं कि आदमी के पास जब धन आता है, तो वह अपने पुराने दिनों को भूल कर अपने से ऊपर वर्ग में शामिल होने के लिए मचलने लगता है. यह राजदेव राय पर पूरी तरह सत्य बैठता है.मजदूरी करनेवाले राजदेव राय ने अपने आपको सामंत के श्रेणी में लाने के लिए एक हाथी खरीदी और लगभग एक दशक से वह नियमित रूप से उसे पाल रहा है. इसके साथ ही परिवार के पास कई महंगी लग्जरी गाड़ियां भी हैं.
बाबा साहब भीमराव आंबेडकर बिहार विश्वविद्यालय की संबद्धता प्राप्त इकाई राजदेव राय डिग्री कॉलेज कहां संचालित हो रही है, यह न तो स्थानीय लोग जानते हैं और न ही उसके शिक्षक. शिक्षक केवल इसी शर्त पर शिक्षक हैं कि वह अपने नाम के आगे प्रोफेसर लिखें, लेकिन उन्हें वेतन सहित किसी भी सुविधा की मांग नहीं करनी होगी. इसके बदले महाविद्यालय प्रबंधन उन्हें कभी कॉलेज नहीं आने की छूट प्रदान करता है.
अपने जीवन के प्रारंभिक दिनों में जब राजदेव राय भगवानपुर के गोदामों में मजदूरी कर रहे थे, तब उसी गांव का एक महादलित युवक पढ़-लिख कर कृषि विभाग का बड़ा पदाधिकारी बन गया.पदाधिकारी बनने के बाद गांव में जमीन खरीदने की उनकी इच्छा बलवती हुई और एक विश्वासी व्यक्ति की तलाश प्रारंभ हुई. इस दौरान उनकी नजर राजदेव राय पर पड़ी. प्रारंभिक दिनों में उस पदाधिकारी ने जो भी जमीन खरीदी या गांव में जो कुछ भी किया, उसकी देखरेख की जिम्मेवारी राजदेव राय निभाते रहे. अधिकारी के लिए जमीन खरीदने के दौरान बची राशि से वे अपने लिए भी थोड़ी बहुत जमीन लिखाते रहे.अधिकारी के लिए जमीन खरीदने के दौरान दरबार से बढ़ी अंतरंगता ने समाज में उनकी प्रतिष्ठा को बढ़ाया और उन्होंने इसका जम कर दुरुपयोग भी किया. हालांकि भूमि विवाद से संबंधित कई मामले आज भी न्यायालय में विचाराधीन हैं, लेकिन कई लोग न्यायालय तक जाने की हिम्मत भी नहीं जुटा पाये.