दमकल और जीप चलाने की जवाबदेही एक ही व्यक्ति को
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कारगर साबित नहीं हो रहे छोटे दमकल
दमकल और जीप चलाने की जवाबदेही एक ही व्यक्ति को जंदाहा : 21 पंचायतों वाले जंदाहा थाना क्षेत्र में अगलगी की घटनाओं से निबटने के लिए सरकारी स्तर से एक मिनी अग्निशामक वाहन बीते वर्ष से थाना पर मौजूद है, लेकिन यह जानकर घोर आश्चर्य होगा कि इस वाहन को चलाने की जिम्मेवारी थाना के […]
जंदाहा : 21 पंचायतों वाले जंदाहा थाना क्षेत्र में अगलगी की घटनाओं से निबटने के लिए सरकारी स्तर से एक मिनी अग्निशामक वाहन बीते वर्ष से थाना पर मौजूद है, लेकिन यह जानकर घोर आश्चर्य होगा कि इस वाहन को चलाने की जिम्मेवारी थाना के चालक को ही दी गयी है. दोनों अतिसंवेदनशील वाहनों को चलाने की जिम्मेवारी एक ही व्यक्ति को दिया जाना कितना
न्यायोचित है. वहीं सरकार एवं प्रशासन इस मामले में कितना संवेदनशील है, इससे प्रतीत हो जाता है. जरा सोचे यदि थाना क्षेत्र में दुर्भाग्यवश एक ओर किसी आपराधिक घटना की सूचना मिले, वहीं दूसरी ओर उसी समय अगलगी की घटना की सूचना मिले तो ऐसी स्थिति में थाने की चालक की क्या भूमिका होगी, यह सोचनीय विषय है.
ऐसे भी कही क्षेत्र में अगलगी की घटना घटती है तो जिला मुख्यालय या अनुमंडल मुख्यालय से अग्निशामक वाहन घटनास्थल तक पहुंचा करती है, तब तक अग्निदेव अपना तांडव दिखा दिये होते हैं. इसके बाद घटना से पीड़ित व्यक्ति व परिवार वालों को आंसू बहाने के सिबा और कुछ नहीं बचती है. मिनी अग्निशामक वाहन थाना पर उपलब्ध होने से इतना तो जरुर होता कि आग की तेज लपटों को थोड़ा नियंत्रित कर घटना को आगे बढ़ने से रोका जा सकता.
ऐसी स्थिति में सरकार एवं प्रशासन को थाने में मौजूद अग्निशामक वाहन में अलग से नियमित चालक की व्यवस्था करने की आवश्यकता पर विचार करनी चाहिए. जिला एवं अनुमंडल मुख्यालय में मौजूद अग्निशामक वाहन एवं इसके जिम्मेवार पदाधिकारी एवं कर्मचारी को इस प्राकृतिक आपदा की संवेदनशील मामले में अतिसंवेदनशील होकर त्वरित सेवा दिये जाने में गंभीर होने पर विचार करना चाहिए.
छोटे दमकल से नहीं चल रहा काम : वैशाली. थाना में एक छोटा अग्निशामक वाहन उपलब्ध है. लेकिन आग लगने की घटना के बाद इसमें पानी भरने की समसया आ खड़ी होती है. छोटे वाहन की कम क्षमता के कारण यह उपयोग सिद्ध नहीं हो रहा है. आग लगने के बाद लोग बड़ी आशा से दमकल को थाने से बुलाते हैं लेकिन वह स्थल पर पहुंचने के बाद हाथ खड़ा कर देता है. यदि प्रखंड के किसी भी गांव में आग लगती है तो इस पर काबू पाने के लिए लोगों को पास के चापाकल, कुंआ तथा पंपसेट का सहारा लेना पड़ता है. जिससे आग पर काबू पाने में काफी समय लगता है और कई प्रकार की कठिनाईयों का सामना करना पड़ता है.
अग्निशामक गाड़ी आती तो है लेकिन कुछ हीं देर बाद उसका पानी समाप्त हो जाता है और लोगों को फिर से पंप सेट और कुंआ का सहारा लेना पड़ता है. बड़े अग्निशामक वाहन के लिए जिला मुख्यालय हाजीपुर को ही सूचित करना पड़ता है जिसकी दूरी वैशाली प्रखंड से लगभग 35-40 किलोमीटर है. जहां से अग्निशामक पहुंचने में दो घंटे के आसपास समय लग जाता है. जब तक यह गाड़ी घटनास्थल पर पहुंचती है तब तक सब कुछ जलकर राख हो जाता है.
मालूम हो कि प्रत्येक साल गर्मी के दिनों में प्रखंड क्षेत्र में अगलगी की घटना घटती रहती है और प्रति वर्ष सैंकड़ों घर जलकर राख हो जाता है. जिससे जरुरी सामान के साथ-साथ जानमाल की भी क्षति होती है. अभी गर्मी की शुरुआत ही हुई है और अब तक लगभग 30-32 घर जलकर राख हो गये है. स्थानीय लोगों ने कई बार क्षेत्र के सांसद, विधायक से भी प्रखंड में बड़े अग्निशामक गाड़ी की मांग कर चुके हैं, लेकिन आज तक कोई सुनने वाले नहीं हैं.
जब-जब भीष्ण अग्निकांड होती है तो इसकी आवाज स्थानीय स्तर पर लोगों द्वारा उठायी जाती है लेकिन उस पर कोई सुनवाई नहीं होती हैं.
पंप सेट और जन सहयोग ही है सहारा : गोरौल. स्थानीय थाना में एक छोटा अग्निशामक गाड़ी है जो आग लगने की घटना के बाद स्थल पर जाती तो है और कुछ हीं देर बाद पानी खत्म होने की बात कह अपने हाथ खड़े कर देती है और आगलगी की घटना के बाद लोगों को आग के प्रकोप से भारी क्षति उठाना पड़ रहा है. अग्निशामक विभाग का कार्यालय एवं गाड़ी महुआ अनुमंडल के प्रांगण में भी है जहां बड़ी गाड़ी उपलब्ध है और दूसरा हाजीपुर जिसकी दुरी गोरौल से लगभग 20 एवं 28 किमी है. गोरौल प्रखंड के आसपास के प्रखंडों में भी अग्निशामक गाड़ी उपलब्ध नहीं है, जिससे समय पर आग पर काबू पाया जा सके.
यदि क्षेत्र में कहीं भी आग लग जाये तो आग पर काबू पाने के लिए लोगों के पास सिर्फ चापाकल और पंपसेट ही उपलब्ध रहता है. जिससे आग पर काबू पाते-पाते कितने घर जलकर राख हो जाता है. वहीं अग्निशामक वाहनों को सूचना देने के घंटों बाद भी वह गाड़ी नहीं पहुंच पाता है. यदि जिला में सूचना दी जाती है तो गाड़ी आने में घंटो समय लगता है,
जब तक गाड़ी आता है तब तक घर एवं समान जल गया होता है. पिछले वर्ष भी प्रखंड क्षेत्र के दर्जनों घर आग के चपेट में आकर पूरी तरह ध्वस्त हो गयी थी जिसमें समान के अलावा जानमाल की भी क्षति हुई थी. अग्निकांड से पीड़ित परिवारों को बाद में सिर्फ राहत का ही आशा बच जाता है वह भी सभी को नहीं मिल पाता है.
पंप सेट और कुएं ही सहारा, छोटा दमकल शोभा की वस्तु : देसरी. प्रखंड क्षेत्र में आठ पंचायत है जिसे आग लगने पर बचाने के लिए थाना में एक छोटा दमकल उपलब्ध है. क्षेत्र में अगलगी की घटना होने पर थाना से छोटा दमकल आता है लेकिन वहां इसमें जल भरने की समस्या खड़ी होती है. हालांकि प्रखंड का क्षेत्र काफी छोटा है और जब कभी आगलगी की घटना होती है तब मौके पर वह पहुंचती भी है. लेकिन क्षमता कम होने के कारण यह समसया के समाधान के लिये उपयुक्त नहीं है.
यहां से लगभग 25 किलोमीटर दूर हाजीपुर या 15 किलोमीटर दूर महनार अनुमंडल से ही बड़ा दमकल आ सकता है. ऐसे कहे तो गर्मी के दिनों में एक साथ कई जगहों पर आग लग जाती है, वैसी स्थिति में यहां मौजूद छोटा दमकल अनुपयोगी सिद्ध होता है और देखते ही देखते आग काफी भयानक रुप ले लेता है. जब जिला या अनुमंडल मुख्यालय से दमकल पहुंच पाती है तब तक आग विकराल रूप पकड़ लेती है और स्थानीय लोगों द्वारा किसी तरह काबू पाने के बाद ही वह घटनास्थल पर पहुंच पाती है.
नतीजतन कितना घर व समान जलकर भष्म हो जाती है. तीन वर्ष पहले भीखनपुरा पंचायत के दलित बस्ती में आग लगी थी जिसमें एक के बाद एक कर आग के तेज लपटों ने कई दर्जन घरों को अपने चपेट में लेकर राख कर दिया था लेकिन आज तक संबंधित विभाग इस अग्निकांड के प्रति असंवेदनशील ही दिख रहा है.
डेढ़ लाख की आबादी के लिये केवल एक छोटा दमकल : पटेढ़ी बेलसर. प्रखंड में अग्निदेव के प्रकोप से बचने के लिए इन्द्रदेव ही सहारा है. प्रखंड क्षेत्र में प्रति वर्ष अग्निकांड में लाखों की संपत्ति स्वाहा हो जाता है. जानमाल को भी नुकसान पहुंचता है, लेकिन अग्निकांड से बचाव के लिए एक अदद बड़ा दमकल की भी व्यवस्था नहीं है और छोटा वाहन शोभा की वस्तु प्रतीत होती है. आग लगने के बाद लोग निजी पंपसेट, चापाकल, कुंआ पर ही निर्भर रहते हैं.
जिला मुख्यालय से लगभग 45 किलोमीटर की दूरी पर स्थित इस प्रखंड कि स्थिति भयंकर अग्निकांड में और विस्फोटक हो जाती है, जब फोन करने के बाद बहुत देर से गाड़ियां पहुंचती है. तब तक घर जलकर राख हो जाता है. सरकार का प्रत्येक प्रखंड में एक अग्निशामक वाहन उपलब्ध कराने की घोषणा भी एक छलावा सिद्ध होकर हीं रह गयी है.
अग्निशामक वाहन तब तक प्रखंड में उपलब्ध होगा इसका जबाब न तो प्रखंड विकास पदाधिकारी के पास है और न ही अंचलाधिकारी के पास.
नौ पंचायतों के लगभग डेढ़ लाख आबादी वाले इस प्रखंड के लोग आज भी भगवान भरोसे हैं.
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