शहर नहीं बना पॉलीथिनमुक्त
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चिंताजनक. डीएम की घोषणा का नहीं हुआ असर, अभियान नहीं चढ़ा परवान
शहर नहीं बना पॉलीथिनमुक्त शहर को साफ-सुथरा रखने और पर्यावरण रक्षा के साथ ही स्वास्थ्य के दृष्टिकोण से जिला पदाधिकारी ने शहर को पॉलीथिनमुक्त बनाने की घोषणा की थी. 26 जनवरी की घोषणा को 10 फरवरी से सख्ती से लागू करने की बात जिला प्रशासन ने कही थी, लेकिन दो माह बाद भी इसका कहीं […]
शहर को साफ-सुथरा रखने और पर्यावरण रक्षा के साथ ही स्वास्थ्य के दृष्टिकोण से जिला पदाधिकारी ने शहर को पॉलीथिनमुक्त बनाने की घोषणा की थी. 26 जनवरी की घोषणा को 10 फरवरी से सख्ती से लागू करने की बात जिला प्रशासन ने कही थी, लेकिन दो माह बाद भी इसका कहीं कोई असर नहीं दिख रहा है. इससे लोगों को लगने लगा है कि अन्य घोषणाओं की तरह यह घोषणा सिर्फ घोषणा साबित होगी.
हाजीपुर : हर को साफ-सुथरा रखने और पर्यावरण को ध्यान में रख कर जिला प्रशासन ने इस वर्ष गणतंत्र दिवस पर शहर को पॉलीथिनमुक्त बनाने की घोषणा की थी. इसके पूर्व जिला पदाधिकारी, वैशाली रचना पाटील ने नगर पर्षद के कार्यपालक पदाधिकारी, सभापति एवं उप सभापति के साथ बैठक कर शहर को पॉलीथिनमुक्त बनाने को लेकर व्यापक विचार-विमर्श कर योजना को लागू करने के लिए रणनीति बनायी थी. घोषणा के दो माह बाद शहर में कही भी इस योजना का असर नहीं दिख रहा है जिससे लोगों में यह संशय बन रही है कि अन्य सरकारी घोषणा के तरहयह भी टांय-टांय फिस्स साबित होगी.
क्या है मामला : पर्यावरण को व्यापक हानि पहुंचा रहे पॉलीथिन को शहर में प्रतिबंधित करने की घोषणा की गयी थी. शहर में बड़े पैमाने पर पॉलीथिन के उपयोग से शहर के नाले जाम हो जाते हैं और बरसात के दिनों में शहर को जलजमाव की स्थिति का सामना करना पड़ता है. बाजार में घूम रहे आवारा पशुओं के द्वारा उसे निगल लेने की स्थिति में उनकी मौत तक हो जाती है. पॉलीथिन के व्यापक दुष्परिणाम को देखते हुए जिला पदाधिकारी ने 26 जनवरी से इसे प्रतिबंधित करते हुए आठ फरवरी तक इसके लिए जागरूकता अभियान चलाने और 10 फरवरी के बाद उपयोग को पूर्णत: प्रतिबंधित करने की घोषणा की थी.
क्या हुआ : जिला प्रशासन ने इस योजना की घोषणा 26 जनवरी को की और फरवरी में पंचायत चुनाव की घोषणा हो जाने के बाद जिला प्रशासन पंचायत चुनाव की तैयारी में लग गया. इसके बाद जिला प्रशासन ने कभी इस योजना की चर्चा भी नहीं की. यह योजना नगर पर्षद क्षेत्र में लागू होनी है और यहां चुनाव अगले वर्ष निर्धारित है. जिला और नगर प्रशासन की शिथिलता के कारण एक लोक कल्याणकारी योजना धरातल पर उतरने से पहले ही टांय-टांय फिस्स हो गयी.
क्या कहते हैं लोग
प्रशासन द्वारा 10 फरवरी से शहर को पूर्णत: पॉलीथिनमुक्त बनाने की घोषणा से नागरिकों को यह आशा बंधी थी कि अब अपना शहर भी साफ-सुथरा और सुंदर होगा. लेकिन न जाने किस कारण से जिला प्रशासन ने इस अभियान को क्यों बंद कर दिया है. इसे लागू किया जाना चाहिए.
राजकुमार श्रीवास्तव, कोनहारा घाट
जिला पदाधिकारी की घोषणा के बाद हमलोगों ने पॉलीथिन के बदले कागज के ठोंगा का ऑर्डर भी दे दिया था, लेकिन प्रशासनिक सख्ती नहीं होने के कारण जब सब लोग उपयोग कर रहे हैं, तब हम भी इस्तेमाल कर रहे हैं.
अखिलेश कुमार, दुकानदार
पॉलीथिन सभी दृष्टिकोण से घातक है. चाहे पर्यावरण का मामला हो या स्वास्थ्य का या शहर की स्वच्छता का. यह काफी हानिकारक है. जिला पदाधिकारी की घोषणा स्वागतयोग्य है. जिला प्रशासन को चाहिए कि वह इसे सख्ती से लागू करे.
कुमार विकास, वरीय अधिवक्ता
क्या कहते हैं जिला पदाधिकारी
प्रशासनिक तंत्र के इंटर-मैट्रिक परीक्षा एवं चुनाव कार्य में लगे होने के कारण यह अभियान कुछ ठंडा पड़ा है. इस पर शीघ्र ही कार्रवाई होगी और शहर को पॉलीथिनमुक्त बनाया जायेगा.
रचना पाटील, डीएम
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