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महाशिवरात्रि आज, सजे शिवालय

हाजीपुर/ गोरौल : फाल्गुन कृष्ण पक्ष चतुदर्शी यानी सात मार्च सोमवार को महाशिवरात्रि है. इसी तिथि को भगवान शिव एवं माता पार्वती का विवाह हुआ था. इस तिथि का हिंदू धर्म में बड़ा ही महत्व है. शिवरात्रि के दिन लोग उपवास रख कर भगवान शिव एवं माता पार्वती की पूजा अर्चना करते हैं. इसी तिथि […]

हाजीपुर/ गोरौल : फाल्गुन कृष्ण पक्ष चतुदर्शी यानी सात मार्च सोमवार को महाशिवरात्रि है. इसी तिथि को भगवान शिव एवं माता पार्वती का विवाह हुआ था. इस तिथि का हिंदू धर्म में बड़ा ही महत्व है. शिवरात्रि के दिन लोग उपवास रख कर भगवान शिव एवं माता पार्वती की पूजा अर्चना करते हैं.

इसी तिथि को रात में भगवान शिव शंकर एवं माता पार्वती की शादी हुई थी, इसलिए इस तिथि को शिवरात्रि कहा जाता है. माता पार्वती एवं महादेव शिवरात्रि के दिन प्रसन्न मुद्रा में रहते हैं. जो भी भक्त सच्चे मन से पूजा, अर्चना व जलाभिषेक करते हैं, उनकी मनोकामना शीघ्र पूर्ण होती है.

इस पुनीत अवसर पर शिव मंदिरों की रंगाई, पुताई, साफ-सफाई कर भगवान शिव को दुल्हा की तरह एवं माता पार्वती को दुल्हन की तरह सजाया जाता है. कई जगहों पर शिव की बरात भूत-प्रेत के संग निकाली जाती है, जो दृश्य बड़ा ही मनोरम होता है. इस तिथि को भगवान शिव के अभिषेक करने का बड़ा महत्व शास्त्रों में बताया गया है. मान्यताओं के अनुसार भांग, धतूर, विल्वपत्र, शमीपत्र चढ़ाने से मनोवांछित फल प्राप्त होता है.

महादेव का अभिषेक : महादेव का अभिषेक करने के पीछे एक पौराणिक कथा का उल्लेख है कि समुद्र मंथन के समय हलाहल विष निकलने के बाद जब महादेव विषपान कर गये, तो वे मुर्छित हो गये. उन्हें होश में लाने के लिए देवताओं द्वारा जो भी चीज उनके आसपास उपलब्ध थी, उसी से उनका अभिषेक करने लगे. तभी से जल, दूध, घी, रस सहित अन्य चीजों से महादेव का अभिषेक किया जाता है.
विल्वपत्र एवं शमीपत्र चढ़ाने का महत्व : एक पौराणिक कथा के अनुसार भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए भक्तों द्वारा विल्वपत्र, शमीपत्र चढ़ाया जाता है. इस संबंध में कहा गया है कि 89 हजार ऋषियों ने भगवान शिव ब्रह्मदेव ने बताया कि महादेव सौ कमल चढ़ाने से जितना प्रसन्न होते हैं, उतना ही एक नील कमल चढ़ाने से होते हैं और एक हजार नील कमल चढ़ाने के बराबर एक विल्वपत्र और एक हजार विल्वपत्र चढ़ाने के बराबर एक शमीपत्र है.
विलवपत्र ने दिलाया वरदान : विल्वपत्र महादेव को प्रसन्न करने का सुलभ माध्यम है. पौराणिक कथा के अनुसार एक डाकू अपने परिवार के भरण-पोषण के लिए लोगों को लूटा करता था. एक दिन डाकू राहगीरों को लूटने के लिए जंगल में गया. पूरा दिन बीत जाने के बाद भी कोई न मिला, तो वह एक बेल के पेड़ पर चढ़ कर बैठ गया और परेनी के कारण बेल का पत्ता तोड़ कर नीचे फेंकने लगा. अचानक महादेव प्रकट हो गये और डाकू से वरदान मांगने को कहा. अचानक शिवकृपा का कारण डाकू जानना चाहा, तो उसे पता चला कि वृक्ष के नीचे शिवलिंग स्थापित है. उसके द्वारा तोड़ कर फेंके गये बेलपत्र शिवलिंग पर गिरने से महादेव प्रसन्न हुए हैं. तभी से शिव की पूजा में बेलपत्र का अति महत्व माना जाता है.
पुराण के अनुसार शिव विवाह : शिव महोत्सव मनाने का दिन ही महाशिवरात्रि है. भगवान शिव एवं माता पार्वती के विवाह का आयोजन, श्रवण से मनुष्य को शिवलोक की प्राप्ति होती है तथा धन, यश एवं संतान की प्राप्ति होती है. ऐसी मान्यता लोगों में है कि इससे मनुष्यों का सारे संकट दूर हो जाते हैं.
कहते हैं जानकार
जिनकी शादी नहीं हो रही है या बार-बार टूट रही है, वैसे युवक या युवती यदि शिवरात्रि का पर्व पूरी आस्था के साथ करें, तो निश्चित ही बाधा दूर होगी. वहीं भक्तों द्वारा विल्वपत्र, शमीपत्र, भांग, धतूरा, जल, दूध, दही, घी, शक्कर, शहद, गंगाजल, दुम, कुशा, कमल, नीलकमल, मदार, जवाफूल, कनैल चढ़ाने व भोग के रूप में भांग, श्रीफल, धतूरा चढ़ाने से मनोकामना पूर्ण होती है तथा आनेवाले दिन मंगलमय हो जाते हैं.
पंडित जीवनंदन झा, आचार्य

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