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अधिसूचना जारी होते ही बंधा चुनावी समां

पंचायत चुनाव की डुगडुगी बजते ही हर कोई अपनी शक्ति और सामर्थ्य के अनुसार सत्ता में अपनी हिस्सेदारी के लिए चुनाव मैदान में कूदने को आतुर हैं. अपनी शक्ति और सामर्थ्य का आकलन कर लोग वार्ड से लेकर जिला पर्षद सदस्य तक के लिए चुनाव लड़ने की योजना बनाने में लगे हैं. हाजीपुर : राज्य […]

पंचायत चुनाव की डुगडुगी बजते ही हर कोई अपनी शक्ति और सामर्थ्य के अनुसार सत्ता में अपनी हिस्सेदारी के लिए चुनाव मैदान में कूदने को आतुर हैं. अपनी शक्ति और सामर्थ्य का आकलन कर लोग वार्ड से लेकर जिला पर्षद सदस्य तक के लिए चुनाव लड़ने की योजना बनाने में लगे हैं.

हाजीपुर : राज्य निर्वाचन आयोग द्वारा पंचायत चुनाव की अधिसूचना जारी होते ही गांवों में चुनावी समां बंधने लगा है. हर नुक्कड़ और चौराहे पर केवल एक ही चर्चा का बाजार गरम है और वह है चुनावी चर्चा. इस चर्चा में संभावित प्रत्याशियों की जेब से लेकर उनके चरित्र तक की चर्चा जारी है. अपने काम से फारिग होते ही लोग चुनावी चर्चा में व्यस्त हो जा रहे हैं.
सत्ता के प्रारंभिक केंद्र पर कब्जे की कोशिश : हर आदमी सत्ता के आसपास रहना चाहता है और इसकी बानगी देखना हो, तो आप अभी ग्रामीण इलाके का रुख कर सकते हैं. हर कोई अपनी शक्ति और सामर्थ्य के अनुसार सत्ता में अपनी हिस्सेदारी के लिए चुनाव मैदान में कूदने को आतुर है. अपनी शक्ति और सामर्थ्य का आकलन कर लोग वार्ड से लेकर जिला पर्षद सदस्य तक के लिए चुनाव लड़ने की योजना बना रहे हैं. शहर में रहनेवाले लोग भी चुनाव को लेकर आजकल गांव में डेरा जमाये हैं और उनकी कोशिश सत्ता पर कब्जा मात्र है.
सामाजिक कार्यकर्ताओं की आयी बाढ़ : कुछ दिन पूर्व तक यदि आपको अस्पताल जाना होता, तब भी सहयोग के लिए कोई आदमी आगे नहीं आता लेकिन आज ग्रामीण क्षेत्रों में सामाजिक कार्यकर्ताओं की बाढ़ आ गयी है. क्षेत्र में कोई प्राकृतिक आपदा हो या कोई सुख -दुख बिना बुलाये ही दर्जनों सामाजिक कार्यकर्ता आपको तैयार मिलेंगे. कल तक जिन लोगों को अपने व्यवसाय से चंद मिनटों की भी छुट्टी नहीं थी, वे आज आपके लिए घंटों समय दे सकते हैं.
चौक-चौराहों पर बढ़ी भीड़ : पंचायत चुनाव के लिए आरक्षण रोस्टर की क्लियरेंस और अधिसूचना के साथ ही ग्रामीण क्षेत्र की चौक-चौराहे पर लोगों की भीड़ बढ़ने लगी है और कल तक शाम ढलते ही बंद हो जानेवाली दुकानें देर तक सजने लगी हैं. चुनाव के संभावित प्रत्याशी और उनके समर्थकों के साथ ही चुनावी लाभ उठानेवाले लोग देर तक चौक-चौराहे पर रुक कर एक दूसरे को समीकरण समझा रहे हैं.
बनने लगी अष्टयाम और क्रिकेट की योजना : चुनाव की घोषणा होते ही ग्रामीण क्षेत्र में धड़ल्ले से अष्टयाम यज्ञ, मंदिर निर्माण और क्रिकेट टूर्नामेंट आदि की योजना बनने लगी है. इन योजनाओं के केंद्र में चुनाव के संभावित उम्मीदवार है. चुनाव के समय बड़े पैमाने पर अष्टयाम यज्ञ का आयोजन प्रत्याशियों से चंदा वसूली को ध्यान में रख कर किया जाता है. कई स्थानों पर लोगों ने मंदिर बनाने की योजना बनायी है, तो कई जगहों पर नौजवान क्रिकेट टूर्नामेंट का आयोजन कर संभावित प्रत्याशियों से चंदा लेकर उन्हें अतिथि के रूप में मैच में आमंत्रित कर रहे हैं ताकि लोगों में उनकी समाजसेवी की पहचान बन सके.
हर प्रत्याशी ढूंढ़ रहा सेफ जोन : चुनाव लड़ने के लिए आतुर हर प्रत्याशी अपने लिए सेफ जोन की तलाश में है. चुनाव में किस पद पर लड़ कर आसानी से जीत पायी जा सकती है, इसका आकलन कर रहे हैं. कुछ वार्ड सदस्य और पंच अपने पूर्व के कार्य को बताते हुए मुखिया और सरपंच के लिए लड़ने की योजना बना रहे हैं, तो कुछ मुखिया और सरपंच जिला पर्षद सदस्य के लिए चुनाव लड़ने की योजना बना रहे हैं. कुछ वैसे प्रतिनिधि जिनका पद आरक्षित हो गया है, वे दूसरे पद और क्षेत्र से मैदान में कूदने की योजना बना रहे हैं.
हर किसी की है अपनी तैयारी : लोकतंत्र के इस महापर्व को लेकर हर कोई अपने ढंग से तैयारी कर रहा है. परचा-पोस्टर छापनेवाले प्रेस से लेकर ऑडियो कैसेट बनानेवाले और चौराहों पर दुकान चलानेवालों से लेकर मतदाता तक सबने अपनी तैयारी कर ली है. मतदाता यह आकलन करने में लगे हैं कि किस प्रत्याशी को सहायता करना है या किसके विरुद्ध बिगुल फुंकना है. वहीं संभावित प्रत्याशी अपने आपको मैदान में झोंकने के पूर्व सारी तैयारी कर रहे हैं.

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