हाजीपुर : वैशाली पुलिस के लिए सिरदर्द बने रिलायंस इंजीनियर हत्याकांड में इंजीनियर के दो पार्टनरों की गिरफ्तारी ने थोड़ी राहत जरूर दी है, लेकिन कई ऐसे अनसुलझे सवाल हैं, जो पुलिस को अब भी परेशान कर रहे हैं. पुलिस को यह सफलता मिली मृत इंजीनियर और उसके पार्टनरों के मोबाइल सीडीआर और इंजीनियर के मोबाइल पर व्हाट्सएप मैसेज से.
पुलिस ने जिन दो लोगों प्रभात कुमार और रामजी पटेल को इस हत्याकांड में गिरफ्तार किया है, वे दोनों न सिर्फ मृतक के बिजनेस पार्टनर थे, बल्कि उसके मकान में बतौर किरायेदार भी रह रहे थे. व्हाट्सएप पर मिले मैसेज के आधार पर पुलिस को इस बात की जानकारी मिली कि मृतक और उसके पार्टनरों के बीच दो लाख 72 हजार रुपये का विवाद चल रहा था.
पुलिस ने इसी मैसेज के आधार अपना अनुसंधान शुरू किया. पुलिस के अनुसंधान को उस वक्त और ज्यादा गति मिली, जब उसे यह जानकारी हुई कि मृतक का पार्टनर प्रभात अपने पूरे सामान के साथ मुजफ्फरपुर से जा चुका है और उसका दूसरा पार्टनर रामजी पटेल भी अपने घर चला गया था. इस हत्या के बाद प्रभात और रामजी के बीच 17 बार लगभग एक से डेढ़ घंटे तक बातचीत हुई. सीडीआर खंगालने के दौरान दोनों के बीच हुई लंबी बातचीत ने पुलिस के संदेह को और ज्यादा पुख्ता कर दिया.
साथ ही दोनों का मोबाइल लोकेशन भी घटना वाली रात मृतक इंजीनियर के मोबाइल लोकेशन के साथ ही दिखा. हालांकि पुलिस अभी तक उस हथियार को बरामद नहीं कर सकी है, जिससे इंजीनियर की हत्या की गयी थी. पुलिस ने दोनों के पास से सिर्फ एक मोबाइल बरामद किया है.
लंबे समय से चल रहा था दो लाख 72 हजार रुपये का विवाद : मृतक इंजीनियर का अपने दोनों पार्टनरों से दो लाख 72 हजार रुपये का लंबे समय से विवाद चल रहा था. इस बात का खुलासा व्हाट्सएप पर इनके द्वारा आपस में किये गये मैसेज के आदान-प्रदान से हुआ. हालांकि दोनों ने इंजीनियर अंकित के मोबाइल के मैसेज बॉक्स से सारे मैसेज को डिलीट कर दिया था.
सीडीआर से पुलिस को यह भी जानकारी मिली कि तीनों के बीच बीते 27 दिसंबर को भी बात हुई थी. एसपी राकेश कुमार के अनुसार अंकित रिलायंस में काम करने के अलावा प्रभात और रामजी के साथ कई अन्य साइटों पर भी काम कर रहा था. रामजी पटेल जहां लेबर सप्लाइ का करता था, वहीं प्रभात मेटेरियल की सप्लाइ करता था.
इसी बीच किसी साइट पर हुए काम में अंकित ने दो लाख 72 हजार रुपये निवेश कर दिये. इसी रुपये की वसूली को लेकर तीनों के बीच विवाद चल रहा था. प्रभात रांची से 27 दिसंबर को हिसाब-किताब करने ही मुजफ्फरपुर पहुंचा था. उसने इस संबंध में रामजी पटेल से भी बात की थी.
घर से पटना मीटिंग में जाने की बात कह निकला था अंकित : मृतक इंजीनियर 27 दिसंबर को अपने घर मुजफ्फरपुर लौटा था. आधे घंटे बाद वह पटना में मीटिंग होने व कंपनी के लोगों द्वारा बुलाने की बात कह कर निकला था. लेकिन अगले दिन उसका शव वैशाली जिले के बरांटी ओपी क्षेत्र के काशीपुर चकबीबी गांव में मिला. पुलिस मृतक के भाई राजीव कुमार द्वारा मामला दर्ज कराये जाने के बाद अनुसंधान में जुट गयी. अनुसंधान के दौरान ही पुलिस को घटना वाली रात तीनों का मोबाइल लोकेशन एक ही था
और घटना के अगले दिन सामान सहित प्रभात के मुजफ्फरपुर से चले जाने से की बात की जानकारी मिली. इससे पुलिस को उसके पार्टनरों पर शक हुआ. बाद में परिजनों द्वारा दिये गये शपथ पत्र के आधार पर पुलिस ने आगे की कार्रवाई शुरू कर दी. महुआ एसडीपीओ, महुआ इंस्पेक्टर, भगवानपुर, गोरौल व बरांटी ओपी अध्यक्ष के नेतृत्व में टीम गठित कर दोनों को पूछताछ के लिए हिरासत में लिया गया.
पूछताछ के दौरान दोनों ने मृतक के मोबाइल पर एक-दूसरे से बात करने व मैसेज बॉक्स से मैसेज डिलीट करने की बात स्वीकार की. पुलिस ने परिजनों द्वारा दिये गये शपथ पत्र के आधार दोनों को जेल भेज दिया.
गिरफ्तारी के बाद कई अनसुलझे सवाल पुलिस को कर रहे परेशान : भले ही वैशाली पुलिस ने मोबाइल सीडीआर और व्हाट्सएप मैसेज के आधार पर रिलायंस इंजीनियर हत्याकांड में उसके दो पार्टनरों को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया है, लेकिन इस हत्याकांड से जुड़े कई सवाल अब भी वैशाली पुलिस के लिए सिरदर्द बने हुए हैं. पुलिस अभी तक उस हथियार को बरामद नहीं कर पायी है,
जिससे इंजीनियर की हत्या की गयी थी. साथ ही पुलिस अभी तक स्पष्ट रूप से यह नहीं बता पा रही है कि हत्या इन दोनों ने की या फिर किसी से करवाई. हालांकि वैशाली एसपी दोनों को रिमांड पर लेकर पूछताछ के बाद पूरे मामले के खुलासे की बात जरूर कह रहे हैं.