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विभागीय अनदेखी से दुग्ध शीतगृह चालू नहीं

लालगंज : वैशाली प्रखंड के मदरना गांव में दुग्ध उत्पादकों के सहयोग के लिए बना दुग्ध शीतगृह भवन निर्माण के सात वर्ष बाद भी चालू नहीं हो सका. इस वजह से किसान अब तक शीतगृह भवन के लाभ से वंचित हैं. स्थानीय लोगों ने दुग्ध शीतगृह भवन के चालू नहीं होने का कारण विभागीय लापरवाही […]

लालगंज : वैशाली प्रखंड के मदरना गांव में दुग्ध उत्पादकों के सहयोग के लिए बना दुग्ध शीतगृह भवन निर्माण के सात वर्ष बाद भी चालू नहीं हो सका. इस वजह से किसान अब तक शीतगृह भवन के लाभ से वंचित हैं.

स्थानीय लोगों ने दुग्ध शीतगृह भवन के चालू नहीं होने का कारण विभागीय लापरवाही बताया है. पशु अस्पताल एवं मध्य विद्यालय, मदरना के बीच अवस्थित शीतगृह की हालत यह है कि दीवारों के प्लास्टर और रंग झड़ने लगे हैं. शीतगृह परिसर में खरपतवार उगने से भवन खंडहर में तब्दील होने लगी है. जंगली घास उगने के कारण दिन भर मवेशी घास चरने आया करते हैं.
शीतगृह भवन उपयोग में नहीं लाने के कारण भवन जर्जर हो चुकी है.सात वर्ष पूर्व भवन का निर्माण 12 लाख 50 हजार की लागत से कराया गया था, ताकि पशुपालक दूध को सुरक्षित रख सकें. उसके बाद दूध शीत करने की मशीन बैठा कर चालू हालत में स्थानीय लोगों की समिति बनाकर उनके हवाले कर देना था, परंतु भवन बनने के बाद आगे का कार्य नहीं किया गया. इस कारण दुग्ध उत्पादकों के हित में बनी सरकार की उपयोगी योजना के लाभ से पशुपालक वंचित है. सरकार की योजना राशि से बनी भवन बेकार जा रही है.
इस संबंध में स्थानीय दुग्ध उत्पादक शांति देवी, विश्वनाथ महतो, रवींद्र महतो, नथुनी सिंह, उर्मिला देवी, हरिहर भक्त कुशवाहा, रमेश सिंह, संतोष कुमार पटेल, अजित कुमार, अवधेश सिंह, बिन्देश्वर ठाकुर, महेंद्र राय, सीता देवी आदि ने बताया कि अगर शीतगृह चालू रहता तो, उनके दूध कई दिनों से सुरक्षित रखे जा सकते थे. सरकारी अधिकारियों की लापरवाही के कारण इस लाभ से पशुपालक वंचित हैं. पशुपालकों ने इसकी शिकायत जिलाधिकारी करने की बात कही है.
क्या कहते हैं लोग
भवन निर्माण कार्य सात वर्ष पहले डीडीसी, हाजीपुर की देखरेख में करायी गयी थी. आगे की सभी प्रक्रिया उन्हीं के द्वारा की जानी थी. उन्होंने उक्त कार्य में तत्परता नहीं दिखायी थी. इसका नतीजा आज पशुपालक भुगत रहे हैं. इसकी मौखिक शिकायत प्रखंड विकास पदाधिकारी से कई बार की जा चुकी है.
महेंद्र सिंह, मदरना
अगर शीतगृह चालू रहता तो, दूध को कई दिनों से सुरक्षित रख पाते. दूध को सही दामों पर बेचा जाता. अधिकारियों की लापरवाही के कारण इस लाभ से वंचित हूं.
रामाधार सिंह
क्या कहते हैं स्थानीय मुखिया
जब शीतगृह बना था, तो पशुपालक किसान काफी खुश नजर आये थे. वे दूध को कई दिनों तक सुरक्षित रख पाते. लेकिन अब हालत यह है कि शीतगृह भवन परिसर मवेशियों के चरने के काम आता है. इसे चालू कराने का भरपूर प्रयास किया है, परंतु विभागीय लापरवाही के कारण सफलता नहीं मिली. इसे चालू कराने के लिए आगे प्रयासरत हूं.
कुरैशा खातून, मुखिया
Prabhat Khabar Digital Desk
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