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अस्पताल का कद बढ़ा, नहीं बढ़ीं सुविधाएं

कुव्यवस्था. बेड के अभाव में मरीजों को फर्श पर लिटा कर किया जाता है इलाज देसरी : थमिक स्वास्थ्य केंद्र, देसरी में कई सुविधाओं का अभाव है, जिसके चलते मरीजों के इलाज में कठिनाई हो रही है. यहां स्वास्थ्यकर्मियों का अभाव तो है ही, सबसे बड़ी समस्या भवन और बेड की है, जिसके कारण मरीजों […]

कुव्यवस्था. बेड के अभाव में मरीजों को फर्श पर लिटा कर किया जाता है इलाज

देसरी : थमिक स्वास्थ्य केंद्र, देसरी में कई सुविधाओं का अभाव है, जिसके चलते मरीजों के इलाज में कठिनाई हो रही है. यहां
स्वास्थ्यकर्मियों का अभाव तो है ही, सबसे बड़ी समस्या भवन और बेड की है, जिसके कारण मरीजों को फर्श पर ही लेटना पड़ता है. मालूम हो कि पीएचसी को राज्य सरकार ने तीन साल पहले सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में अपग्रेड कर दिया था. पीएचसी से सीएचसी में अपग्रेड होने के तीन साल बीत जाने के बाद भी न भवन का निर्माण हो पाया और न ही इलाज की सुविधाएं बढ़ायी जा सकी. 30 बेड की जगह आज भी यह मात्र छह बेड का अस्पताल बना हुआ है. पीएचसी में प्रतिदिन डेढ़ से दो सौ मरीज इलाज को आते हैं.
वर्तमान में यहां चिकित्सकों के चार पद स्वीकृत हैं, जिनमें तीन चिकित्सक ही कार्यरत हैं. एएनएम की भारी कमी है. 25 स्वीकृत पद की जगह मात्र 9 एएनएम की यहां तैनाती है. सब मिला कर पीएचसी में 35 कर्मचारियों को स्वास्थ्य विभाग ने सेवा में लगा रखा है. जहां तक दवाओं की उपलब्धता का सवाल है, तो पीएचसी के आउटडोर में 32 और इनडोर में 97 दवाएं उपलब्ध हैं. यहां 24 घंटे इमरजेंसी सेवा उपलब्ध है.
प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में तब्दील होने के बाद इसे 30 बेड का अस्पताल बनाया जाना था. साथ ही बहुमंजिला, मल्टीपरपस भवन का भी निर्माण होना था, लेकिन यह काम अभी तक पूरा नहीं हो सका. न अस्पताल का भवन बना और न ही बेडों की संख्या बढ़ायी गयी. इससे बेहतर इलाज की उम्मीदों पर पानी फिर रहा है. बेड की कमी के कारण परिवार नियोजन का ऑपरेशन होने के बाद मरीजों को फर्श पर ही लेटने को विवश होना पड़ता है.
अस्पताल प्रशासन का कहना है कि जमीन उपलब्ध नहीं होने के कारण सीएचसी का नया भवन नहीं बन पा रहा है. दूसरी ओर अस्पताल परिसर में कई भवन खंडहर में तब्दील हो गये हैं. लोगों का कहना है कि स्वास्थ्य विभाग यदि पुराने अनुपयोगी भवनों को तोड़कर उस जगह पर नया भवन का निर्माण करा दे, तो आसानी से सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र का काम चल सकता है.
क्या कहते हैं अधिकारी
सीमित संसाधनों के बावजूद अस्पताल में मरीजों को बेहतर चिकित्सा सुविधा देने का हरसंभव प्रयास किया जा रहा है. जो कमियां हैं, उनके बारे में विभाग को लिखा गया है.. बेहतर सेवा का परिणाम ही है कि परिवार नियोजन ऑपरेशन में इस अस्पताल को जिले में प्रथम स्थान प्राप्त हुआ है.
डॉ अनिल कुमार, प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी
अस्पताल में पत्नी को लेकर इलाज करवाने के लिए आए है. दवा तो अस्पताल में मिली है, लेकिन यहां इलाज में लापरवाही देखी जा रही है. भरती मरीजों की सुधि लेने वाला कोई नहीं है.
रिंटू मांझी
बेड के अभाव में भरती मरीजों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है.
प्रियंका कुमारी, वसंतपुर
जितने मरीज अस्पताल में रोजाना आते हैं, उस अनुपात में न चिकित्सक हैं और न ही स्वास्थ्यकर्मी. अस्पताल में आधारभूत संरचना का घोर अभाव है.
रामप्रताप सिंह, खोरमपुर
डॉक्टर द्वारा लिखी गयी सारी दवाएं अस्पताल में नहीं मिल पाती हैं. जिससे परेशानी होती है.
सुबोध पासवान, धर्मपुर
चाइल्ड स्पेशलिस्ट नहीं होने के कारण होती है परेशानी
महुआ. कभी धूप तो कभी बारिश के कारण मौसम एक समान नहीं होने से लोगों को तरह-तरह की बीमारी होने लगी है. बीमारी से बचाव को लेकर तथा इलाज कराने के लिये आये दिन काफी संख्या में लोगो की भीड़ अनुमंडल हॉस्पिटल में पहुंच रही है, जिसमें ज्यादा संख्या मासूम तथा नौनिहाल बच्चों की होती है. बुधवार को बच्चे की इलाज कराने को लेकर क्षेत्र के विभिन्न जगहों से पहुंची महिलाओं ने बताया ली मौसम एक समान नहीं रहने से सर्द गर्म के प्रभाव बच्चों पर पड़ रहा है.
जिस कारण खांसी, जुकाम, सर्दी , चेचक, बुखार तथा सरदर्द जैसे बीमारी हो जा रही है. बच्चे को लेकर इलाज कराने हॉस्पिटल पहुंची फुलवरिया की पानो देवी, पहाड़पुर के शुशीला देवी, गोरिगामा के कुसुम कुमारी व ललिता देवी चांदसराय के निर्मला देवी के साथ अन्य ने बताया कि मौसम परिवर्तन के कारण बच्चों में तरह तरह की बिमारी हो रही है
. लेकिन सरकारी हॉस्पिटल में चाइल्ड स्पेशलिस्ट नहीं होने के कारण परेशानी होती है. इस संबंध में अस्पताल उपाधीक्षक डॉ कमलेश कुमार ने बताया कि शिशु चिकित्सक नहीं होने से परेशानी तो होती ही है, फिर भी कार्यरत चिकित्सकों द्वारा बीमारियों को दूर करने को लेकर भरपूर कोशिश की जाती है. चाइल्ड चिकित्सक के लिये विभाग के अधिकारियों को लिखा गया है.

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