वीरपुर. वीरपुर में प्रस्तावित एयरपोर्ट परियोजना को लेकर शनिवार को परमानंदपुर पंचायत भवन में पटना से आई एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया (एएआई) की टीम ने जमीन अधिग्रहण संबंधी एक जनसुनवाई का आयोजन किया. यह बैठक पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार पिपराही नाग और परमानंदपुर मौजा के रैयतों के साथ आयोजित की गई थी. हालांकि जनसुनवाई के दौरान स्थानीय रैयतों द्वारा जोरदार विरोध किए जाने के कारण एएआई की टीम को बिना निष्कर्ष के वापस लौटना पड़ा. इसके बाद नाराज ग्रामीणों ने प्रदर्शन करते हुए अपनी मांगों और आपत्तियों को सार्वजनिक रूप से रखा. जनसुनवाई में शामिल स्थानीय रैयत लक्ष्मी नारायण मेहता, शिव नारायण मेहता, सत्यनारायण मेहता, कामेश्वर साह, राजेंद्र साह, सहित दर्जनों ग्रामीणों ने बताया कि एयरपोर्ट निर्माण के कारण पूरे पंचायत के विस्थापन का खतरा उत्पन्न हो जाएगा. ग्रामीणों ने कहा कि यहां दो मुख्य सड़कें हैं, जो एयरपोर्ट निर्माण के कारण पूरी तरह से बंद हो जाएंगी. पूरा गांव तीतर-बीतर हो जाएगा. ग्रामीणों ने यह भी दावा किया कि खाता संख्या 24, खेसरा संख्या 89 की जमीन पर वे वर्षों से कब्जे में हैं, उनके पास वैध रसीदें, केबाला (बिक्री पत्र) और ऑनलाइन, ऑफलाइन दस्तावेज मौजूद हैं. जबकि प्रशासन इसे सरकारी जमीन बता रहा है और मुआवजा देने से इनकार कर रहा है. स्थानीय लोगों का कहना है कि यदि सरकार को यहां एयरपोर्ट बनाना ही है, तो सभी प्रभावित रैयतों को उचित मुआवजा दिया जाए और एक वैकल्पिक स्थान पर बसाया जाए, जिससे उन्हें जीवन यापन में कठिनाई न हो. बैठक में मौजूद बसंतपुर अंचलाधिकारी ने दावा किया कि जिन खेसरा संख्या की जमीन पर विवाद है, वह राजस्व अभिलेख में सरकारी (गैरमजरुआ) जमीन है, और इस पर कोई मुआवजा देय नहीं है. हालांकि स्थानीय लोग इस दावे को खारिज कर रहे हैं.
डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है