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हत्यारोपित को आजीवन कारावास की सजा, 10 हजार का अर्थदंड

अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश द्वितीय के न्यायालय ने सुनायी सजा 22 सितंबर 1993 को हुई थी घटना सुपौल : अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश द्वितीय आलोक राज के न्यायालय ने मंगलवार को सत्रवाद संख्या 39/95 में परशुराम पासवान को हत्या का दोषी पाकर आजीवन कारावास एवं ₹10 हजार रुपये अर्थ दंड की सजा सुनायी. […]

अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश द्वितीय के न्यायालय ने सुनायी सजा

22 सितंबर 1993 को हुई थी घटना
सुपौल : अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश द्वितीय आलोक राज के न्यायालय ने मंगलवार को सत्रवाद संख्या 39/95 में परशुराम पासवान को हत्या का दोषी पाकर आजीवन कारावास एवं ₹10 हजार रुपये अर्थ दंड की सजा सुनायी. घटना बीरपुर थाना क्षेत्र की है. बताया जाता है कि 22 सितंबर 1993 को राज करीब 10:00 बजे सरकारी अस्पताल में राजेश कुमार मेहता ने थानाध्यक्ष के समक्ष बयान दिया कि उसका चचेरा भाई विद्यानंद मेहता भैंस चरा कर वापस आ रहा था. इसी क्रम में परशुराम पासवान उसे रोक कर अपने खेत का धान चराने का आरोप लगाया और लाठी-डंडे से मारपीट करने लगा. लाठी के प्रहार से विद्यानंद मेहता बेहोश हो कर वहीं गिर गया. पुन: घर लौटने पर परशुराम अन्य कुछ लोगों के साथ पहुंचा और गाली-गलौज शुरु कर दी.
चचेरे भाई जगदीश मेहता के मना करने पर परशुराम ने पुन: लाठी से सिर पर वार कर दिया. जिससे सिर से रक्तश्राव होने लगा और वह बेहोश हो गया. बैलगाड़ी से उसे इलाज के लिए अस्पताल लाया गया. जहां से प्रारंभिक उपचार के बाद उसे अन्य रेफर कर दिया गया. लेकिन सहरसा ले जाने के क्रम में रास्ते में ही उसकी मौत हो गयी.
इस बाबत वीरपुर थाना कांड संख्या 105/93 दर्ज है. अभियोजन पक्ष की ओर से अधिवक्ता लल्लन प्रसाद सिंह तथा बचाव पक्ष की ओर से अधिवक्ता विनोद कांत झा ने न्यायालय में अपनी दलील पेश की. जिसके अवलोकन तथा उपलब्ध साक्ष्यों के आधार पर न्यायालय द्वारा फैसला सुनाया गया.

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