खुशखबरी. आम बजट में कोसी वासियों को िमला तोहफा, तीन रेल योजनाओं के लिए 250 करोड़ आवंटित
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सुपौल में बिछेगा रेलवे का जाल
खुशखबरी. आम बजट में कोसी वासियों को िमला तोहफा, तीन रेल योजनाओं के लिए 250 करोड़ आवंटित सुपौल जिला सन् 1909 में ही रेल सेवा से जुड़ गया था. यहां पर रेलवे का 110 साल पुराना इतिहास है, लेिकन वर्ष 2017 एक ऐसा वर्ष रहा, जब सुपौल जिले के किसी भी हिस्से में रेल परिचालन […]
सुपौल जिला सन् 1909 में ही रेल सेवा से जुड़ गया था. यहां पर रेलवे का 110 साल पुराना इतिहास है, लेिकन वर्ष 2017 एक ऐसा वर्ष रहा, जब सुपौल जिले के किसी भी हिस्से में रेल परिचालन नहीं हो रहा है. इससे इतर जिले वासियों के लिए एक बड़ी खुशखबरी है. क्योंकि वर्षों से ब्रॉड गेज सेवा का इंतजार भी इसी साल खत्म हो सकता है.
सुपौल : आम बजट 2017 कोसी वासियों के लिए तोहफे के रूप में सामने आया है. दरअसल, इस साल कोसी के इलाके में रेलवे ने केवल ट्रैक बिछाने के लिए 250 करोड़ रुपये आवंटित किये हैं. खास बात यह है कि जिन ट्रैक के लिए यह राशि आवंटित की गयी है, सभी का सीधा संबंध सुपौल से है. रेलवे सूत्रों की मानें तो 17 मार्च तक सहरसा से बरुआरी के बीच रेलवे ट्रैक का कार्य भी पूरा करने का लक्ष्य निर्धारित है, जिसके बाद संभव है कि साल के अंत तक बरुआरी से रेल परिचालन की सेवा भी आरंभ कर दी जाये. हालांकि जिला मुख्यालय से रेलवे के सफर के लिए लोगों को थोड़ा इंतजार करना पड़ सकता है. लेकिन इसके बावजूद रेलवे की इस पहल ने लोगों की उम्मीद जिंदा कर दी है.
सहरसा-फारबिसगंज ट्रैक के लिए मिले 125 करोड़ : इस साल आम बजट में रेलवे ने कोसी, विशेष तौर पर सुपौल वासियों का पूरा ख्याल रखा है. यही कारण है कि सहरसा-फारबिसगंज रेलवे ट्रैक के लिए 125 करोड़ रुपये आवंटित किये गये हैं. फिलहाल प्रथम चरण में इस ट्रैक पर सहरसा से बरुआरी के बीच जोर-शोर से काम चल रहा है. इस कार्य को 17 मार्च तक पूरा करने का लक्ष्य निर्धारित है, जबकि 18 मार्च से इससे आगे का कार्य किया जाना है. दरअसल, द्वितीय चरण में रेलवे का लक्ष्य भपटियाही तक रेल ट्रैक के कार्य को पूरा करना है, जिससे निर्मली रूट से भी संपर्क स्थापित हो सकेगा. गौरतलब है कि वर्ष 1996-97 के रेल बजट में समस्तीपुर-फारबिसगंज के बीच आमान परिवर्तन कार्य की घोषणा तत्कालीन रेलमंत्री रामविलास पासवान ने की थी.
वर्ष 2001 में इस पर पहली बार कार्य आरंभ हुआ, लेकिन कार्य को दो हिस्सों में बांट दिया गया. पहले फेज में समस्तीपुर से खगड़िया तथा दूसरे फेज में मानसी से फारबिसगंज को रखा गया. इसके बाद एक बार फिर जब कार्य आरंभ हुआ, कुछ ही दिनों में मानसी से फारबिसगंज के हिस्से को भी दो भाग में बांटा गया. जिसमें प्रथम फेज में मानसी से सहरसा तथा द्वितीय फेज में सहरसा से फारबिसगंज के बीच कार्य होना था. 05 जून 2005 सुपौल वासियों के लिए ऐसी तारीख थी, जब उन्हें सबसे अधिक निराशा हाथ लगी. वजह थी कि इस दिन जब ब्रॉड गेज लाइन पर ट्रेन दौड़ी तो वह सहरसा तक ही थम गयी. इसके बाद से लोग लगातार ब्रॉड गेज सेवा के इंतजार में थे. हर बार रेल बजट की बात सामने आते ही लोगों की नजरें टीवी स्क्रीन से इस उम्मीद में चिपक जाती थी कि इस बार उनके लिए कुछ खास होगा. बहरहाल, इस बार जब प्रावधान हुआ है, लोगों की बांछें खिली हुई हैं.
दो अन्य ट्रैक के लिए 125 करोड़ का प्रावधान : आम बजट में निर्मली-भपटियाही के बीच रेलवे ट्रैक पर कार्य के लिए 25 करोड़ रुपये भी आवंटित किये गये हैं. जिससे कार्य में तेजी आने की उम्मीद है. गौरतलब है कि 600 करोड़ की लागत से इस ट्रैक पर पूर्व में ही रेल महासेतु का निर्माण हो चुका है. इसके अलावा रेलवे ने सुपौल से अररिया 92 किमी लंबी नयी रेल लाइन के लिए 100 करोड़ रुपये आवंटित किये हैं. यह ट्रैक पिपरा, त्रिवेणीगंज, जदिया,
रानीगंज होते हुए अररिया तक बिछायी जायेगी. इस इलाके में अब तक के इतिहास में कभी भी रेल परिचालन नहीं हुआ है. हालांकि वर्ष 2008 के रेल बजट में तत्कालीन रेल मंत्री लालू प्रसाद यादव ने 304.41 करोड़ रुपये का प्रावधान किया था, लेकिन राशि के अभाव में इस दिशा में कार्य आरंभ नहीं हो सका था. फिलहाल इस ट्रैक पर प्रथम फेज में सुपौल से पिपरा तक 21 किमी लंबे ट्रैक बिछाने पर कार्य आरंभ होना है.
सहरसा-फारबिसगंज रेल लाइन के लिए 125 करोड़ का आवंटन
निर्मली-भपटियाही के लिए भी 25 करोड़ आवंटित
सुपौल-अररिया नयी रेल लाइन पर खर्च होंगे 100 करोड़
17 मार्च तक पूरा हो जायेगा बरुआरी तक काम
इसी साल संभव है रेल परिचालन रेल यात्रियों को होगा फायदा
110 साल पुराना है सुपौल में रेलवे का इतिहास
सुपौल में रेलवे का इतिहास करीब 110 साल पुराना है. यूं तो वर्ष 1854 में ही इस्ट इंडिया कंपनी द्वारा रेल सेवा आरंभ कर दी गयी थी. लेकिन कोसी का इलाका वर्ष 1909 से सेल सेवा से जुड़ सका. वर्ष 1902 में सुपौल सहित प्रमंडल क्षेत्र में रेलवे के लिए जमीन अधिप्राप्ति की प्रक्रिया आरंभ की गयी, जबकि मीटर गेज सेवा के लिए वर्ष 1907 में सहरसा-निर्मली-फारबिसगंज के बीच कार्य आरंभ किया गया. वर्ष 1909 में निर्माण कार्य संपन्न होने के बाद यहां रेल परिचालन आरंभ भी कर दिया गया. खास बात यह है कि तब ट्रेन कोयला व पानी से चलने वाली वाष्प इंजन के सहारे चलती थी. लेकिन वर्ष 1934 में आयी प्रलयंकारी भूकंप ने कोसी नदी पर बने रेल पुल को ध्वस्त कर दिया और इसके साथ ही सुपौल-फारबिसगंज ट्रैक पर रेल परिचालन ठप हो गया. बाद में इसी साल सरायगढ़ से फारबिसगंज के बीच रेल सेवा आरंभ हुई, जबकि वर्ष 1975 में सुपौल से सरायगढ़ के बीच रेल सेवा तत्कालीन रेलमंत्री ललित नारायण मिश्र के प्रयास से आरंभ हुआ. फिलहाल सहरसा-फारबिसगंज के बीच 206 किमी लंबे रेल ट्रैक में तीन चरणों में आमान परिवर्तन का कार्य हो रहा है, जिसमें 20 जनवरी 2012 को राघोपुर-फारबिसगंज तथा 30 नवंबर 2015 को थरबिटिया-राघोपुर के बीच ट्रैक बंद किया गया, जबकि गत वर्ष ही 24 दिसंबर से सहरसा-थरबिटिया के बीच भी रेल परिचालन ठप है.
सहरसा-फारबिसगंज के बीच 125 तथा निर्मली-भपटियाही ट्रैक के लिए इस साल के बजट में 25 करोड़ रुपये आवंटित किये गये हैं. सुपौल-अररिया नये रेल ट्रैक के लिए भी 100 करोड़ का आवंटन जारी किया गया है. रेलवे ने सहरसा से बरुआरी के बीच 17 मार्च तक कार्य संपन्न करने का लक्ष्य तय किया है. इसके उपरांत आगे का कार्य आरंभ किया जायेगा.
एके रजक, मुख्य जनसंपर्क पदाधिकारी, पूर्व मध्य रेलवे, पटना
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