सुपौल : मेरे पिता (आनंद मोहन) की सहरसा जेल में हत्या की साजिश की जा रही है. उनकी सजा अब लगभग पूरी होने जा रही है. जिससे कुछ लोग घबरा गये हैं. सहरसा के डीएम एवं जेल अधीक्षक द्वारा जेल में गुटबाजी की जा रही है. विगत सात दिनों से आनंद मोहन जेल में 300 कैदियों के साथ अनशन पर बैठे हुए हैं. अगर उनकी मांगों पर गंभीरता पूर्वक विचार नहीं किया गया एवं जेल अधीक्षक के विरुद्ध कार्रवाई नहीं हुई तो फ्रेंड्स ऑफ आनंद के बैनर तले निर्णायक लड़ाई का शंखनाद किया जायेगा.
उक्त बातें पूर्व सासंद आनंद मोहन के पुत्र चेतन आनंद ने रविवार को स्थानीय लोहिया चौक स्थित केदार नाथ सिंह मुन्ना के आवास पर रविवार को एक संवाददाता सम्मेलन के दौरान कही.
श्री आनंद ने कहा कि मेरे पिता सदैव बंदियों के हित के लिये गर्मजोशी से आवाज उठाते रहे हैं. फलस्वरूप वे जेल प्रशासन के आंख की किरकिरी बने हुए हैं. उन्होंने कहा कि जेल प्रशासन के रवैये से जेल में बंद कई अपराधियों का मनोबल सातवें आसमान पर है. श्री आनंद ने कहा कि इस मामले को गंभीरता से लेते हुए सरकार को सीधा हस्तक्षेप करना चाहिये, ताकि कोई अनहोनी न हो. बोले, फ्रेंड्स ऑफ आनंद को जांच टीम का इंतजार है. देखना है कि वह क्या निर्णय लेती है. उन्होंने 07 दिनों से आमरण अनशन जारी रहने के बाद भी मेडिकल टीम के नहीं पहुंचने पर सहरसा सिविल सर्जन के भी कठघरे में खड़ा किया है. कहा कि अगर यही स्थिति रही तो 07 फरवरी को फ्रेंड्स ऑफ आनंद के बैनर तले घेराव कार्यक्रम का आयोजन किया जायेगा और सहरसा समाहरणालय के सामने महा धरना दिया जायेगा.
श्री आनंद ने कहा कि पिछले एक दशक से सहरसा जेल सद्भाव पूर्ण वातावरण, सकारात्मक गतिविधियों के लिये मशहूर रहा है. लेकिन कुछ माह पहले नये जेल अधीक्षक संजीव कुमार के पदभार ग्रहण करने के बाद अचानक स्थितियों में बदलाव आया है. इनके आते ही जेल प्रशासन एवं बंदियों में जात-पात, धार्मिक उन्माद और गुटबाजी चरम पर है. गाली-गलौज, सेल, पगली घंटी आम बात हो गयी है. कहा कि आनंद मोहन को निशाना बना कर माह में दो बार पगली घंटी बजायी गयी और काराधीक्षक के इशारे पर बदसलूकी की गयी. हर बार पगली घंटी में पूर्वाग्रह से ग्रसित जेल अधीक्षक ने निर्दोषों की बेरहमी से पिटाई करवायी. मौके पर आनंद मोहन की पत्नी सह पूर्व सांसद लवली आनंद के अलावा फ्रेंड्स ऑफ आनंद के रवींद्र सिंह, केदार नाथ सिंह मुन्ना, संजय सिंह आिद मौजूद थे.