सुपौल जिले के तीन अंचल पिपरा, किशनपुर और सुपौल का चकबंदी कार्यालय पिपरा चकबंदी कार्यालय में ही चलता है
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नष्ट हो रहे कागजात अनदेखी. क्षतिग्रस्त है चकबंदी कार्यालय
सुपौल जिले के तीन अंचल पिपरा, किशनपुर और सुपौल का चकबंदी कार्यालय पिपरा चकबंदी कार्यालय में ही चलता है चकबंदी कार्यालय का भवन विभाग व सरकारी उपेक्षा के कारण वर्षों से जर्जर है. क्षतिग्रस्त भवन की मरम्मत अथवा पुननिर्माण की दिशा में अब तक किसी प्रकार की कार्रवाई नहीं की जा सकी है. पिपरा : […]
चकबंदी कार्यालय का भवन विभाग व सरकारी उपेक्षा के कारण वर्षों से जर्जर है. क्षतिग्रस्त भवन की मरम्मत अथवा पुननिर्माण की दिशा में अब तक किसी प्रकार की कार्रवाई नहीं की जा सकी है.
पिपरा : प्रखंड मुख्यालय स्थित चकबंदी कार्यालय का भवन विभाग व सरकारी उपेक्षा के कारण वर्षों से जर्जर है. जगह-जगह क्षतिग्रस्त छत एवं जर्जर भवन रहने की वजह से इस कार्यालय में कार्यरत कर्मियों एवं अधिकारियों के लिए जमीन संबंधी आवश्यक कागजातों को सहेज कर रखने में काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. जबकि कई बार सूचित किये जाने के बावजूद क्षतिग्रस्त भवन की मरम्मत अथवा पुननिर्माण की दिशा में अब तक किसी प्रकार की कार्रवाई नहीं की जा सकी है. इस स्थिति में बारिश के मौसम में वर्षा का पानी अंदर प्रवेश कर जाता है. जिससे कई महत्वपूर्ण दस्तावेज के नष्ट होने की संभावना जतायी जा रही है.
जानकारी अनुसार वर्ष 2011 में तेज बारिश के साथ हुई ओलावृष्टि की वजह से एसवेस्टस के छत को काफी क्षति पहुंची थी. छत में कई स्थानों पर बड़े-बड़े छेद बन गये थे. लेकिन विडंबना है कि पांच वर्ष बीत जाने के बाद भी आज तक इसकी मरम्मत नहीं हुई है. जबकि जमीन संबंधी आवश्यक रिकॉर्ड यहां रखा जाता है. मालूम हो कि सुपौल जिले के तीन अंचल पिपरा, किशनपुर और सुपौल का चकबंदी कार्यालय सम्मिलित रूप से पिपरा चकबंदी कार्यालय में ही चलता है.
इन तीन अंचलों के सर्वे व चकबंदी संबंधित सभी कागजात इसी कार्यालय में रखे गये हैं. इस कार्यालय में रखे गये महत्वपूर्ण कागजात यदि लापरवाही के कारण वर्षा व धूप में नष्ट हो जाता है तो इन तीनों अंचलों के भूधारियों को कितनी परेशानी होगी. इसका अंदाजा सहज लगाया जा सकता है. वहीं सरकार जमीन संबंधी कागजात के संरक्षण के लिये डिजिटलाइजेशन कर रही है.
वहीं दूसरी ओर पिपरा चकबंदी कार्यालय में आवश्यक कागजातों को सहेजने का उपाय नहीं किया जा रहा है. यदि समय रहते कोई उपाय नहीं किया गया तो अपूरणीय क्षति हो सकती है. ज्ञात हो कि वर्ष 1974 में पिपरा में शुरू हुए चकबंदी कार्यालय जिला परिषद के डाक बंगला में चल रहा है.
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