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नूतन वर्ष से जिले वासियों को कई उम्मीदें

सरकार व जनप्रतिनिधियों के लिए इसे पूरा करना चुनौती शिक्षा व उद्योग के मामले में काफी पिछड़ा है यह जिला हजारों मजदूर प्रति दिन कर रहे हैं पलायन सुपौल : नये साल के शुभारंभ के साथ ही जहां लोगों ने नयी जोश व उमंग के साथ नये संकल्प लिये हैं, वहीं नूतन वर्ष में जिले […]

सरकार व जनप्रतिनिधियों के लिए इसे पूरा करना चुनौती

शिक्षा व उद्योग के मामले में काफी पिछड़ा है यह जिला
हजारों मजदूर प्रति दिन कर रहे हैं पलायन
सुपौल : नये साल के शुभारंभ के साथ ही जहां लोगों ने नयी जोश व उमंग के साथ नये संकल्प लिये हैं, वहीं नूतन वर्ष में जिले के कल्याण हेतु जिला वासियों के कई सपने व उम्मीदें भी हैं. जिन्हें इस वर्ष पूरा करना सरकार व जनप्रतिनिधियों के लिए चुनौती होगी. दरअसल जिला बनने के 24 साल बीत जाने के बावजूद सुपौल जिला आज भी कई मायनों में पिछड़ा है. कोसी प्रभावित इस जिले में बुनियादी सुविधाओं का घोर अभाव है.
हालांकि बीते वर्षों में कोसी कछार पर बसे इस जिले में कई बदलाव आये हैं. सड़कें चकाचक हुई. विशेष कर एनएच 57 फोर लेन बनने से बड़े शहरों से इसका जुड़ाव हुआ है.अस्पताल के हालात भी पहले से बेहतर हुए हैं. हालांकि वहां अब भी कई सुधार की दरकार है. शिक्षा के क्षेत्र में यह जिला राज्य स्तरीय सूची में निचले पायदान पर खड़ा है. वहीं कल-कारखाने व उद्योग की स्थापना नहीं होने से बेरोजगारी की समस्या मुंह बाये खड़ी है. रेल की समस्या से जिला वासी त्रस्त हैं. अंग्रेजों के जमाने की छोटी रेल लाइन आज भी यहां मौजूद हैं. रेल खंड के अधिकांश हिस्सों में मेगा ब्लॉक की वजह से यह सुविधा भी अब क्षीण हो गयी है.
12 वर्ष बीत गये नहीं हुआ आमान परिवर्तन : रेल का लंबित आमान परिवर्तन जिला वासियों की सबसे बड़ी समस्या बनी हुई है. फारबिसगंज-सहरसा रेल खंड में अवस्थित इस जिले में अब भी छोटी रेल लाइन की ट्रेन दौड़ती है.
06 जून 2003 को तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने निर्मली में रेल महा सेतु व आमान परिवर्तन कार्य का शिलान्यास किया था. 2009 तक कार्य के पूर्ण होने का आश्वासन दिया गया था. रेल महा सेतु बन कर तैयार हो गया. लेकिन 12 साल बीत जाने के बावजूद आमान परिवर्तन कार्य अधूरा पड़ा है.

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