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12 वर्ष बाद भी नहीं हुआ अमान परिवर्तन
राशि उपलब्ध होने के बाद भी नहीं हो रहा कार्य सरायगढ़ : दो दशक से अधिक समय बीत जाने के बावजूद भी दो भागों में विभक्त कोसी व मिथिलांचल के बीच रेल परिचालन का कार्य प्रारंभ नहीं हो पाया है. मालूम हो कि कोसी व मिथिलांचल वासियों को रेल सेवा उपलब्ध कराये जाने को लेकर […]
राशि उपलब्ध होने के बाद भी नहीं हो रहा कार्य
सरायगढ़ : दो दशक से अधिक समय बीत जाने के बावजूद भी दो भागों में विभक्त कोसी व मिथिलांचल के बीच रेल परिचालन का कार्य प्रारंभ नहीं हो पाया है. मालूम हो कि कोसी व मिथिलांचल वासियों को रेल सेवा उपलब्ध कराये जाने को लेकर वर्ष 2003 में कोसी नदी के उपर रेल महासेतु की आधार शीला रखने के साथ ही कार्य प्रारंभ किया गया था.
लेकिन विभागीय उदासीनता के कारण उक्त रेल खंड का कार्य पूर्ण नहीं कराया जा सका है. कार्य प्रारंभ होने के साथ ही लोगों ने सोचा था कि अब इस क्षेत्र का काया कल्प होगा. साथ ही रोजगार के भी अवसर खुलेंगे. लेकिन सरजमी पर मंथर गति से हो रहे कार्य ने लोगों द्वारा संजोये सपने पर पानी फेरता नजर आ रहा है. हालांकि रेल प्रशासन द्वारा वर्ष 2016 में उक्त रेल खंड पर रेल परिचालन किये जाने की संभावना जताया जा रहा है.
2003 में रखी गयी थी आधारशीला
छह जून 2003 में तत्कालीन प्रधान मंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने कोसी व मिथिलांचल के एकीकरण को लेकर कोसी महासेतु व रेल महासेतु की आधार शीला रखी थी. जहां आठ फरवरी 2012 को त्तत्कालीन केंद्रीय मंत्री डाॅ सीपी जोशी द्वारा कोसी सड़क महा सेतु का उदघाटन किया गया.
चकाचक इस मार्ग पर छोटे व भारी वाहन फर्राटे भर रहे हैं. लेंकिन रेल मार्ग के परिचालन नहीं होने से लोगों को आवागमन में भारी परेशानी के साथ – साथ आर्थिक क्षति का भी सहन करना पड़ रहा है.
आठ दशक पूर्व इस क्षेत्र के लोगों को रेल सेवा मिल रही थी. वर्ष 1934 में आयी प्रलयकारी भूकंप ने निर्मली- भपटियाही के बीच परिचालित रेल सेवा को क्षत विक्षत कर दिया था. इस कारण इस रेल खंड पर रेल का परिचालन पूर्ण रूप से ठप हो गया. बताया कि अंगरेजी शासन के दौरान बनाये गये भपटियाही – निर्मली रेल खंड का अवशेष इतिहास की गवाही दे रहा है.
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