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…तो क्या, कचरों के बीच मनायेंगे नया साल

सुपौल : नया साल की धमक शुरू है. नव वर्ष के अभिनंदन को लेकर लोगों ने तैयारी प्रारंभ कर दी है. विशेष कर युवा वर्ग पिकनिक आदि के कार्यक्रम तय करने में मशगूल हो गये हैं. लेकिन विडंबना है कि जिला मुख्यालय व आस-पास के क्षेत्र में एक भी पार्क, पिकनिक स्पॉट या पर्यटन स्थल […]

सुपौल : नया साल की धमक शुरू है. नव वर्ष के अभिनंदन को लेकर लोगों ने तैयारी प्रारंभ कर दी है. विशेष कर युवा वर्ग पिकनिक आदि के कार्यक्रम तय करने में मशगूल हो गये हैं. लेकिन विडंबना है कि जिला मुख्यालय व आस-पास के क्षेत्र में एक भी पार्क, पिकनिक स्पॉट या पर्यटन स्थल नहीं है.

युवा वर्ग में चिंतित हैं. सूबे में पार्कों के सौंदर्यीकरण के प्रति सरकार भले ही काफी संजीदगी से कार्य करने का दावा कर रही हो. इसके लिए लाखों रुपये भी खर्च किये जा रहे हैं. लेकिन जिले में सरकारी पहल पर सरकार के हीं अधिकारियों का ग्रहण लगा है. नतीजा है कि जिला मुख्यालय में अवस्थित एक मात्र चिल्ड्रेन पार्क सौंदर्यीकरण कार्य से आज भी अछूता है.

सरकारी उदासीनता का शिकार यह पार्क दिन-ब-दिन बदहाल होता जा रहा है. पार्क बदहाल रहने से लोगों को सैर-सपाटे में भी परेशानी उठानी पड़ती है. बावजूद प्रशासन इस ओर उदासीन बना हुआ है.करोड़ों की लागत, नतीजा शून्य करीब 45 वर्ष पूर्व तत्कालीन अनुमंडल पदाधिकारी आरके मजूमदार के पहल पर गांधी मैदान के समीप इस पार्क की स्थापना लाखों की लागत से की गयी थी. प्रारंभिक दौर में पार्क की रौनक देखते ही बनती थी.

तब पार्क में खेलने -कूदने हेतु शहर के विभिन्न क्षेत्रों से बच्चों का यहां जमावड़ा होता था. लेकिन प्रशासनिक उदासीनता की वजह से पार्क समय के साथ बदहाल होता चला गया. हाल के वर्षों में पार्क के जीर्णोद्धार व सौंदर्यीकरण के नाम पर लाखों रुपये खर्च किये गये. बावजूद पार्क की समस्या व बदहाली का ग्राफ दिनों-दिन बढ़ता जा रहा है. रख-रखाव के प्रति उदासीन है प्रशासन प्रशासनिक देख-रेख का आलम यह है कि सौंदर्यीकरण के दौरान पार्क में कुल 14 सोलर लाइट लगाये गये थे.

लेकिन सभी सेट चोरी कर लिये गये. इतना ही नहीं पार्क में जीर्ण-शीर्ण पड़ा झूला व झरना पार्क के अतीत की पहचान मात्र बन कर रह गया है. समुचित रख-रखाव के अभाव में पार्क के अंदर जगह-जगह गड्ढे बन चुके हैं. जिसकी वजह से बच्चे यहां खेलने से कतराते हैं.अंदर बने सीमेंटेड बेंच की टाइल्स भी उखड़ चुकी है.

जिसके कारण सुबह-शाम पार्क में सैर करने वालों का यहां चंद पल गुजारना भी मुश्किल है. शराबियों का अड्डा बनता जा रहा है पार्क पार्क की घेराबंदी करने के बाद भी यह दिन में आवारा पशुओं का चारागाह बना रहता है. वहीं रात के अंधेरे में यह शराबियों का अड्डा बन जाता है.

समुचित रौशनी व सुरक्षा में कमी की वजह से शराबी इस स्थान को महफूज मान कर देर रात तक यहां पूरी मौज-मस्ती करते हैं. शराबियों के अक्सर होने वाले हंगामे से पार्क के अगल-बगल रहने वाले वाशिंदे त्रस्त हैं. मालूम हो कि पार्क की रख-रखाव समिति का गठन बीते कई माह से लंबित है. कुल मिला कर बच्चों के मनोरंजन व खेल-कूद के लिए निर्मित यह पार्क अपने उद्देश्यों की पूर्ति में विफल साबित हो रहा है. स्थानीय लोग पार्क की बदहाली के लिए रख-रखाव समिति के पुनर्गठन की मांग करने लगे हैं.

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