सदर प्रखंड की लाउढ़ निवासी 40 वर्षीया शायरा खातून भूकंप के दौरान एसबीआइ की मुख्य शाखा में मौजूद थीं. भूकंप से जब अफरातफरी मची तो दहशत के कारण वह बेहोश हो गयीं. उनका इलाज सदर अस्पताल में चल रहा है. परिजनों ने बताया कि 25 अप्रैल को आये भूकंप की दहशत से शायरा अब तक पूरी तरह उबर नहीं पायी है. अन्य कारणों से भी झटके महसूस होने पर वह विचलित हो जाती हैं. वहीं अस्पताल में मौजूद मरीज और परिजन भी डरे और सहमे नजर आये.
अस्पताल में इलाज करा रही चकडुमरिया की किशोरी कली आसमी कुछ इस तरह दहशत से घिरी कि उसे सदर अस्पताल के परिसर में स्लाइन लगाना पड़ा.आसमी ने माना कि वह अस्पताल के अंदर नहीं जाना चाहती है. अस्पताल के बरामदे पर हीरा देवी अपने नवजात शिशु को पुचकारती मिलीं. उसने कहा, अंदर जाने में भय लगता है. यह भय ही था कि ओपीडी वार्ड में भरती सारे मरीज दूसरे वार्ड में शिफ्ट कर गये, क्योंकि अंग्रेजों के जमाने का बना वह भवन अब भूकंप का सामना करने को तैयार नहीं है. केवल ऐसा नहीं था कि अस्पताल में केवल दहशत का ही माहौल था. दहशत के बीच कई लोगों के चेहरे पर मुस्कान भी नजर आयी. यह अलग बात थी कि मुस्कुराते हुए चेहरे पर अचानक शिकन के भाव भी नजर आये. अस्पताल के नवजात शिशु गहन चिकित्सा इकाई में मौजहा से आयी ललिता देवी फोन पर कह रही थीं ‘किछ देर पैहले आहां कै पोता भेल यै. देखै में बड़ सुंदर य. लेकिन कहु कि भूकंप में सब कुछ ठीक यै नै. कोनों नुकसान तै नै भेल’.