प्रतिनिधि, सुपौल सदर थाना के रिकॉर्ड में दर्जनों ऐसे सरकारी पदाधिकारी और कर्मचारी हैं, जिन पर संगीन मामले में वाद दर्ज है और वे वर्षों से फरार हैं. हालांकि पुलिस समकालीन अभियान चलाती है, लेकिन इस अभियान की जद में केवल आम लोग होते हैं. आरोपी अधिकारियों के लिए अभियान भी कोई मायने नहीं रखता है. इस तथ्य का खुलासा सूचना के अधिकार अधिनियम के तहत हुआ है. पब्लिक विजिलेंस कमेटी के सचिव अनिल कुमार सिंह ने पुलिस अधीक्षक से आरटीआइ के तहत सूचना मांगी थी कि 14 मार्च 1991 से 14 मार्च 2014 की अवधि में कितने सरकारी कर्मी व अधिकारी के विरुद्ध कांड लंबित है और अब तक जमानत नहीं मिली है. एसपी के आदेश पर थानाध्यक्ष द्वारा जो सूचना उपलब्ध करायी गयी है, उससे स्पष्ट है कि कई अधिकारी और कर्मी कई वर्ष से पुलिस की आंखों में धूल झोंक रहे हैं. पुलिस की नजर में भले ही वे फरार हों, लेकिन इनमें से अधिकांश सरकार से वेतन नियमित रूप से प्राप्त कर रहे हैं. उपलब्ध करायी गयी सूचना के अनुसार थाना कांड संख्या 66/09 में एसबीआइ कृषि शाखा के तत्कालीन शाखा प्रबंधक हरेराम मिश्र, एसबीआइ मुख्य शाखा के तत्कालीन फिल्ड ऑफिसर सुधीर कुमार सिंह, कांड संख्या 29/10 व 161/11 में 11 एएनएम, तत्कालीन डीइओ आशीष रंजन, कांड संख्या 338/11 में लिपिक सह नाजिर शैलेंद्र ठाकुर, कांड संख्या 367/11 में पीआरएस मनोज कुमार आदि नामजद हैं. यह स्थिति के वल एक थाने की है, पूरे जिले की स्थिति का अनुमान सहज ही लगाया जा सकता है.
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दर्जनों सरकारी पदाधिकारी पुलिस रिकॉर्ड में फरार
प्रतिनिधि, सुपौल सदर थाना के रिकॉर्ड में दर्जनों ऐसे सरकारी पदाधिकारी और कर्मचारी हैं, जिन पर संगीन मामले में वाद दर्ज है और वे वर्षों से फरार हैं. हालांकि पुलिस समकालीन अभियान चलाती है, लेकिन इस अभियान की जद में केवल आम लोग होते हैं. आरोपी अधिकारियों के लिए अभियान भी कोई मायने नहीं रखता […]
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