* संभावित बाढ़ के खतरे से भयभीत हैं कोसी क्षेत्र के रहवासी
सुपौल : 15 जून से बाढ़ अवधि प्रारंभ होने के साथ ही बाढ़ आने की उल्टी गिनती शुरू हो गयी है. वहीं तटबंध के भीतर निवास करने वाले लोग अभी से बाढ़ के संभावित खतरे से सिहरने लगे हैं. लोगों को अपना सब कुछ गंवाने का भय सता रहा है.
नदी में पानी कम रहने से लोगों को कटाव का दंश झेलना पड़ रहा है. हालांकि कोसी नदी में पानी का डिसचार्ज फिलहाल कम है. बावजूद इसके अभी से लोग सुरक्षित स्थानों की तलाश में जुट गये हैं. प्रतिवर्ष बाढ़ की विभीषिका झेलने वाले तटबंध के भीतर के निवासियों को कोसी नदी की हर गतिविधि का अंदाजा है. इसलिए समय से पूर्व यहां के वासी सारी तैयारियां पूरी कर लेते हैं.
कोसी नदी का डिसचार्ज कम रहने के कारण पूर्वी तटबंध पर अभी किसी प्रकार का खतरा नहीं है. लेकिन तटबंध के काफी नजदीक सट कर बहने से आगे परेशानी हो सकती है.
हालांकि जिला प्रशासन व जल संसाधन विभाग के अधिकारी बाढ़ पूर्व तैयारी पूरा कर लिए जाने तथा तटबंध के नाजुक बिंदुओं को चिह्न्ति कर निरोधात्मक कार्य तेज किये जाने का दावा कर रहे हैं. लेकिन जिस प्रकार कोसी नदी तटबंध के करीब बह रही है, लोगों में दहशत कायम है. प्रकाशपुर व राजाबास के बीच अभी भी तटबंध पर नदी का दबाव बना हुआ है.
* तीन महीने रहती है परेशानी
कोसी तटबंध के भीतर बसे किसनपुर, सरायगढ़-भपटियाही, मरौना व निर्मली सदर प्रखंड के लोग बाढ़ के दौरान होने वाली तबाही के मंजर को याद कर सिहर उठते हैं. परिवार तथा माल मवेशियों की बाढ़ के दौरान रक्षा के निमित्त किये जाने वाले उपाय के संबंध में बताते हुए ग्रामीण कहते हैं कि साल के तीन महीने ज्यादा परेशानी होती है. इसलिए वे लोग बाढ़ अवधि घोषित होने के बाद पूरी तरह सतर्क हो जाते हैं.
किसनपुर प्रखंड के बेलागोठ निवासी मणिकांत झा ने बताया कि परिवार के सदस्यों को सुरक्षित स्थान पर भेज दिया गया है. मवेशी व खेती की देखभाल के लिए एक सदस्य का रुकना आवश्यक था. वहीं इसी गांव के रामयश मंडल ने बताया कि वर्तमान में बाढ़ का खतरा नहीं है. बावजूद इसके उन्होंने भी सुरक्षित स्थान का तलाश कर लिया है. जहां जरूरत पड़ने पर परिवार के सदस्यों को भेजा जा सके.
* सुविधाओं की कमी
पूर्वी व पश्चिमी कोसी तटबंध के मध्य बसे लाखों की आबादी आज भी मूलभूत सुविधाओं से वंचित हैं. वहीं दोनों तटबंध के बीच बसे लोगों की सुविधा के लिए गठित कोसी विकास प्राधिकार मृतप्राय है. नतीजतन यहां के लोगों को प्रतिवर्ष कोसी के कटाव व बाढ़ की समस्याएं झेलनी पड़ती है.
तटबंध के बीच बसे तकरीबन साढ़े तीन सौ गांव के लोग सड़क, बिजली, स्वास्थ्य, शिक्षा आदि सुविधाओं से वंचित हैं. प्रत्येक वर्ष बाढ़ व कटाव से विस्थापित होकर खानाबदोश की जिंदगी जीना इनकी नियति बन गयी है.