सुपौल : करोड़ों की लागत से एमएमजीएस योजना अंतर्गत निर्माण कराये गये पीडब्लूडी सड़क तीन वर्ष में ही जगह-जगह टूटने लगी है. स्थिति यह है कि इस सड़क से गुजरना दुर्घटना को आमंत्रण देने के बराबर है. उक्त सड़क पर बिखरे गिट्टी व पत्थर के बीच आवाजाही करना लोगों के लिए परेशानी का सबब बना हुआ है. इतना ही नहीं सड़क में गिट्टी उभरने व जगह-जगह गड्ढे बन जाने के कारण चालकों को वाहनों के परिचालन में भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है.
सबसे से ज्यादा परेशानी तब होती है, जब उक्त पथ से लोग खुले पैदल यात्रा करते हैं. यह मामला सदर अनुमंडल क्षेत्र स्थित हरदी पश्चिम पंचायत अंतर्गत इटहरी गांव से मोहन मंडल घर होते हुए वीणा जाने वाली सड़क की है. इस पथ से कई गांव के आवागमन रहने के कारण लोगों की आवाजाही अधिक रहती है. हालांकि ग्रामीणों द्वारा कई बार विभागीय पदाधिकारी को सड़क से अवगत कराया गया है.
लेकिन विभाग द्वारा इस ओर ध्यान नहीं दिया जा रहा है. सड़क जर्जर के कारण खासकर बच्चों को स्कूल जाने में भारी परेशानी का सामना करना पड़ता है. सड़क पर बड़े-बड़े पत्थर रहने के कारण आवाजाही के दौरान लोग दुर्घटना का शिकार भी होते रहे हैं.
क्या कहते हैं ग्रामीण
ग्रामीण दिनेश प्रसाद मंडल, इंद्रसैन सिंह, जयनारायण मंडल, शंकर प्रसाद सिंह, नारायण मंडल, बरिश लाल मंडल, नेबालाल मंडल, सीताराम राम, देव नारायण मंडल, ब्रह्मदेव प्रसाद सिंह व युवराज मंडल ने बताया कि इस सड़क से लाखों की आबादी जुड़ी है. जिसके कारण ये सड़क इस क्षेत्र के लिए लाइफ लाइन माना जाता है. ग्रामीणों ने बताया कि सड़क जर्जर रहने के कारण इस सड़क से आवाजाही करने में भारी परेशानी होती है. जबकि इस बाबत कई बार संवेदक को कहा गया है.
लेकिन संवेदक द्वारा इस ओर ध्यान नहीं दिया जा रहा है. लोगों ने बताया कि सड़क टूट जाने से गांव का संपर्क जिला मुख्यालय से पूरी तरह ठप हो सकता है. ऐसे में समय रहते अगर मरम्मत कार्य नहीं करवाया गया तो इस क्षेत्र के लोगों का बाहर निकला मुश्किल हो सकता है. हालांकि इस बात को लेकर जिम्मेदार कुछ भी बोलने से परहेज कर रहे हैं.
संवेदक की मनमानी से जर्जर हो गयी सड़क
मालूम हो कि इटहरी गांव प्रधानमंत्री रोड से धपरिया गांव मोहन मंडल घर होते हुए वीणा को जोड़ने वाली सड़क की कुल लंबाई लगभग तीन किलोमीटर है. ग्रामीण कार्य विभाग कार्य प्रमंडल सुपौल के अधीनस्थ करवाये गये कार्य की कुल लागत लगभग 02 करोड़ बताया जा रहा है. विभाग द्वारा उक्त कार्य एमके कंस्ट्रक्शन प्राइवेट लिमिटेड के द्वारा 06 अप्रैल 2014 को पूर्ण किया गया.
लेकिन कार्य वर्ष के महज तीन साल बीतने के साथ ही जगह-जगह सड़क टूटने लगी. सड़क टूटते देख ग्रामीणों में आस थी कि सरकारी आदेशानुसार 05 वर्ष तक संबंधित संवेदक द्वारा देख-रेख किया जायेगा. लेकिन संवेदक की मनमानी के कारण तीन वर्ष बीत जाने के बावजूद जर्जर सड़क की सुधि नहीं ली गयी. ऐसे में सरकारी आदेश संवेदक के लिए कोई मायने नहीं रखता है. ग्रामीणों ने बताया कि सड़क जर्जर होने की सूचना संवेदक को कई बार दी गयी है. लेकिन संवेदक द्वारा आज कल कह कर टाल रहे हैं. सड़क बन जाने के बाद एक भी बार संवेदक द्वारा उक्त सड़क की सुध नहीं ली गयी. जिससे लोगों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ता है. विभाग को बार-बार ध्यान दिलाने के बावजूद भी इस ओर ध्यान नहीं दिया जा रहा है. ग्रामीणों का कहना है कि सड़क जर्जर रहने के कारण आवाजाही करने में भारी परेशानी होती है. लोग कह रहे हैं कि टूटी सड़क विकास की पोल खोल रही है.