कार्यक्रम. राष्ट्रीय सार्वजनिक मेला समिति परिसर स्थित राष्ट्रपिता की प्रतिमा पर लोगों ने किया माल्यार्पण
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समारोहपूर्वक याद किये गये महात्मा गांधी
कार्यक्रम. राष्ट्रीय सार्वजनिक मेला समिति परिसर स्थित राष्ट्रपिता की प्रतिमा पर लोगों ने किया माल्यार्पण सुपौल : जिले भर में विभिन्न स्थानों पर सोमवार को राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की 148वीं जयंती समारोह पूर्वक मनी. जिला मुख्यालय स्थित राष्ट्रीय सार्वजनिक मेला समिति परिसर स्थित राष्ट्रपिता के प्रतिमा स्थल पर आयोजित समारोह में निर्मली विधायक अनिरुद्ध प्रसाद […]
सुपौल : जिले भर में विभिन्न स्थानों पर सोमवार को राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की 148वीं जयंती समारोह पूर्वक मनी. जिला मुख्यालय स्थित राष्ट्रीय सार्वजनिक मेला समिति परिसर स्थित राष्ट्रपिता के प्रतिमा स्थल पर आयोजित समारोह में निर्मली विधायक अनिरुद्ध प्रसाद यादव, डीएम बैद्यनाथ यादव, एसपी डॉ कुमार एकले, उप विकास आयुक्त अखिलेश कुमार झा, एसडीओ एनजी सिद्दीकी, डीएसपी विद्यासागर, मेला समिति के सचिव युगल किशोर अग्रवाल, प्राचार्य विश्वासचंद्र मिश्र, पूर्व सचिव नागेंद्र नारायण ठाकुर, अमर कुमार चौधरी सहित विद्यालय के सभी शिक्षक-शिक्षकेत्तर कर्मी व अन्य गणमान्य उपस्थित थे.
डीएम ने राष्ट्रपिता की याद में प्रख्यात वैज्ञानिक आइंस्टीन द्वारा कही गयी बातों का जिक्र करते हुए कहा कि हजार साल बाद भी आने वाली नस्लें इस बात पर मुश्किल से विश्वास करेगी कि एक हाड़ मांस से बना ऐसा कोई इंसान भी धरती पर कभी आया था, जिसने पूरे भारत में क्रांति का बिगुल फूंका. साथ ही जिसने अहिंसा का दामन थाम कर अंग्रेजों से भारत को आजादी दिलायी थी, जिनके कारण हम आज आजाद हिंदुस्तान में सांस ले रहे हैं. डीएम ने महात्मा गांधी की आत्मकथा “सत्य के प्रयोग” पर चर्चा करते हुए कहा कि राष्ट्रपिता के बाल्यकाल में परिवार व माता के धार्मिक वातावरण और विचार का गहरा असर पड़ा था.
विधायक ने कहा कि 1920 में तिलक के निधन के बाद गांधीजी कांग्रेस के सबसे बड़े नेता के तौर पर उभरे. 1919 में जालियांवाला बाग में हजारों निहत्थे भारतीयों के नरसंहार के विरोध में गांधीजी ब्रिटिश सरकार से मिले इनाम-ओ-इकराम वापस कर दिये. ब्रिटिश सरकार के रौलेट एक्ट के खिलाफ उन्होंने “सविनय अवज्ञा आंदोलन” की शुरुआत की. गांधी ने अली बंधुओं के खिलाफत आंदोलन का भी समर्थन किया. अली बंधुओं (शौकत अली और मोहम्मद अली जौहर) ने तुर्की के ऑटोमान साम्राज्य के शासक को ब्रिटिश शासकों द्वारा सत्ता से हटाये जाने के खिलाफ आंदोलन किया था.
गोखले भी गांधीजी को राजनीतिक गुरु मानते थे : एसपी
पुलिस अधीक्षक ने कहा कि गांधी जी ने दक्षिण अफ्रीका में प्रवासी भारतीयों के अधिकारों और ब्रिटिश शासकों की रंगभेद की नीति के खिलाफ सफल आंदोलन किया. दक्षिण अफ्रीका में उनके सामाजिक कामों की गूंज भारत तक पहुंची. 1915 में जब वे हमेशा के लिए भारत वापस आये तो उनकी अगुवानी के लिए मुंबई के कई प्रमुख कांग्रेसी नेता पहुंचे.
इन नेताओं में गोपाल कृष्ण गोखले भी थे जिन्हें गांधीजी अपना राजनीतिक गुरु मानते थे. गांधीजी की भारत वापसी के पीछे गोखले की अहम भूमिका रही. भारत आने के बाद गांधी ने मई 1915 में गुजरात के अहमदाबाद में सत्याग्रह आश्रम की स्थापना की. डॉ एकले ने कहा कि 1915 में भारत लौट आये. उनकी वापसी के बाद उन्होंने गोपाल कृष्ण गोखले से मुलाकात की और भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के आंदोलनों के बारे में चर्चा की.
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