सीवान. उमसभरी गर्मी के कारण जनजीवन प्रभावित हो गया है. लोग घरों से बाहर निकलने से बच रहे हैं. सूर्य के उदय होने के साथ ही सड़क सन्नाटा पसर जाता है. उमस से लोगों का हाल-बेहाल हो रहा है. शुक्रवार को सुबह से उमसभरी गर्मी में लोग पसीने से भींगते रहे. दिनभर पुरवा हवा के साथ बादलों की आवाजाही रही. बावजूद इसके गर्मी से लोगों की हालत खराब हो गयी. इस बीच तेज धूप से लोग झुलसते रहे. न्यूनतम तापमान 28 और अधिकतम 32 डिग्री सेल्सियस रिकार्ड किया गया. मौसम विभाग के मुताबिक चार दिन बाद तापमान में गिरावट के साथ बारिश की संभावना है. आषाढ़ की गर्मी ने जीना मुहाल कर दिया है. सुबह से ही लोग गर्मी में परेशान हो रहे है. तपिश और उमस के चलते शरीर से पसीना नहीं रुक रहा है. तापमान कम होने के बाद भी गर्मी से लोगों का दम निकल रहा. तमाम प्रयास के बाद भी गर्मी से राहत नहीं मिल पा रही है. पंखा, कूलर व एसी भी ठंडक नहीं दे पा रहे हैं. शुक्रवार को सुबह से 10 किलोमीटर प्रतिघंटे की रफ्तार से गर्म हवा चलती रही. उमस और सूर्यदेव की तपिश के चलते लोगों का बुरा हाल हो गया. दिन बढ़ने के साथ धूप के तेवर तीखे हो गये. हालांकि तापमान में कोई खास उतार-चढ़ाव नहीं हुआ. लेकिन गर्मी से लोग बेचैन रहे. दोपहर के समय मौसम में बदलाव देखने को मिला. कभी धूप तो कभी छांव का मौसम बना रहा.
मॉनसून की आहट, जल्द बरसेंगे बदरा
दिन व रात में घने बादल का छाना खेती किसानी के लिए अच्छे संकेत हैं. किसानों की समस्या जल्द ही दूर होने वाली है. क्योंकि जिला परिक्षेत्र में मॉनसून सक्रिय हो रहा है. मौसम विभाग के अनुमान के मुताबिक दो से तीन दिनों में मॉनसून पूर्ण रूप से सक्रिय होगा. मौसम विशेषज्ञ डॉ मनोज कुमार गिरि ने बताया कि जिले में मॉनसून सक्रिय होने की संभावना बन रही है. दिन व रात में बादल छाये रहने के साथ बारिश होने की उम्मीद है. सुबह-शाम गर्मी से राहत मिलेगी. वहीं, दिन में उमस सतायेगा. तीन-चार दिनों में मेघ गर्जन के साथ मध्यम से भारी वर्षापात हो सकती है. न्यूनतम तापमान 28 और अधिकतम 33 डिग्री सेल्सियस तक रहने की उम्मीद है.
बीमारियों का बढ़ा खतरा
बारिश के मौसम शुरू होते ही तरह-तरह की बीमारियों से पीड़ित मरीजों की संख्या अस्पतालों में बढ़ने लगी है. इस मौसम में डायरिया, टाइफाइड, वायरल फीवर व मलेरिया सबसे ज्यादा और तेजी से फैलता है. डॉ संजय गिरी ने बताया कि टाइफाइड और डायरिया खराब खाने-पीने से होता है. इसमें उल्टी-दस्त की समस्या भी रहती है. कुछ बैक्टीरिया वायरल फीवर का कारण भी बन जाते हैं. खान-पान व रहने की बेहतर व्यवस्था की बदौलत बीमारियों से बचा जा सकता है. इस मौसम में हर उम्र के लोगों को थोड़ी-सी असावधानी होने पर बीमारी अपनी चपेट में ले लेती है. सावधान रहने की जरूरत है. इस मौसम में चिकेनगुनिया, डेंगू, मलेरिया के साथ बच्चों में जेइ-एइएस का खतरा अधिक बढ़ जाता है. लोगों को हर स्तर से सावधान रहने की जरूरत है. मच्छरों से फैलने वाली बीमारियों से बचाव के लिए कहीं भी पानी जमा नहीं होने दें. इस मौसम में जितना हो सके पानी उबाल कर ही पीना जरूरी है. सोते वक्त मच्छरदानी का इस्तेमाल करें.
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