दो दिवसीय निरीक्षण के अंतिम दिन हाइकोर्ट के न्यायाधीश ने अधिवक्ताओं को किया संबोधित
सीवान : हाइकोर्ट के न्यायाधीश चक्रधारी शरण सिंह दो दिनों तक यहां के न्यायालयों का निरीक्षण करने के बाद शनिवार को पटना के लिए रवाना हो गये. अंतिम दिन श्री सिंह ने अधिवक्ता संघ के सभागार में अधिवक्ताओं को संबोधित करते हुए कई नसीहतें भी दीं. श्री सिंह ने कहा कि वकालत के पेशे में गुरु-शिष्य परंपरा का निर्वहण महत्वपूर्ण होता है.
गुरु के मार्गदर्शन से ही हर कोई ऊंची मुकाम हासिल करता है. व्यवहार न्यायालय के निरीक्षी जज के रूप में आये न्यायाधीश चक्रधारी शरण सिंह ने अपने संबोधन में कहा कि प्रथम राष्ट्रपति डाॅ राजेंद्र प्रसाद की यह धरती है. संविधान निर्माण में उनके दिये गये योगदानों की बदौलत ही हमारे यहां कानून का समय-समय पर निर्माण होता है. उनकी पुनीत धरती का होने का आप सभी को गौरव प्राप्त है. युवा अधिवक्ताओं को अपने कार्यों के प्रति सजग रहते हुए समय का सदुपयोग करने की सलाह देते हुए कहा कि यह कोशिश आपको जज की कुरसी तक पहुंचाती है. आपसी विवादों को बढ़ाने से संस्थान की शिकायत होती है.
वरिष्ठ अधिवक्ताओं को अपने कनीय अधिवक्ताओं को हमेशा प्रोत्साहित करना चाहिए. उन्होंने अधिवक्ताओं से किसी भी कोर्ट में पेशी के नाम पर रकम देने से मनाही करते हुए कहा कि वे इस मामले में उदाहरण पेश करें. कोई भी कोर्ट सम्मन का तामिला आने पर ही वारंट निर्गत करें. समारोह को जिला व सत्र न्यायाधीश ओमप्रकाश राय ने भी संबोधित किया. इस दौरान संघ के सचिव शंभुदत्त शुक्ल ने कोर्ट के चल रहे न्यायिक बहिष्कार को समाप्त करने की अधिकृत रूप से घोषणा की. यहां संघ के अध्यक्ष दिनेश तिवारी, रामेश्वरी प्रसाद, बंगाली सिंह, रामजी सिंह, शिवनाथ सिंह, सुभास्कर पांडेय, घनश्याम तिवारी, कलीमुल्लाह समेत अन्य वरिष्ठ अधिवक्ता मौजूद रहे.