सीवान : प्रारंभिक व मध्य विद्यालयों में क्रमश: प्रधान शिक्षक व प्रधानाध्यापक की नियुक्ति के संबंध में उच्च न्यायालय द्वारा जारी आदेश को विभागीय पदाधिकारी सही रूप से अमल नहीं कर पा रहे हैं. वहीं, दूसरी ओर इस मामले में कुछ प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी भी जिला शिक्षा पदाधिकारी के आदेश को नहीं मान रहे हैं.
मामले में कोर्ट ने वर्ष 2012 में एक आदेश पारित कर सख्त निर्देश देते हुए कहा था कि उक्त दोनों विद्यालयों में नियमित के रहते नियोजित को प्रभार में नहीं रखना है. जिला शिक्षा पदाधिकारी द्वारा एक माह पूर्व जारी आदेश, जिसमें बीइओ से स्पष्ट कहा गया था कि शिक्षक प्रभार से संबंधित प्रतिवेदन कार्यालय को उपलब्ध कराया जाये, को किसी ने अभी तक उपलब्ध नहीं कराया है.
दरअसल, उच्च न्यायालय द्वारा 23 जनवरी, 2012 को आदेश पारित कर कहा गया कि प्राथमिक व मध्य विद्यालयों में प्रधानाध्यापक के पद पर नियमित शिक्षक की ही नियुक्ति करनी है, न कि नियोजित की.
इस संदर्भ में वर्ष 2013 में निदेशक प्राथमिक शिक्षा, बिहार, पटना द्वारा सभी जिला शिक्षा पदाधिकारी को अनुपालन सुनिश्चित करने के संबंध में दिशा निर्देश जारी किया गया था. साथ ही निर्देश में प्रभार देने के संबंध में आनाकानी करनेवाले शिक्षकों के विरुद्ध विभागीय कार्रवाई, जिसमें प्रधानाध्यापक के पद का प्रभार नहीं देनेवाले शिक्षक के द्वारा विद्यालय के वित्तीय मामले के संचालन पर रोक लगाने के लिए संबंधित बैंक को आवश्यक निर्देश देने व अनुशासनिक कार्रवाई करने के साथ-साथ वेतन भुगतान पर रोक लगाने के लिए सक्षम प्राधिकार को निर्देशित करनाथ. वहीं, इसके प्रभार के आदान-प्रदान में विलंब होने पर संबंधित शिक्षक पर सरकारी कार्य में बाधा उत्पन्न करने व वित्तीय गबन का आरोप लगाते हुए नजदीकी थाने में प्राथमिकी दर्ज कराने का आदेश शामिल था.
इधर, प्राथमिक शिक्षा निदेशक के पत्र के आलोक में तत्कालीन जिला शिक्षा पदाधिकारी महेश चंद्र पटेल ने प्रखंड शिक्षा पदाधिकारियों के निर्देश का अक्षरश: पालन करने के लिए निर्देशित किया था. अपने पत्रांक 3715, दिनांक 22 जुलाई, 2014 में स्पष्ट कर दिया था कि किसी भी वरीय शिक्षक के द्वारा प्रभार के लिए शिकायत की जाती है, तो इसकी संपूर्ण जवाबदेही बीइओ की होगी. निर्देश में यह भी कहा गया था कि यदि किसी विद्यालय में नियमित शिक्षक नहीं हैं, तो निकट के विद्यालयों में तैनात नियमित शिक्षक को प्रभार में रखना है.
मामले को प्रभात खबर द्वारा 18 मई को प्रमुखता से उठाने के बाद जिला शिक्षा पदाधिकारी विश्वनाथ प्रसाद विश्वकर्मा ने पत्रांक 665, दिनांक एक जून, 2016 को सभी प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी को निर्देशित करते हुए प्रतिवेदन उपलब्ध कराने को कहा था. बावजूद इसके अब तक किसी ने उपलब्ध नहीं कराया है.
28 जून को डीइओ की अध्यक्षता में हुई बैठक में इस बात का खुलासा हुआ. नाराजगी जताते हुए डीइओ ने दो जुलाई तक प्रतिवेदन उपलब्ध कराने निर्देशित किया है.
इधर, डीइओ श्री विश्वकर्मा ने बताया कि वैसे नियमित शिक्षकों पर भी कार्रवाई होगी, जो प्रभार लेने से आना-कानी कर रहे हैं. हालांकि मामले में श्री विश्वकर्मा ने बीइओ की संलिप्तता से इनकार नहीं किया है. उन्होंने कहा कि तय समय सीमा के बाद बीइओ पर भी कार्रवाई की जायेगी.