सेलपीनजाइटिस बीमारी में महिला डॉक्टर लिख रही हैं क्वानटेफेरान टीबी गोल्ड
पॉजिटिव रिपोर्ट आने के बाद मरीजों को दी जा रही है टीबी की दवा
सीवान : स्वास्थ्य विभाग का स्पष्ट निर्देश है कि ब्लड से किसी प्रकार की जांच कर मरीज को टीबी की दवा नहीं जा सकती है. करीब पांच साल पहले विश्व स्वास्थ्य संगठन की अनुशंसा पर ड्रग्स कंट्रोलर ऑफ इंडिया ने ब्लड से होने वाले टीबी की जांच को बैन कर दिया.
लेकिन आज भी टीबी व महिलाओं में होनेवाली बीमारी सेलपीनजाइटिस के लिए प्राइवेट डॉक्टर खुलेआम क्वानटेफेरान टीबी गोल्ड जांच को लिख रहे हैं तथा पॉजिटिव रिपोर्ट आने पर टीबी की दवा भी दे रहे हैं. यह बात सत्य है कि टीबी के कारण ही महिलाओं में सेलपीनजाइटिस बीमारी होती है. लेकिन, इसके अन्य दूसरे तरीके से जांच करानी चाहिए. राज्य टीबी डीसी के मेडिकल ऑफिसर डॉ बीके सिन्हा ने बताया कि टीबी बीमारी के संबंध में दो तरह की बात होती है. एक टीबी से संक्रमित होना तथा दूसरा टीबी से ग्रसित होना. उन्होंने बताया कि कुल आबादी का करीब 65 प्रतिशत लोग टीबी से संक्रमित हैं.लेकिन उनको टीबी की इलाज की जरूरत नहीं है. अगर क्वानटेफेरान टीबी गोल्ड टेस्ट की जाये, तो उसकी करीब 75 प्रतिशत रिपोर्ट गलत होंगी. इसलिए उसे प्रतिबंधित किया गया है. महिला डॉक्टरों को सेलपीनजाइटिस के केस में अन्य दूसरी तरह की क्लिनिकल जांच से उसका पता लगाना चाहिए.