उद्घाटन के बाद से एक बूंद भी नहीं टपका नल का पानी
शुद्ध पेयजल के लिए तरस रहे हैं दरौंदा वासी
दरौंदा : सरकार की कल्याणकारी पेयजल योजना हाथी का दांत साबित हो रही है़ इसके प्रचार-प्रसाद के नाम पर लाखों रुपये लुटाये जा रहे हैं. बावजूद गरीबों को शुद्ध पेयजल नसीब नहीं हो पाता है़ इसका जीता-जागता उदाहरण है दरौंदा प्रखंड मुख्यालय के परिसर में 79.84 लाख की लागत से बनायी गयी जलमीनार. 30 अक्तूबर, 2009 को लोक स्वास्थ्य अभियंता विभाग के तत्कालीन मंत्री अश्विनी कुमार चौबे ने इसका उद्घाटन किया था़
फलस्वरूप आनन-फानन में विभाग ने इसे किसी तरह एक दिन के लिए चलवा दिया, जिसका पानी आसपास के नलकों में सिमट कर रह गया़ मंत्री के जाने के बाद से अभी तक वह भी बंद पड़ा है़ ज्ञात हो कि विभाग के द्वारा स्वीकृत नाबार्ड संपोषित ग्रामीण पाइप जलापूर्ति योजना से बनी इस जलमीनार पर 79.84 की लागत आयी थी, जो अभी तक शोभा की वस्तु बन कर रह गयी है़ 50 हजार गैलन की क्षमतावाली इस जलमीनार से यहां के लोगों को 50 लीटर भी पानी भी नसीब नहीं हो सका है़ इसको लेकर भाजपा युवा मोरचा के जिला उपाध्यक्ष चंद्रविजय प्रकाश यादव ने इसके नहीं चालू होने पर क्षोभ जताया.
क्या कहते हैं लोग
गरमी के मौसम में भोजन से अधिक पानी की जरूरत होती है़ ऐसे में पानी की समस्या ने लोगों की परेशानी को बढ़ा दिया है़ पानी की पर्याप्त व्यवस्था होनी चाहिए.
रागिनी कुमारी, दरौंदा
जब पानी की टंकी का निर्माण हुआ था, लोगों को उम्मीद जगी थी कि अब कभी पानी का संकट नहीं होगा, लेकिन टंकी चालू नहीं होने से लोगों की समस्या जस-की-तस बनी हुई है़
राकेश कुमार, पिपरा
अगर पानी की टंकी की कमी को दूर कर उसे भरवा कर सप्लाइ दी जाये, तो पूरे गांव में पानी की सप्लाइ पहुंचने लगेगी और लोगों को पानी की समस्या से निजात मिल जायेगी़
सुदामा राय, पिपरा
जब पानी टंकी का निर्माण हुआ तो लोगों को उम्मीद जगी थी कि दरौंदा वासियों को शुद्ध पेयजल मिलेगा, लेकिन टंकी के उदघाटन के बाद से आज तक दरौंदावासियों को पेयजल नसीब नहीं हो सका है़
संजय प्रसाद, दरौंदा