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हर माह चार करोड़ की चपत

सीवान : जिले में विद्युत विभाग की कोशिश का असर रहा कि तेजी से बिजली आपूर्ति में सुधार हुआ है.प्रत्येक माह उपभोक्ताओं की संख्या भी विभागीय आंकड़ों में बढ़े हैं. लो वोल्टेज की शिकायतों में भी बड़े पैमाने में कमी आयी है. इन सब सुधारों के बाद भी परेशानियां कम नहीं है. जिसे दूर करने […]

सीवान : जिले में विद्युत विभाग की कोशिश का असर रहा कि तेजी से बिजली आपूर्ति में सुधार हुआ है.प्रत्येक माह उपभोक्ताओं की संख्या भी विभागीय आंकड़ों में बढ़े हैं. लो वोल्टेज की शिकायतों में भी बड़े पैमाने में कमी आयी है.

इन सब सुधारों के बाद भी परेशानियां कम नहीं है. जिसे दूर करने के लिए विभाग नित्य योजनाएं बनाने व उसके अनुपालन में जुटा है. जिससे की उपभोक्ताओं की उम्मीदों पर खरा उतरा जा सके. तमाम विभागीय कोशिशों के बीच उम्मीदों पर सवाल भी उठते रहे हैं. बहरहाल पचास फीसदी आपूर्ति के बदले पैसा जुटाना बिजली विभाग के लिए बड़ी चुनौती बनी है.

हर माह आठ करोड़ रुपये की बिजली की खपत : जिले के 1 लाख 95 हजार उपभोक्ताओं के बीच 35 से 40 मेगावाट बिजली की आपूर्ति की जाती है.जबकि प्रत्येक माह अस्सी मेगावाट बिजली की जरूरत है.आपूर्ति होनेवाली बिजली के रकम की वसूली न हो पाना विभाग की सबसे बड़ी चिंता है. प्रत्येक माह आठ करोड़ रुपये की बिजली की खपत हो रही है.

इसके एवज में विभाग को औसतन चार करोड़ रुपये ही बिजली बिल के रूप में मिल पा रहे हैं.बानगी के तौर पर देखें तो अक्तूबर माह में 4 करोड़ 16 लाख रुपये की बिल के मद में वसूली हुयी. शेष बिजली का विभाग के पास भी कोई ठोस हिसाब नहीं है. हालांकि, दलीलों में विभागीय अधिकारी कहते हैं कि पांच फीसदी बिजली तकनीकी कारणों से बरबाद हो जाता है. शेष 45 फीसदी में से अधिकांश का आकलन व्यावसायिक घाटे के रूप में किया जाता है.

वसूली की राह का रोड़ा बनी बिल की गड़बड़ी : बिजली विभाग पचास फीसदी बिजली का हिसाब न मिलने पर भले ही नाकामी को छुपाने की विभिन्न दलील देने में लगा है.जबकि सच्चाई है कि बिल में गड़बड़ी भी इसके नुकसान का बड़ा कारण बन रहा है.आमतौर पर उपभोक्ताओं की शिकायत रहती है कि समय से बिल प्राप्त नहीं होती है.

बिल जमा करने के बाद भी बकाये में वह रकम दर्शाया गया रहता है.मीटर रीडिंग की सबसे अधिक शिकायतें हैं.खास बात है कि अभी भी सभी घरों में मीटर विभाग नहीं लगवा पाया है.ऐसे में ओवर लोड के बाद भी उतने रकम की बिजली बिल का विभाग संबंधित उपभोक्ता से वसूली करने में असमर्थ है.

फ्रेंचाइजी के भरोसे भी सुधार नहीं : बिजली विभाग ने व्यवस्था में सुधार और अधिक राजस्व वसूली के लिए प्राइवेट कंपनियों को फ्रेंचाइजी बनाकर बिजली बिल वितरण व बिल पेमेंट की जिम्मेदारी दी.जिससे की समय से वितरण व वसूली का कार्य हो सके. इसमें शुरुआती दिनों में विभाग को बेहतर सफलता मिली.

लेकिन बाद के दिनों में फ्रेंचाइजी कंपनी के कर्मचारियों की लापरवाही कार्य में आड़े आने लगी. अब हाल यह है कि समय से बिल न मिलने व बिलों में गड़बड़ी की शिकायत आम हो गयी है.

सौ फीसदी वसूली की कवायद तेज : विभाग की चिंता सौ फीसदी बिजली बिल वसूली की रही है.जिसके क्रम में फ्रेंचाइजी के सहारे सुधार की कोशिश की गयी.इसके पूर्व बिल लोगों को न मिलने की शिकायत थी.अब विभाग की नयी व्यवस्था के तहत सभी घरों में मीटर लगाने की योजना है.जिसे जल्द जल्द पूरा करना चाहता है.

क्या कहते हैं अधिकारी

बिजली बिलों की वसूली व बिजली चोरी पर रोक लगाने के लिए हर संभव कोशिश की जा रही है.जिसमें अब तक अपेक्षित सफलता मिली है.कमर्शियल घाटे को कम करने के लिए ठोस उपाय किये जा रहे हैं.जिससे की आपूर्ति के आधी बिजली बिल का जो अब तक भुगतान नहीं मिल रहा है. उसे भी सुनिश्चित किया जा सके.

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