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गांवों को अभी रोजगार सेवकों की सेवा के लिए करना होगा इंतजार

गांवों को अभी रोजगार सेवकों की सेवा के लिए करना होगा इंतजार -हाइकोर्ट के बरखास्त पीआरएस को बहाल करने के आदेश के बाद नयी भरती पर लगा संकट-विभाग ने नये सिरे से भरती के लिए निकाला था आवेदनसीवान.गांवों में विकास कार्यों के अनुपालन में प्रमुख भूमिका निभाने वाले पंचायत रोजगार सेवकों की बरखास्तगी के बाद […]

गांवों को अभी रोजगार सेवकों की सेवा के लिए करना होगा इंतजार -हाइकोर्ट के बरखास्त पीआरएस को बहाल करने के आदेश के बाद नयी भरती पर लगा संकट-विभाग ने नये सिरे से भरती के लिए निकाला था आवेदनसीवान.गांवों में विकास कार्यों के अनुपालन में प्रमुख भूमिका निभाने वाले पंचायत रोजगार सेवकों की बरखास्तगी के बाद नये सिरे से भरती की कोशिश को हाइकोर्ट से झटका लगा है.बरखास्त पीआरएस को एक बार फिर बहाल करने का कोर्ट ने आदेश जारी कर दिया है. ऐसे में नयी भरती के लिए जमा कराये जा रहे आवेदन पर अब ग्रहण लग गया है, जिससे यह साफ है कि गांवों को अभी पीआरएस के लिए इंतजार करना पड़ेगा, जिसके चलते विकास कार्यों पर इसका असर पड़ेगा.प्रदेश में पंचायतों में कार्यरत रोजगार सेवक स्थायीकरण की मांग को लेकर दो माह तक निरंतर हड़ताल पर थे. शासन के आदेश के बाद भी हड़ताल से वापस न लौटने पर उनके खिलाफ विभागीय कार्रवाई शुरू की गयी.नोटिस के बाद भी जो रोजगार सेवक काम पर नहीं लौटे,उनके खिलाफ विभागीय कार्रवाई शुरू की गयी. इसी क्रम में जिले में कार्यरत 176 पंचायत रोजगार सेवकों में से 103 को बरखास्त कर दिया गया. इनकी जगह विकल्प के रूप में विभाग ने इंदिरा आवास सहायक को तैनात कर कार्य को जारी रखने की कोशिश शुरू की. हालांकि अनुभव व पंचायतों का संपूर्ण अभिलेख न होने के कारण इंदिरा आवास सहायक को कार्य करने में व्यवधान उत्पन्न होता रहा. ऐसे में विभाग ने नये सिरे से भरती के लिए सितंबर में आवेदन जारी किया. इस बीच हाइ कोर्ट ने पूर्व में बरखास्त पीआरएस को बहाल करने के लिए आदेश जारी कर दिया है.आदेश के मुताबिक हड़ताल की अवधि का वेतन देय नहीं होगा.साथ ही भविष्य में ये हड़ताल पर नहीं जायेंगे. इस आदेश के बाद विभाग पसोपेश में है. इन सबके बीच कोर्ट के आदेश के विपरीत विभाग जाने की स्थिति में नहीं है. फिलहाल आवेदन जमा करने की प्रक्रिया पर ग्रहण लगना तय है. विधानसभा चुनाव की प्रक्रिया पूरी होने के बाद ही कोई भी आदेश पूरी तरह अमल में आने की उम्मीद है.इस संबंध में पूछे जाने पर डीआरडीए के निदेशक कुमार रामानुज ने कहा कि कोर्ट का आदेश संज्ञान में आया है. फिलहाल विभाग की तरफ से कोई पत्र नहीं आया है.कोर्ट के आदेश के क्रम में विभाग की जारी गाइड लाइन के अनुसार कार्य किया जायेगा.

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