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वट वृक्ष की पूजा से प्राप्त होता है अखंड सौभाग्य

फोटो- 07 वट वृक्ष की पूजा-अर्चना करतीं महिलाएं.शहर से लेकर प्रखंडों में भी महिलाओं ने की वट वृक्ष की पूजा-अर्चना जीरादेई/सीवान. अखंड सौभाग्य व संतान सुख की प्राप्ति के लिए सुहागिन स्त्रियों ने रविवार को वट वृक्ष की पूजा-अर्चना कर परिक्रमा की. सुहागिन महिलाओं ने सोलह शृंगार कर सिंदूर, रोली, फूल, अक्षत, चना , फल […]

फोटो- 07 वट वृक्ष की पूजा-अर्चना करतीं महिलाएं.शहर से लेकर प्रखंडों में भी महिलाओं ने की वट वृक्ष की पूजा-अर्चना जीरादेई/सीवान. अखंड सौभाग्य व संतान सुख की प्राप्ति के लिए सुहागिन स्त्रियों ने रविवार को वट वृक्ष की पूजा-अर्चना कर परिक्रमा की. सुहागिन महिलाओं ने सोलह शृंगार कर सिंदूर, रोली, फूल, अक्षत, चना , फल और मिठाई से सावित्री, सत्यवान और यमराज की पूजा-अर्चना की और वट वृक्ष पर दूध व जल चढ़ाया. इसके बाद कच्चे सूत को हल्दी में रंग कर वट वृक्ष में लपेटते हुए परिक्रमा की. वट वृक्ष की पूजा के बाद सावित्री व यमराज से पति की लंबी उम्र व संतान हेतु प्रार्थना की. इस दिन महिलाओं ने दिन में मीठा भोजन किया. पंडित नित्यानंद पांडेय के अनुसार वट सावित्री व्रत सौभाग्य को देने वाला और संतान की प्राप्ति में सहायता देने वाला व्रत है. भारतीय संस्कृति में यह व्रत आदर्श नारीत्व का प्रतीक है. सनातन धर्म में ज्येष्ट कृष्ण त्रयोदशी से अमावस्या तक तीन दिनी अखंड पति व्रत कामना के लिए वट सावित्री व्रत की परंपरा है. वट वृक्ष की जड़ों में ब्रह्मा, तनों में विष्णु व डालियां व पतों में शिव का वास होता है. वट वृक्ष के नीचे बैठ कर पूजा व व्रत करने से अखंड सौभाग्य, संतान व अभिष्ट की प्राप्ति होती है. वहीं प्रखंडों में भी वट वृक्ष की पूजा श्रद्धा पूर्वक की गयी. जीरादेई, हुसैनगंज, गोरेयाकोठी, दरौली, सिसवन, पचरुखी, आंदर, रघुनाथपुर आदि जगहों पर महिलाओं ने वट वृक्ष की पूजा-अर्चना की.

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