मनीष गिरि,
सीवान: बिहार शिक्षा परियोजना परिषद ने डिमांड से 25 प्रतिशत कम पुस्तकें ही अब तक जिले को आवंटित हुई हैं, जबकि छह माह बीत जाने के बाद भी अब तक सभी कक्षाओं की पुस्तकें उपलब्ध नहीं हो पायी हैं. सर्वशिक्षा अभियान द्वारा बिहार शिक्षा परियोजना परिषद को पांच लाख, 21 हजार, 233 पुस्तकों का डिमांड भेजा गया था, जबकि प्राथमिक व मध्य विद्यालयों में पढ़नेवाले बच्चों की संख्या कार्यालय से प्राप्त जानकारी के अनुसार पांच लाख, 94 हजार, 183 है. इसमें प्राथमिक विद्यालय में चार लाख, नौ हजार, 80 व मध्य विद्यालय में एक लाख, 85 हजार, 103 बच्चे है.
सर्वशिक्षा अभियान द्वारा परिषद से हिंदी, उर्दू व मिश्रित किताबों की मांग की गयी थी, जहां अब तक मात्र जिले के 3 लाख 88 हजार 542 पुस्तकें ही प्राप्त हो पायी हैं. इनमें सबसे ज्यादा संख्या हिंदी की है, जबकि सबसे कम उर्दू व मिश्रित किताबों की है. विभागीय सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार सातवीं और आठवीं कक्षाओं की पुस्तकें सबसे कम उपलब्ध हो पायी हैं.
दरौदा प्रखंड में कक्षा पांच, छह व सात, सिसवन प्रखंड में कक्षा छह व सात, लकड़ीनवीगंज प्रखंड में कक्षा दो, पांच व छह ,भगवानपुर प्रखंड में कक्षा पांच ,छह व सात ,बसंतपुर प्रखण्ड में कक्षा पांच, छह व सात ,दरौली प्रखंड में कक्षा सात व आठ, बड़हरिया प्रखंड में कक्षा पांच, महाराजगंज प्रखंड में कक्षा सात, हुसैनगंज प्रखंड में कक्षा पांच व छह, मैरवा प्रखंड में कक्षा सात, पचरूखी प्रखंड में कक्षा आठ,जीरादेई प्रखंड में कक्षा छह, सात,आठ, गोरेयाकोठी प्रखंड में कक्षा पांच,छह,सात व आठ,व हसनपुरा प्रखंड में कक्षा एक,पांच,छह, सात व आठ की पुस्तकें अब तक नहीं पहुंची हैं. बताते चलें कि शिक्षा के अधिकार के तहत 6 से 14 आयु वर्ग के बच्चों क ो मुफत व अनिवार्य शिक्षा देनी है, जिसके तहत वर्ग एक से आठ तक के छात्रों के बीच मुफत पुस्तकों का वितरण करना है.
डिमांड के अनुसार पुस्तकों को भेजने का कार्य बिहार राजय पाठ्य पुस्तक प्रकाशन निगम लिमिटेड, पटना को करना है जो सिधे तौर पर प्रखंडों के प्रखंड संसाधन केंद्र में पुस्तकें भेजती है. जहां इन पुस्तकों के वितरण का कार्य संबंधित पदाधिकारी का होता है.
डिमांड के अनुसार पुस्तकें नहीं पहुचने व देर से पहुंचने के संबंध में सर्वशिक्षा अभियान के डीपीओ राहुल चंद्र चौधरी ने बताया कि डिमांड भेजने व पुस्तकों के वितरण क ी जिम्मेवारी हमारी है. पुस्तक भेजने का कार्य बिहार राज्य पाठ्य पुस्तक प्रकाशन निगम लिमिटेड का है. उन्होंने बताया कि किसी भी प्रखंड में अभी तक डिमांड के हिसाब से शत प्रतिशत पुस्तकें कक्षाओं को प्राप्त नहीं हो सकी हैं, जबकि इस संबंध में कई बार पूर्व जिलाधिकारी के माध्यम से बिहार राज्य शिक्षा परियोजना परिषद को पत्र भेजा जा चुका है.