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आइएएस टॉपर देनेवाले हाइस्कूल की दशा दयनीय

बड़हरिया : वैभवशाली अतीत वाले गांधी स्मारक उच्च विद्यालय का वर्तमान इतना बदहाल हो जायेगा, किसी ने सपने में भी नहीं सोचा होगा. प्रखंड मुख्यालय में सन 1947 में स्थापित इस विद्यालय के नाम कई उपलब्धियां जुटी हुई हैं, लेकिन आज शिक्षकों व संसाधनों के घोर अभाव में यह विद्यालय अपनी बदहाली पर आंसू बहाने […]

बड़हरिया : वैभवशाली अतीत वाले गांधी स्मारक उच्च विद्यालय का वर्तमान इतना बदहाल हो जायेगा, किसी ने सपने में भी नहीं सोचा होगा. प्रखंड मुख्यालय में सन 1947 में स्थापित इस विद्यालय के नाम कई उपलब्धियां जुटी हुई हैं, लेकिन आज शिक्षकों व संसाधनों के घोर अभाव में यह विद्यालय अपनी बदहाली पर आंसू बहाने को विवश है.
इस विद्यालय में छात्र -छात्राओं की संख्या करीब 25 सौ है, जबकि शिक्षकों संख्या मात्र 12 है. यानी एक शिक्षक पर 200 छात्र. जबकि विभागीय सोच के मुताबिक 40 छात्रों पर एक शिक्षक होना आवश्यक है. दुखद तथ्य यह है कि हिंदी व जीव विज्ञान जैसे महत्वपूर्ण विषयों के शिक्षक ही नहीं है. वहीं तमाम खपरैल वाले कमरे धराशायी हो चुके हैं. जबकि द्वितीय पंचवर्षीय योजना के तहत 1959 में निर्मित कमरे धराशायी होने के कगार पर हैं. मजे की बात यह कि इन 25 सौ छात्र-छात्राओं को पढ़ाने के लिए तीन कमरे ही सही-सलामत हैं. ऐसे तो इस विद्यालय में कमरों व उपस्करों के घोर अभाव में कक्षाएं दो पालियों में चलती हैं. बावजूद इसके छात्रों की बैठने की जगह नहीं मिल पाती है.
छात्रों की शत-प्रतिशत उपस्थिति होने पर कक्षाएं बरामदे में चलानी पड़ती हैं. एक जमाने में यह खेल-कूद की गतिविधियों के लिए पूरे जिले में ही नहीं पूरे बिहार में मशहूर था. लेकिन, आज इस विद्यालय में शारीरिक शिक्षक ही नहीं है, जिससे खेल-कूद की तमाम गतिविधियां ठप-सी पड़ गयी हैं. कमरों के अभाव में खेल सामग्री को यत्र-तत्र रखना पड़ रहा है. ठीक यही हाल पुस्तकालय का भी है. वर्षो से इस विद्यालय में पुस्तकालयाध्यक्ष ही नहीं हैं. इस वजह से विद्यालय के पुस्तकालय में रखी पुस्तकें दीमकों के हवाले हैं. जबकि किसी शिक्षक को फुरसत मिलती है, तो छात्र -छात्राओं के बीच पुस्तक वितरित हो पाती है.
सबसे दुखद तथ्य यह है कि विद्यालय का शौचालय दयनीय स्थिति में पहुंच चुका है. एक तो छात्र-छात्राओं के अनुपात में शौचालय की संख्या पर्याप्त नहीं है. दूसरी ओर शौचालय काफी जजर्र हो चुका है. वहीं बरसात में इस शौचालय में पानी लग जाता है. शिक्षकों को विद्यालय का खेल का मैदान छिन जाने का मलाल है. विदित हो कि इस हाइ स्कूल के खेल मैदान में वर्षो से स्टेडियम निर्माणाधीन है. इस विद्यालय ने आमिन सुबहानी जैसा आइएएस दिया.
अभी प्रदेश के गृह सचिव महत्वपूर्ण पद सुशोभित कर रहे हैं. वहीं इस विद्यालय ने आत्मानंद परमहंस जैसे अंतरराष्ट्रीय संत दिये, जिनकी ख्याति देश ही नहीं विदेश में भी है. इतना हीं नहीं इस विद्यालय के संस्थापक प्रधानाध्यापक स्व. खलील अहमद को अनुशासन के लिए राष्ट्रपति पदक मिल चुका है.
साथ ही इस विद्यालय के अन्य प्रधानाध्यापक जंग बहादुर प्रसाद को विज्ञान की विशिष्ट जानकारी व शोध के लिए राष्ट्रपति पुरस्कार मिल चुका है. इन तमाम उपलब्धियों के बावजूद इस विद्यालय को संसाधनों के घोर अभाव व शिक्षकों की कमी का दंश ङोलना पड़ रहा है. दुखद तथ्य यह +2 का दर्जा भी नहीं प्राप्त हो सका है. प्रधानाध्यापक हीरालाल शर्मा कहते है कि तमाम कमियों की जानकारी विभाग को दी जाती रही है. उन्होंने बताया कि गृह सचिव आमिर सुबहानी की पहल पर ही 12 कमरों के निर्माण के लिए एक करोड़ 20 लाख रुपये की राशि प्रस्तावित है.

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