सीवान. सत्संग जीव मुक्ति का सरलतम माध्यम है. सत्संग से बढ़ कर भगवत प्राप्ति का कोई अन्य मार्ग नहीं है. ज्ञान, भक्ति और कर्म ये सभी मार्ग सत्संग से सुलभ हो जाते हैं. यह बातें जौनपुर से आये डॉ प्रो. आरपी ओझा ने शहर के रेलवे परिसर में आयोजित श्रीराम विवाह वार्षिकोत्सव के छठे दिन प्रवचन में कहीं. उन्होंने कहा कि श्रीराम भक्ति की गंगा जब प्रवाहित होती है, तो कर्म का मार्ग प्रशस्त होता है. सत्संग में एक तीर्थ स्थापित हो जाता है, जो तीर्थ राज प्रयाग से कई मायनों में श्रेष्ठ होता है. रोहतास से पधारे पं. विनोद पाठक पियूष जी ने कहा कि हर युग में जीवों के उद्धार के लिए भिन्न – भिन्न तरीके रहे हैं. जैसे सतयुग में ध्यान, त्रेता में यज्ञ और द्वापर में पद पूजा. इसी प्रकार कलियुग में नाम कीर्तन मानव उद्धार का सुगम मार्ग है. घनश्याम जी महाराज, रामजी तिवारी, वकील यादव, प्रेम कुमार द्वारा भजन प्रस्तुत किये गये. मौके पर ललन मिश्र, इष्टदेव तिवारी, मोहन शर्मा, ब्रह्मानंद सिंह, कौशलेंद्र प्रताप, प्रो मनोज वर्मा, कुशेश्वर नाथ तिवारी, प्रमोद कुमार, सतीश तिवारी उपस्थित थे.
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जीव मुक्ति का सरलतम माध्यम है सत्संग: ओझा
सीवान. सत्संग जीव मुक्ति का सरलतम माध्यम है. सत्संग से बढ़ कर भगवत प्राप्ति का कोई अन्य मार्ग नहीं है. ज्ञान, भक्ति और कर्म ये सभी मार्ग सत्संग से सुलभ हो जाते हैं. यह बातें जौनपुर से आये डॉ प्रो. आरपी ओझा ने शहर के रेलवे परिसर में आयोजित श्रीराम विवाह वार्षिकोत्सव के छठे दिन […]
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