सीवान : सीवान में चमकी (एक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम)बीमारी का कहर जारी है. मुगलवार को गोरखपुर के आर्यन हॉस्पीटल में मैरवा के अटवां गांव के हरदेव यादव के 11 वर्षीयु पुत्र विशाल यादव की मौत हो गयी. परिजनों ने बताया कि उसके पुत्र को जब तेज बुखार हुआ तो उन लोगों ने शहर के प्रसिद्ध चिकित्सक डॉ. दिनेश कुमार के यहां भर्ती कराया.
जब बच्चा ठीक नहीं हुआ तो 16 को डॉक्टर ने रेफर कर दिया. जहां उसकी मौत हो गयी. परिजनों ने बताया कि डॉक्टर ने मौत का कारण चमकी बीमारी बताया गया. इधर शहर के प्राय: सभी चाइल्ड स्पेशलिस्ट डॉक्टरों के क्लीनिकों में चमकी बीमारी के संदेहास्पद दर्जनों मरीज भर्ती है. भर्ती मरीजों में चमकी बीमारी के कई लक्षण भी मौजूद हैं.
लेकिन सना चाइल्ड केयर सेंटर के डॉ. इसरायल के अलावा कोई डॉक्टर इन मरीजों के विषय में यह बता नहीं रहा है कि भर्ती मरीज संदेहास्पद चमकी बीमारी का मरीज है.डॉ. इसरायल के क्लीनिक में भगवानपुर थाने के मीरजुमला की भर्ती मरीज मधु की तबियत ठीक होने पर अस्पताल से छुट्टी मिल गयी. वहीं जो नये मरीज अस्पताल में भर्ती हुए हैं.
उसमें आंदर थाने के बेलवासा निवासी श्यामदेव यादव की डेढ़ साल की पुत्री नंदिनी, जीरादेई थाने के चंदौली गंगौली निवासी जयराम गुप्ता की दो साल की पुत्री नंदिनी, जीबी नगर थाने के भरतपुरा गांव के संतोष साह का दो साल का पुत्र मोहित कुमार, जिले के लकड़ी नबीगंज प्रखंड के लखनौरा निवासी अरशद अंसारी का 4 माह का पुत्र फरहान अली, शहर के पुरान किला निवासी मो. आलम का तीन साल का पुत्र मो. सबीर, गोपालगंज के मीरगंज के अभिषेक आंनद का 15 माह का पुत्र औरव, जीरादेई प्रखंड के चंदौली निवासी मो. जावेद का पुत्र साकिब तथा महाराजगंज प्रखंड के आज्ञा निवासी हरिलाल राम का चार माह का पुत्र अमित कुमार संदेहास्पद चमकी बीमारी का मरीज है जो निजी अस्पतालों में भर्ती है.
डॉ. इसरायल ने बताया कि उनके यहां करीब पांच से छह मरीज ऐसे भर्ती है जिनमें चमकी बीमारी के लक्षण दिख रहें हैं. उन्होंने बताया कि इंसेफ्लाइटिस वास्तव में मानव मस्तिष्क से जुड़ी बीमारी है. हमारे मस्तिष्क में लाखों कोशिकाएं और तंत्रिकाएं होती हैं.
इनके सहारे शरीर के अंग काम करते हैं. जब इन कोशिकाओं में सूजन या कोई अन्य दिक्कत आ जाती है, तो इसे ही एक्यूट इंसेफ्लाइटिस सिंड्रोम कहते हैं. यह एक संक्रामक बीमारी है. चमकी बुखार के वायरस जब शरीर में पहुंचते हैं और खून में शामिल हो जाते हैं, तो इनका प्रजनन शुरू हो जाता है. इसके बाद इनकी संख्या तेजी से बढ़ने लगती है. खून के साथ बहकर बीमारी ये वायरस मस्तिष्क तक पहुंच जाते हैं. मस्तिष्क में पहुंचने पर ये वायरस कोशिकाओं में सूजन का कारण बनते हैं और शरीर के ‘सेंट्रल नर्वस सिस्टम’ को खराब कर देते हैं.
निजी अस्पतालों में अधिक संख्या में आने लगे बच्चे
गोरखपुर के आर्यन हॉस्पिटल में मैरवा के अटवां गांव निवासी मासूम की गयी जान
मासूम की मौत के बाद अटवां में मचा कोहराम
विभाग के अनुसार एइएस बीमारी के लक्षण
सरदर्द, तेज बुखार आना जो पांच से सात दिनों तक का न हो.
अर्द्ध चेतना एवं मरीज में पहचानने की क्षमता नहीं होना/ भ्रम की स्थित में होना/बच्चे का बेहोश हो जाना
शरीर में चमकी होना अथवा हाथ पैर में थरराहट होना.
पूरे शरीर या किसी खास अंग में लकवा मार देना या हाथ पैर का अकड़ जाना