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सीवान : तीन ने अब तक नहीं दी गवाही
कार्यवाही. 19 वर्ष बाद भी साक्ष्य के लिए लंबित है जानलेवा हमले का मामला सीवान : पूर्व मंत्री एजाजुल हक पर जानलेवा हमला हुए 19 वर्ष बीत गये, परंतु आज तक न्यायालय के समक्ष उपस्थित होकर उनके बॉडीगार्ड, चालक व इलाज करनेवाले डाॅक्टर ने गवाही नहीं दी है. इसके चलते यह मामला साक्ष्य के लिए […]
कार्यवाही. 19 वर्ष बाद भी साक्ष्य के लिए लंबित है जानलेवा हमले का मामला
सीवान : पूर्व मंत्री एजाजुल हक पर जानलेवा हमला हुए 19 वर्ष बीत गये, परंतु आज तक न्यायालय के समक्ष उपस्थित होकर उनके बॉडीगार्ड, चालक व इलाज करनेवाले डाॅक्टर ने गवाही नहीं दी है. इसके चलते यह मामला साक्ष्य के लिए लंबित है.
यही नहीं, पूर्व मंत्री की मौत भी हो चुकी है. इधर न्यायालय ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए अभियोजन को शीघ्र गवाही पूरी कराने का निर्देश दिया है. ऐसा नहीं होने पर साक्ष्य बंद करने की चेतावनी दी है.
मालूम हो कि अनुमंडलीय न्यायिक दंडाधिकारी नितेश कुमार की अदालत में पिस्टल से जान मारने का मुकदमा 17 वर्षों से साक्ष्य के लिए चल रहा है.
अभियोजन के द्वारा साक्ष्य प्रस्तुत नहीं करने के कारण न्यायालय ने साक्ष्य बंद करने का हिदायत दी है. बताते चलें कि मुफस्सिल थाने के खालिसपुर निवासी सह पूर्व मंत्री एजाजुलहक 13 मार्च, 1998 को घर लौट रहे थे. इसी दरम्यान दो बाइकों पर तीन हमलावरों ने पीछा कर उन्हें घेर लिया. इसके बाद जान से मारने की नीयत से बाइक पर सवार शमशाद व फखरूद्दीन ने पूर्व मंत्री पर फायर झोंक दिया. संयोग था कि इस घटना में पूर्व मंत्री बाल-बाल बच गये.
उनके साथ मौजूद चालक व बॉडीगार्ड ने हिम्मत जुटा दोनों हमलावरों को पकड़ लिया और मौके पर पहुंची पुलिस के हवाले कर दिया. इसके बाद पूर्व मंत्री ने मुफस्सिल थाने में तीन लोगों के विरुद्ध प्राथमिकी दर्ज करायी थी. उन्होंने टड़वा गांव निवासी शमशाद व मुकुन खां एवं बदरूद्दीन हाता गांव निवासी फकरूद्दीन अली को आरोपित किया था. इस मामले में गवाह अनुसंधानकर्ता सैयद वसीमूल हक व सार्जेंट मेजर राधा हरिजन ने घटना का समर्थन किया है.
वहीं, तीन गवाह पक्ष द्रोही हो गये हैं. अभी पूर्व मंत्री के चालक अली इमाम व बाॅडीगार्ड इम्तेयाज खां व डाॅक्टर ए अहमद की गवाही बाकी है. गौरतलब हो कि घटना के सूचक एजाजुल हक की मृत्यु हो चुकी है. इधर, कई बार गवाही के लिए आदेश देने के बाद अभियोजन साक्ष्य प्रस्तुत नहीं कर रहा है. इस पर कोर्ट ने अभियोजन को साक्ष्य बंद करने की हिदायत दी है.
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