सीवान : जिले में डेंगू, चिकनगुनिया, इंसेफ्लाइटिस जैसे मौसमी बीमारियों का प्रकोप शुरू हो चुका है. विभाग के अनुसार अभी तक डेंगू के चार व चिकनगुनिया का एक मरीज मिल चुका है. ये आंकड़ा पीएमसीएच में इलाज कराने वाले मरीजों का है. अगर जिले के प्राईवेट डॉक्टरों द्वारा इलाज किये जा रहे मरीजों की संख्या जोड़ दी जाये, तो यह आंकड़ा दर्जन से पार कर जायेगा. बच्चों को होनेवाले दिमागी बुखार का मामला विभाग के संज्ञान में नहीं है, लेकिन सीवान से दर्जन भर बच्चे पीएमसीएच और बीआरडी मेडिकल कॉलेज रेफर हुए हैं.
स्वास्थ्य विभाग द्वारा इस बीमारी से निबटने की बात तो दूर, इस बीमारी से आक्रांत लोगों की सूचना भी विभाग के पास उपलब्ध नहीं है.
कुछ ही दिनों में दूसरे प्रदेशों से मौसमी बीमारियों से आक्रांत होकर अधिक संख्या में मरीज घर आयेंगे. वैसी परिस्थिति में मौसमी बीमारियों से अन्य लोग संक्रमित न हों, विभाग के लिए एक चुनौती होगा. स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी ऐसी बीमारियों के आनेवाले मरीजों की जांच और इलाज के दावे तो करते हैं.पर सच्चाई यह है कि सभी दावे सिर्फ कागज पर ही दिखायी देते हैं.
आये दिन मौसमी संक्रामक बीमारियों से ग्रसित मरीज सदर अस्पताल में भटकते रहते हैं, लेकिन कोई बताने वाला नहीं है कि कहा पर ऐसे मरीजों को दिखाना है.
मरीजों के लिए न वार्ड है और न जांच की व्यवस्था : सदर अस्पताल में मौसमी बीमारियों से अाक्रांत मरीजों को रखने के लिए कोई विशेष वार्ड नहीं हैं. अगर कोई मरीज आ जाता है तो डॉक्टर तुरंत पीएमसीएच रेफर कर देते हैं. आइसीयू की व्यवस्था है, लेकिन चालू हालत में नहीं है. रख-रखाव के अभाव में वेंटीलेटर जैसी महत्वपूर्ण मशीन खराब है. सदर अस्पताल का अपना ब्लड बैंक है,
लेकिन सेपरेटर मशीन नहीं होने से डेंगू के मरीजों को प्लेटलेट्स उपलब्ध नहीं हो पाता है. सदर अस्पताल में डेंगू, मलेरिया और कालाजार मरीजों की जांच की व्यवस्था है, लेकिन वर्तमान में डेंगू का जांच कीट उपलब्ध नहीं है. दिमागी बुखार और चिकनगुनिया की जांच की व्यवस्था यहां पर नहीं है. लैब के कर्मचारियों ने बताया कि डेंगू का जांच किट अस्पताल प्रबंधक के पास रहता है. फिलहाल वे पांच दिनों से छुट्टी पर हैं. सदर अस्पताल में दवा की हालत भी दयनीय है. अधिकतर जीवन रक्षक दवा उपलब्ध नहीं है.
क्या कहते हैं जिम्मेदार
जब डेंगू, चिकगुनिया और दिमागी बुखार जैसी मौसमी बीमारियों के मरीजों के इलाज व जांच की व्यवस्था सदर अस्पताल में है. अधिकतर मरीजों को उपचार के बाद रेफर कर दिया जाता है. वार्ड की व्यवस्था है कि नहीं, मुझे जानकारी नहीं है.
डॉ एमआर रंजन, जिला मलेरिया पदाधिकारी