सीतामढ़ीः मां जानकी की जन्मभूमि से सटे शहर के कोट बाजार निवासी आशा खेमका को शिक्षा के क्षेत्र में उत्कृष्ट योगदान के लिए ब्रिटेन की महारानी ने आशा खेमका को डेम का पुरस्कार दिया है. महारानी ने आशा को डेम का पुरस्कार देने की घोषणा वर्ष-2013 में कर दी थी. उस वक्त भी और आज भी, यह सूचना आने के बाद शहर के प्रबुद्ध लोग खासे उत्साहित व अपने आप को गौरवान्वित महसूस कर रहे है. खासतौर पर रिश्तेदारों का कलेजा फा से चौड़ा हो गया है.
यहां बता दे कि ब्रिटेन में डेम का सम्मान पाने वाली आशा खेमका भारतीय मूल की दूसरी महिला है. जिन्हें गत 14 मार्च को महारानी एलिजाबेथ ने डेम का पुरस्कार देकर सम्मानित किया है. आशा को पारिवारिक पृष्ठभूमि पर नजर डाले तो वह एक संपन्न परिवार के घर में जन्म ली. 15-16 वर्ष की उम्र में शादी के बाद वह पटना चली गयी. वहां कुछ वर्ष रहने के बाद वह अपने पति व बच्चों के साथ ब्रिटेन चली गयी. घर के काम व बच्चों की देखरेख करने के साथ 36 वर्ष की उम्र में उन्होंने पहली डिग्री हासिल की. उनका कहना है कि उन्हें अपने पति का पूरा साथ मिला. यहीं कारण रहा कि वह उच्चतर शिक्षा ग्रहण करती चली गयी.
इस दौरान वह अंग्रेजी भी सिखती रही. वर्तमान में अभी आशा ब्रिटेन में वेस्ट नॉटिंघमशायर कॉलेज की प्रिंसिपल है. वह पिछड़े वर्ग को समाज की मुख्य धारा से जोड़ने के लिए लगातार काम भी करती आ रही है.
खास बात यह है कि सिर्फ शिक्षा के क्षेत्र में नहीं, बल्कि उन्हें रोजगार लायक बनाने के लिए भी. इसके लिए उन्होंने चैरिटी शुरू की है. जिस समुदाय के लिए वह काम करती है, वो वंचित वर्ग के लोग है, जिनके परिवार में रोजगारी है. जहां पुरानी कोयला या कपड़ा मिल बंद हो गया है. वैसे लोगों को कुछ वापस करने के लिए चैरिटी शुरू की.
उनकी कोशिश होती है कि प्रत्येक साल एक लाख पाउंड एकत्रित कर बच्चों को शिक्षा, खाना व रहने के लिए आवास देना. आशा की आगामी योजना भारत में युवाओं के लिए एक स्किल सेंटर खोलने की है.