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सीता स्त्री स्मिता की है विराट पहचान

सीता की पवित्रता को सहेज कर रखने की है जरूरत सीतामढ़ी : जानकी जन्मोत्सव के अवसर पर पुनौरा धाम में आयोजित सीतामढ़ी महोत्सव के अंतिम दिन पहले सत्र में संगोष्ठी का आयोजन किया गया, जिसमें विद्वानों ने सीता के चरित्र पर अपने-अपने विचार प्रकट रखे. संगोष्ठी का उद्घाटन प्रो राम निरंजन पांडेय, डॉ कविश्वर ठाकुर, […]

सीता की पवित्रता को सहेज कर रखने की है जरूरत

सीतामढ़ी : जानकी जन्मोत्सव के अवसर पर पुनौरा धाम में आयोजित सीतामढ़ी महोत्सव के अंतिम दिन पहले सत्र में संगोष्ठी का आयोजन किया गया, जिसमें विद्वानों ने सीता के चरित्र पर अपने-अपने विचार प्रकट रखे.
संगोष्ठी का उद्घाटन प्रो राम निरंजन पांडेय, डॉ कविश्वर ठाकुर, डॉ संजय पंकज, रमन शांडिल्य व डॉ संजय पंकज समेत अन्य ने दीप प्रज्ज्वलित कर किया. साहित्यकार डॉ दशरथ प्रजापति की अध्यक्षता में आयोजित संगोष्ठी में रमन शांडिल्य ने अरण्य संस्कृति पर चरचा करते हुए कहा कि ग्रंथो में राम की पूरी कथा के केंद्र में सीता है. लेकिन, दुर्भाग्य की बात है कि सीता के नाम पर अब तक एक भी विश्वविद्यालय या संग्रहालय नहीं खुली है. उन्होंने सीता के नाम पर विश्वविद्यालय खोलने के लिए सुरसंड स्थित अपनी जमीन देने की बात कही. डॉ संजय पंकज ने कहा कि सीता रामकथा की चेतना, आत्मा व शक्ति है. सीता ही रामायण है.
सीता स्त्री स्मिता की विराट पहचान है. कहा, इस पुरुष समाज में महिलाओं का दस्तावेज संभाल कर रखने का कोई प्रमाण नहीं मिलता है. कहीं भी सीता का दस्तावेज संभाल कर रखने का प्रयास नहीं किया गया. आज हम दादी, नानी व बुजुर्गों के पास बैठकर उनसे कहानी सुनना बंद कर दिये हैं, जिसके चलते हम अपनी संस्कृति को भूलते जा रहे हैं. ऐसे संक्रमण काल में आज यदि सीता के प्रति जागृति आयी है तो धरोहरों व पूर्वजों के संदर्भ में अच्छा समय आया है. इतिहासकार रामशरण अग्रवाल ने कहा कि बाज्जिका भाषा का विकास नहीं होने के पीछे कहीं न कहीं हमारी कमजोरी है.
बज्जिका भाषा में एक भी पत्र-पत्रिकाएं नहीं छप रही है. इसके लिए हम सबों को प्रयत्न करने की आवश्यकता है. राजेंद्र सिंह ने कहा कि हमे गर्व है कि सीता हमारी बेटी है, जो विश्व भर में स्त्री स्मिता का परचम लहराती है. विश्व चाहती है कि हमारी बेटी सीता जैसी हो. शंकराचार्य को इसी धरती पर नारी शक्ति से पराजित होना पड़ा था. हमे सीता की पवित्रता को सहेज कर रखने की जरूरत है.

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