सीतामढ़ी/बाजपट्टी : दरिंदें बदलते रहे, लेकिन नहीं थमा दरिंदगी का दौर. हर जख्म का साक्ष्य जुटाने के लिए खाती रहीं दर-दर की ठोकरें. दरिंदगी के सबूत देने के लिए भी वह बनी रहीं कठपूतली.
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सिमरन अस्पताल में भरती
सीतामढ़ी/बाजपट्टी : दरिंदें बदलते रहे, लेकिन नहीं थमा दरिंदगी का दौर. हर जख्म का साक्ष्य जुटाने के लिए खाती रहीं दर-दर की ठोकरें. दरिंदगी के सबूत देने के लिए भी वह बनी रहीं कठपूतली. समय गुजरता गया, जगह बदलते गये लेकिन नहीं बदली तकदीर. कभी परायों ने जिस्म को रौंदा तो कभी अपनों ने हीं […]
समय गुजरता गया, जगह बदलते गये लेकिन नहीं बदली तकदीर. कभी परायों ने जिस्म को रौंदा तो कभी अपनों ने हीं जिस्म को नोचा. वक्त व हालात के आगे लाचार बनी सिमरन को एक बार फिर अपने साथ हुए दरिंदगी का साक्ष्य देने के लिए सीतामढ़ी सदर अस्पताल पहुंचना पड़ा. जहां सदर अस्पताल की चिकित्सकों की टीम ने उसका मेडिकल किया.
बाजपट्टी पुलिस उसे महिला अल्पावास गृह से लेकर सीतामढ़ी सदर अस्पताल पहुंची थी. जहां मेडिकल के बाद उसे फिर मुख्यालय डुमरा के कैलाशपुरी स्थित महिला अल्पावास गृह पहुंचाने की तैयारी हीं थी, कि वह बीमार पड़ गयी. लिहाजा उसे सदर अस्पताल में भरती करना पड़ा. फिलहाल सदर अस्पताल में उसका इलाज जारी है. तत्काल उसे स्लाइन चढ़ाया जा रहा है. सदर अस्पताल पहुंची सिमरन के चेहरे पर खौफ व आक्रोश साफ दिखा.
मां-बाप व भाई समेत अपने परिवार को खोने के साथ कभी अपनों तो कभी गैरों के हाथ जिस्म लुटा चुकी सिमरन अब खुद को हीं मिटाना चाहती है. लेकिन इसके पहले वह चाहती है कि उसके गुनहगारों को वह सजा दिलाये. शायद यहीं वजह है कि वह जिंदा भी है. इधर, यौनशोषण के मामले में आरोपित सिमरन के मामा दिग्विजय सिंह की तलाश में पुलिसिया छापेमारी शनिवार को भी जारी रहीं. बताते चले की वर्षों तक पूर्वी चंपारण जिले के ढाका में एक कमरे के तहखाने में बंधक बनाकर यौन शोषण की शिकार बनी सिमरन 25 फरवरी 2015 को ढाका पुलिस द्वारा मुक्त करायी गयी थी. जहां से उसे उसके नाना के घर बाजपट्टी पहुंचा दिया गया था.
तहखाने से मुक्त होने के पूर्व शमीम नामक उसके मां के प्रेमी ने मां-बाप व भाई की हत्या कर सिमरन को दुनियां की भीड़ में अकेला कर दिया था. 25 नवंबर 2016 को शमीम की गिरफ्तारी के बाद सिमरन को न्याय की आस जगी. लेकिन ढाका से बाजपट्टी आने के बाद भी उसे जुल्म झेलने पड़े. सितंबर 2016 में सिमरन पर गांव के हीं एक युवक ने कातिलाना हमला व दुष्कर्म का प्रयास किया.
शमीम के गुंडे भी उसकी हत्या करने में लगे रहे. स्थानीय स्तर पर उसे पुलिसिया सुरक्षा दी गयी. उसकी सुरक्षा में एक महिला व तीन पुरुष गार्ड समेत तीन लोग लगे रहे. बावजूद इसके उसका अपना मामा ही उसकी अस्मत से वैसे हीं खेलते रहा, जैसे ढाका का शमीम.
शमीम की तरह मामा भी उसके जिस्म को गैरों में पड़ोस पैसा कमाना चाहता था. वहीं विरोध करने पर तेजाब डाल हत्या की धमकी देता था. वह जुल्म सहती रहीं. लेकिन उसने मामा के करतूतों को मोबाइल में कैद कर लिया. और 18 अप्रैल की रात उसके मामा द्वारा दुष्कर्म करने के बाद मामले का भंडा फूट गया. 19 अप्रैल को पुपरी डीएसपी ने मामले की जांच की.
पुलिस ने मामा दिग्विजय सिंह व मामी लक्ष्मी देवी समेत अन्य के खिलाफ मामला दर्ज करते हुये मामी को जेल भेज दिया. वहीं मामा की गिरफ्तारी को छापेमारी जारी है. मामले में एसपी के आदेश पर बाजपट्टी थाने में गुरुवार को प्राथमिकी दर्ज करते हुए पुलिस ने सिमरन की मामी लक्ष्मी देवी को गिरफ्तार कर न्यायिक हिरासत में भेज दिया था. मुख्य आरोपी मामा दिग्विजय सिंह की गिरफ्तारी के लिए छापेमारी शुरू कर दी थी. वहीं सिमरन को महिला अल्पावास गृह भेज दिया था.
दरिंदगी का सबूत देने पहुंची सिमरन हुई बीमार
सदर अस्पताल में गंभीर स्थिति
में किया गया भरती
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